सोनभद्र। साहित्यिक सामाजिक संस्था सोन संगम शक्तिनगर की ओर से कबीर जयंती के अवसर पर विचार गोष्ठी एवं काव्य संध्या का आयोजन किया गया।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कालेज खड़िया बाजार के प्राचार्य,राजीव कुमार ने किया। अतिथियों तथा उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए सोन संगम के कार्यकारी अध्यक्ष विजय कुमार दुबे ने कहा कि, आज का यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। जब हम एक ऐसे कवि की जयंती मना रहे हैं जो आज से 600 वर्ष पहले हुआ ,और वह 21वीं शताब्दी में भी प्रसांगिक बना हुआ है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राजीव कुमार ने कहा कि ,कबीर दास ऐसे कवि हैं जो उनको जितना समझ पाता है उतना ही मगन हो जाता है ।उनके द्वारा कही गई बातें आज भी प्रासंगिक है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अविनाश कुमार दुबे ने कहा कि, संपूर्ण मध्यकाल में कबीर ही एक ऐसे कवि है जो सर्वकालिक हैं।

उन्होंने तत्कालीन युग में सामाजिक विसंगतियों को अपनी भाषा में दूर करने का भरपूर प्रयास किया। विशिष्ट वक्ता के रूप में सेंट जोसेफ इंटर कॉलेज कंप्यूटर विज्ञान के प्राध्यापक चंद्रशेखर जोशी ने कबीर के द्वारा रचित कविताओं का शास्त्रीय संगीत में किए गए उपयोग का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने कुमार गंधर्व द्वारा कबीर गाने का विस्तृत रूप से चर्चा किया। जोशी जी का कहना था कि, कबीर मठ और कबीर चौरा का संगीत घराना कहीं ना कहीं एक दूसरे के पूरक हैं। दूसरे विशिष्ट वक्ता के रूप में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ पत्रकारिता विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉ छोटेलाल प्रसाद ने कहा कि , कबीर ने साखी, सबद रमैनी की रचना किया है।जो उनके बीजक नामक ग्रंथ में संग्रहित है ।वह अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। उनकी उलट वासिया आज भी लोगों के चिंतन मनन की विषय बनी हुई है। उदय नारायण पांडेय असिस्टेंट प्रोफेसर, कंप्यूटर साइंस, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने कहा की कबीर के दोहे बचपन में संस्कार देने के सबसे श्रेष्ठ विषय रहे हैं जहां मानवता प्रेम दया करना का भाव आज भी देखने को मिलता है जो अत्यंत शिक्षाप्रद है जिसको धीरे-धीरे लोगों द्वारा पाठ्यक्रम से खत्म कर दिया जा रहा है। ज्योति कुमारी ने कहा कि, कबीर दास की कविता आज भी निर्गुण के रूप में सामान्य जन के द्वारा बहुत ही प्रेम से भजन के रूप मे गाया जाता है । इस अवसर पर काव्य गोष्ठी का श्री गणेश करते हुए बद्री प्रसाद ने अपनी पंक्तियां कुछ इस प्रकार लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया –
दुनिया के रैन बसेरे में, पता नहीं कितने दिन रहना है।
जीत लो सबके दिलों को, बस यही जीवन का गहना है।
जाने माने कवि कृपा शंकर उर्फ माहिर मिर्जापुर ने अपनी पंक्तियां कुछ इस प्रकार पेश किया-
कूच ये जाना में जाना मैने छोड़ दिया।
दिल हसीनों से लगाना मैंने छोड़ दिया।
युवा कवि सचिन मिश्रा ने अपनी पंक्तियां लोगों के समक्ष इस अंदाज में बयान किया –
कबीर तेरी आदर्शो पर जीवन गुजर जाए।
जिस सांस तुझे भूलूं वह सांस ठहर जाए।
अपनी भोजपुरी कविता के लिए जाने माने कवि रमाकांत पांडेय ने अपनी कविता इस प्रकार प्रस्तुत किया-
काहे बोलेला बोलिया कठोर भैया।
जनि करा केहू से तोर मोर भईया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ मानिक चंद पांडेय ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सुश्री पूजा साहनी ने किया। इस कार्यक्रम में उपेंद्र, शुभम ,सीताराम ,रवि उपाध्याय,रमाशंकर पांडेय, संध्या कुमारी कौशिक कुमार सुभाष पटेल लक्ष्मी नारायण दुबे हिमांशु सूरज कुमार इत्यादि लोग उपस्थित रहे।

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