सोनभद्र में है औषधीय पौधों का भंडार

*10 अप्रैल विश्व होम्योपैथिक दिवस पर विशेष*

डॉ संजय कुमार सिंह  एम डी 

वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक

आज पूरा विश्व 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथिक दिवस के रूप में होम्योपैथिक चिकित्सा के जनक *डॉक्टर क्रिश्चियनफ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन* का जन्मदिन समारोह पूरे विश्व में बड़े ही उल्लास से मनाया जाता है। ये विभिन्न भाषाओं के जानकार थे । जब 1790 में डॉक्टर कुलएन की मटेरिया मेडिका का अनुवाद कर रहे थे तो इन्होंने देखा पेरूवियन वर्क जिसे चाइना भी कहते हैं के अर्क को यदि नियमित लिया जाए तो यह मलेरिया जैसा लक्षण उत्पन्न करता है इस बात की सत्यता परखने के लिए उन्होंने खुद उसका मूल अर्क लेना शुरू कर दिया परिणाम स्वरुप मलेरिया जैसे लक्षण उत्पन्न होने लगे अपने प्रयोग को जारी रखते हुए 1796 में पूरे विश्व को होम्योपैथिक के रूप में एक चिकित्सा विधा जनकल्याण के लिए दिया । इनका मानना था की जो औषधि रोग उत्पन्न करती है वही औषधि उस तरह के लक्षण उत्पन्न होने पर उन्हें ठीक करने में कारगर होती है । परिणाम स्वरूप बहुत सी किताबें उन्होंने लिखा ऑर्गेनन ऑफ मेडिसिन में होम्योपैथिक औषधि को किस तरह से बनाया जाए मरीज को दिया जाए कैसा खान-पान हो मन और तन दोनों को कैसे स्वस्थ रखा जाए के बारे में विस्तार से बताया है । यही कारण है होम्योपैथी की मीठी गोलियो का असर विभिन्न उम्र के लोगों को स्वीकार है जटिल रोगों को छोड़कर तक्षणिक रोगों को ठीक करने के कारण जनमानस में विशेष रूप से लोकप्रिय है । आज भी होम्योपैथिक औषधियो के ऊपर शोध हो रहे हैं ।

वातावरण के परिवर्तन के कारण पौधों में फलने फूलने व विकास करने अर्थात दीप्तिकलिता और बसंती करण की जो क्रिया है प्रभावित हो रही है जिसके कारण औषधीय के केमिकल परिवर्तन के होने की संभावना ज्यादा बनने लगी है । अपना सोनभद्र औषधीय पौधों के रूप में बहुत ही सुदृढ़ है  इससे होम्योपैथिक फार्मेसी के लिए एक बाजार उत्पन्न किया जा सकता है जिससे यहां के गिरीवासी वनवासी को रोजगार का एक अवसर मिलने की संभावनाएं बनेगी।   इन लोगों के साथ यदि सामंजस्य स्थापित कर काम किया जाए तो हमें सोनभद्र की बहुत से ऐसे पौधे हैं जिनके बारे में जानकारी नहीं है उसे जनमानस के लोककल्याण लिए सामने लाया जा सकता है। इस वर्ष जो *होम्योपैथिक का थीम है वह है एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल की ओर एक कदम होम्योपैथिक से* होम्योपैथिक में यदि सारे लक्षणों को मैरिज धैर्य पूर्वक बताएं और चिकित्सक उन सारे सूत्रों को एक में जोड़कर एक उचित मेडिसिन का चयन करें तो रोगी को बिना किसी साइड इफेक्ट के ठीक होने में समय नहीं लगता । इन्हीं सब बातों को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार ने आयुष के रूप में एक अलग संस्थान को विकसित किया सभी चिकित्सकों का चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट सबसे पहले भी एक होम्योपैथिक चिकित्सक हैं इसलिए उन्हें दबावों के नए लक्षण दिखते हैं उन्हें नोट करें जिससे कि आप दबावों के शोध हो रहे टीम के एक सदस्य रूप में आप सहयोग कर सकते हैं । होम्योपैथिक चिकित्सक को प्रिसक्रिप्शन साफ सुथरा तरीके से करना चाहिए जिससे कि मरीज और चिकित्सक के बीच पारदर्शिता बनी रहे। होम्योपैथिक आज के बढ़ते स्वास्थ्य चुनौतियों में जैसे जीवन शैली से जुड़ी बीमारियां मानसिक रूप से आशाए होना एलर्जी विभिन्न प्रकार की पुरानी बीमारियां सारे क्षेत्र में होम्योपैथिक की प्रभावशाली परिणाम मिलते हैं यदि इसे अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ मिला करें सामान्य में स्थापित कर चिकित्सा किया जाए तो जन स्वास्थ्य का स्तर कई गुना बेहतर हो सकता है। विश्व होम्योपैथिक दिवस केवल उत्सव ही नहीं बल्कि अवसर है कि हम सभी चिकित्सक एक छत के नीचे इकट्ठे होकर अपने अनुभव को साझा करते हैं क्योंकि होम्योपैथिक न केवल रोग के उपचार की विधि है बल्कि यह जीवन जीने की कला है डॉ हैनिमैन के जन्मदिन के अवसर पर पूरे होम्योपैथिक चिकित्सक परिवार की तरफ से शत-शत नमन।

*डॉ संजय कुमार सिंह* 

                 एम डी 

*वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक*

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