नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के दोषी श्यामसुंदर को 10 वर्ष की कठोर कैद

 सोनभद्र। करीब साढ़े 6 वर्ष पूर्व घर मे घुसकर नाबालिग लड़की के साथ जबरन बलात्कार किए जाने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी श्यामसुंदर राजभर उर्फ गुड्डू को 10 वर्ष की कठोर कैद एवं 25 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 20 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी।

   अभियोजन पक्ष के मुताबिक करमा थाना क्षेत्र स्थित एक गांव निवासी पीड़िता की मां ने करमा थाने में 13 नवंबर 2018 को दी तहरीर में आरोप लगाया था कि 19 सितंबर 2018 को सुबह 8 बजे उसकी नाबालिग लड़की खाना बना रही थी और वह उसे अकेली घर मे छोड़कर दवा लेने गई थी। जब वापस घर आई तो देखा कि करमा थाना क्षेत्र के सिरसिया ठकुराई टोला किरहिया पहाड़ी गांव निवासी श्यामसुंदर राजभर उर्फ गुड्डू पुत्र लालमनी घर मे घुसकर उसकी नाबालिग लड़की के साथ जबरन बलात्कार कर रहा था। बेटी के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर जेठ और जेठानी के साथ ही आसपास के कई लोग आ गए। इतने में जाति सूचक शब्दों से गाली देते हुए धमकी दिया कि अभी तुम्हारी बेटी के साथ बलात्कार किया हूं अब तुम्हारे साथ भी बलात्कार करुंगा तथा जान मारने की धमकी देते हुए भाग गया। घटना की मौखिक सूचना थाने पर दिया था, लेकिन दरोगा जी ने जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन दौड़ाते रहे कोई कार्रवाई नहीं किया। तब एसपी सोनभद्र को शिकायती पत्र दिया। एसपी के निर्देश पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने मामले की विवेचना शुरू कर दिया और पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में श्यामसुंदर राजभर उर्फ गुड्डू के विरुद्ध चार्जशीट विवेचक ने दाखिल किया था।
   मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने,  गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी श्यामसुंदर राजभर उर्फ गुड्डू को 10 वर्ष की कठोर कैद एवं 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वही अर्थदंड की धनराशि में से 20 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की ओर ले सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने बहस की।

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