भोलानाथ मिश्र, पत्रकार / प्राध्यापक

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अपरेशन ‘ सिंदूर ‘ को सफल हुए एक माह से ऊपर हो गए हैं । विभिन्न राजनीतिक दलों से निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के 7 दल 35 देशो में जाकर पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों और पहलगांव की जघन्य निर्मम निर्दोष पर्यटकों की हत्या का भारत के पराक्रमी सैन्य बल द्वारा की गई टारगेटेड कार्रवाई की जानकारी दे कर स्वदेश लौट रहे हैं । अमेरिका के बड़बोले बयानबाज डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट को लेकर कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी द्वारा ‘ नरेंद्र , सरेंडर ‘ वाला बयान चर्चाओं में है । विपक्ष के कई नेता और प्रवक्ताओं के बयान पाकिस्तान में सुर्खियां बटोर रहे है । कुछ सता पक्ष के नेता भी ऐसा बोल दिए है जो असहज नाने वाले हैं । जम्मू कश्मीर में विश्व के सबसे बड़े रेलवे ब्रिज का लोकार्पण करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर पाकिस्तान को आगाह किए । उप राज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री डॉ उमर अब्दुल्ला की मौजूदगी में मोदी ने आपरेशन सिंदूर के जारी रहने का ऐलान किया । सभी विपक्षीदल पीओके क्यों नहीं लिए , सीज फायर क्यों किया ? ट्रंप के कहने पर युद्धविराम क्यों किया ? जैसे प्रश्न प्रतिदिन टीवी डिबेट में सुनने को मिल रहे हैं । आजादी के के 78 साल बाद भी कश्मीर को लेकर इतना राजनीतिक विमर्श क्यों हो रहा है , इसकी जानकारी 2025 की युवा पीढ़ी का अवश्य जानना चाहिए । इस कड़ी में आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वितीय सर संघ चालक रहे माधव सदाशिवराव गोलवरकर उपाख्य ‘ गुरु जी ‘ के उस योगदान को स्मरण करना जरूरी है जो उन्होंने कश्मीर को बचाने के लिए किया था ।
पाकिस्तान का नापाक इरादा ______________________
1947 के अक्टूबर माह के तीसरे सप्ताह में पाकिस्तान ने कश्मीर में कबाइलियों के रूप में अपनी सेना घुसाई । भारतीय सेना में मौजूद ब्रिटिश अधिकारियों की खुली सहायता से कश्मीर को हड़पने के लिए पाकिस्तानी सेना कबाइलियों के वेष में आगे बढ़ने लगी । कश्मीर का भारत विलय को लेकर कश्मीर के महाराज हरिसिंह ऊहापोह में थे । ऐसे मौके पर सरदार बल्लभ भाई पटेल को लगा की महाराज हरिसिंह को समझाने के लिए संघ प्रमुख गुरुजी को उनके पास भेजना चाहिए ।
ऐतिहासिक भेंट
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कश्मीर जा कर गुरुजी महराज और महारानी से मिले । महराज हरिसिंह और महारानी तारा कश्मीरी शाल भेंट कर गुरु जी का स्वागत किया । गुरुजी ने 18 अक्टूबर , 1947 को महाराज को भारत में विलय करने के लिए मना लिया । सूचना सरदार पटेल को दी गई । औपचारिकता पूरी होते ही भारतीय सेना कश्मीर में प्रवेश कर गई । भारतीय सेना पराक्रम दिखाते हुए तेजी के साथ आगे बढ़ने लगी । परंतु कश्मीर पूर्ण रूप से मुक्त होने के पहले ही पंडित नेहरू युद्ध विराम घोषित कर दिए । कश्मीर का महत्वपूर्ण हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में रह गया जिसे आज पीओके कहा जाता है। इसे वापस लाने की मांग विपक्ष कर रहा है । पूछ रहा है सीज फायर क्यों किया गया । ट्रंप के आगे सरेंडर क्यों किया गया । अपरेशन सिंदूर के दौरान क्यों नहीं पीओके वापस आया ।इसे लेकर हर रोज सवाल पर सवाल किए जा रहे हैं । चर्चा इस बात की भी हो रही है कि 1965 में पीओके वापस क्यों नहीं लिया गया । 1971 में 93 हजार पाक सैनिक हमारे कब्जे में थे । पीओके क्यों नहीं लिया गया । 54 भारतीय
सैनिक जो पाक के कब्जे में थे उन्हें क्यों नहीं वापस लिया गया । उस समय कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र संघ में क्यों ले जाया गया । उस समय कौन सरेंडर था । उसी समय गुरुजी ने कहा था यह बिल्कुल आत्मघाती कदम है । संयुक्त राष्ट्रसंघ हमें न्याय नहीं देगा ।
आधुनिक भागीरथ

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गुरुजी का जन्म 1906 में हुआ था ।काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पढ़ाते समय छात्र उन्हें गुरुजी कहने लगे । उसी समय से माधव सदा शिवराव गोलवरकर का उप नाम गुरुजी हो गया जो 1940 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सर संघ चालक बन गए । नागपुर के मूल निवासी गुरु जी की माता लक्ष्मी बाई उन्हें मधु के नाम से संबोधित करती थी । सनातन संस्कृति के संवाहक आधुनिक भागीरथ गुरुजी 5 जून , 1973 को धरधाम से विदा हो गए । 6 जून , 1973 को नागपुर में उनके अंतिम संस्कार में भारत के जाने माने महानुभावों ने श्रद्धांजलि अर्पित की थी । आज भी कश्मीर को बचाने की चर्चा होती है तो गुरुजी के योगदान शिद्दत से याद किया जाता है ।

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