प्रधानमंत्री आवास की नहीं हो रही है सुनवाई , क्षुब्ध लोगों ने किया जोरदार प्रदर्शन

सोनभद्र। नव सृजित विकास खण्ड कोन के ग्राम पंचायत कुड़वा में  वर्ष 22-23  प्रधानमंत्री आवास में जमकर  धाँधली करने का मामला प्रकाश में आया था जिसके क्रम में ग्राम पंचायत कुड़वा निवासिनी इसरावती देवी पति स्व. अरुण निराश्रित महिला का वर्ष 22-23 में  प्रधानमंत्री आवास मिला था जिसे ग्राम पंचायत सदस्य/ जन प्रतिनिधि व संबंधित लोगों के द्वारा सरकारी धन का बंदरबांट कर लिया गया। जिसके संबंध में लाभार्थी द्वारा पूर्व में खंड विकास कार्यालय कोन व थाना कोन को लिखित शिकायती पत्र  सौंपकर संबंधित के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग किया था  और वहीं मुख्यमंत्री के शिकायत प्रकोष्ठ नंबर 1076 पर शिकायत दर्ज कराया है। जिसके क्रम में  पूर्व में इसरावती देवी की अगुवाई  में प्रधानमंत्री आवास  घोटाले  के क्रम में कुड़वा में जोरदार प्रदर्शन करते हुए संबंधित के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग करते हुए तत्काल आवास की धनराशि  दिलाने की मांग की  गई थी । मिली जानकारी के अनुसार प्रभानमंत्री  आवास की आस लगाये बैठी महिला कारर्रवाई  होता न  देख  एक सप्ताह पूर्व  इसरावति की हृदयगति रुकने से मौत हो गई।  जिसके क्रम में आज तड़के मृतक महिला की पुत्री आरती कुमारी के नेतृत्व में प्रधानमन्त्री  आवास की मांग व दोषी के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग करते हुए जोरदार प्रदर्शन  किया । जिसके क्रम में  मृतक की अनाथ  बच्ची आरती गोंड. ने वार्ड सदस्य के ऊपर आरोप लगाते हुए कही कि मेरी माँ इशरावती   देवी के नाम वर्ष  22-23 में प्रधानमंत्री  आवास आया था  जो अब नहीं रहीं। जिसे वार्ड सदस्य व अन्य लोगों की मिली भगत  से अलग अलग बैंकों से  धोखाधड़ी कर धन निकाल लिया  गया  जिसके क्रम में मेरी  माँ द्वारा प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी समेत  कई  अधिकारियों  को  पत्र  भेजकर  अवगत कराया किन्तु आज तक  आवास का लाभ नहीं मिल सका और पुनः जिलाधिकारी को पत्र  भेजकर कार्रवाई की मांग किया है। प्रदर्शन करने वालों में मुख्य  रूप से  निर्मला देवी क्षेत्र पंचायत सदस्य, पार्वती, राजमति , विपती , देवराज,  दयाशंकर,   जितेन्द्र आदि रहे। अब देखना दिलचस्प होगा कि  देश के प्रधान मंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री के  द्वारा किया गया वादा हर  गरीब का होगा अपना छत  कितना कारगर  होगा।  हृदय विदारक घटना के बाद क्या उक्त  गरीब आदिवासी दलित/ स्व. निराश्रित  महिला के अनाथ बच्चों को  आवास की धनराशि या आवास मिल पाएगा या  सरकारी फाइलों में दबकर रह जायेगा यह तो भविष्य के गर्भ में जरूर छिपा है।

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