(15 जून पुण्यतिथि पर विशेष)
देश के स्वाधीनता संग्राम मे अग्रणी रहे क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी रामनाथ पाठक ने आंदोलन में हिलाई थी अंग्रेजी हुकूमत की चूले। स्वाधीन भारत में आम लोगों के साथ खड़े दिखते थे ।

सोनभद्र । ( भोलानाथ मिश्र का संस्मरण)
‘ रहते थे खुद धूप में , देते थे मगर छाँव ,
इस शहर में कुछ लोग , हमारे थे क्या हुए ‘ ।
आम जन के इस दर्द को किसी शायर ने जब व्यक्त किया होगा तब उसके सामने कोई ऐसा विराट व्यक्तित्व रहा होगा जिसके गुजर जाने की छटपटाहट इन पंक्तियों में परिलक्षित हो रही हैं । ऐसे ही एक विराट व्यक्तित्व की हम यहां चर्चा करने जा रहे हैं । हमारे गौरवशाली अतीत के स्तम्भ,दो बार विधायक रह चुके स्वाधीनता संग्राम सेनानी पसही कला गांव के पण्डित रामनाथ पाठक एक ऐसे जन नेता थे जो गांव , गरीब, किसान , झोपड़ी के इंसान , जल , जंगल , जन , जमीन और जानवर के प्रति न केवल संवेदनशील थे अपितु वे स्वाधीन भारत में अन्याय के खिलाफ अपनी ही सरकार के खिलाफ आम जन के हक के लिए खड़े होकर आम जनता का बखूबी प्रतिनिधित्व करते उत्तर प्रदेश विधान सभा में मीरजापुर के पहाड़ के रूप मे विख्यात थे। लंबे डील डौल और निर्भीक ओजस्वी वाणी वाले विराट व्यक्तित्व को देख कर आला हकीम जन विरोधी निर्णय लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे । राष्ट्रपिता महात्मागांधी , पण्डित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिलाने वाले रामनाथ को जेल की कठोर यातनाएं भुगतनी पड़ी । वर्ष1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह देश की स्वाधीनता हेतु गिरफ्तार होकर मीरजापुर जिला जेल मे आपको बन्दी बनाया गया तथा भारत छोड़ो आन्दोलन मे 1942 में गंभीर अस्वस्थता की स्थिति मे भी आपको डी आई आर मे गिरफ्तार कर नजरबंद किया गया व सेन्ट्रल जेल वाराणसी मे तनहाई मे रखकर घोर यातनांए सहनी पड़ी। आर्थिक अभाव का प्रभाव उनके आंदोलन पर कभी नहीं पड़ने पाया । पंडित कमलापति त्रिपाठी , गोविंद बल्लभ पंत , हेमवती नंदन बहुगुणा , चंद्र भानु गुप्ता ,सुचेता कृपलानी ,विश्वनाथ प्रताप सिंह , चौधरी चरण सिंह समेत नारायण दत्त तिवारी जैसे कद्दावर नेताओं के साथ अंग्रेजी अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने में अपने हिस्से का शत प्रतिशत योगदान देने वाले रामनाथ पाठक स्वाधीन भारत में अनाथों के नाथ कैसे बन गए यह एक लंबी कहानी है । 1962 के तीसरे आम चुनाव में राबर्ट्सगंज और 1967 के चौथे आम चुनाव में राजगढ़ विधानसभा से दुबारा विधायक निर्वाचित हुए तो सैकड़ों लोगों के भाग्य खुल गए । सरकार से लड़ झगड़ कर मिर्जापुर के दक्षिणांचल में शैक्षिक योग्यता को शिथिल कराकर पटवारी , अमीन , प्राइमरी स्कूल में मास्टर , ड्राइवर , अर्दली , बाबू तथा चुर्क सीमेंट फैक्ट्री में सैकडों गरीब व योग्य लोगों को नौकरी दिलाकर आपने परोपकार बेमिशाल लकीर खींची फलस्वरूप जिस गांव में गरीबी कुण्डली मारकर बैठी थी उस गांव के दिन बहुरने में देर नहीं लगी ।
उदाहरण बने उनके काम
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कक्षा 7 पास बदौली गांव के रामप्रताप चौबे , राबर्ट्सगंज के कुंवर समेत सैकड़ों लोग लोग परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक रहे । मझिगांव गांव के सीताराम , राम दुलारे , रमाशंकर समेत सैकड़ों पटवारी ( लेखपाल ) बन गए । चुर्क सीमेंट फैक्ट्री में बच्चन राम सहित अनेको लोग नौकरी पाए । आपने प्रदेश के पहले सरकारी प्रतिष्ठान चुर्क सीमेंट फैक्ट्री के उद्घाटन समारोह मे उमड़े अपार जन समुदाय के सामने पंडित नेहरु के जनसभा की अध्यक्षता की थी।
वनवासियों के लिए
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वनवासियों के घर छाजन के लिए बांस , कोरो , लग्गा , धरनि , बड़ेर , खढ आदि जंगल से मुफ्त काटने के लिए छूट दिलवाने वाले पंडित रामनाथ प्रदेश के पहले नेता थे जो गांव , गरीब , किसान , झोपड़ी के इंसान की जरूरतों को न केवल समझते थे बल्कि उनको वे सभी सुविधाएं मुहैया कराते थे । जल, जमीन , जंगल , जन और जानवरों के प्रति भी वे संवेदनशील थे ।
1966 में भयंकर सूखे के समय
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1966 में भयंकर सूखे के कारण खाद्यान्न समेत अनेक कठिनाइयों के अभाव को दूर करने के लिए लखनऊ- दिल्ली जाकर सरकार को जानकारी दिए थे । तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जब मिर्जापुर जनपद के दक्षिणांचल राबर्ट्सगंज दुद्धी क्षेत्र के दौरे पर आई तो उनकी कार में केवल पण्डितरामनाथ पाठक ही साथ साथ विराजमान थे ।
बभनौली कलां के होरी साहु के घर के पास इंदिरा जी का प्राइमरी स्कूल पसही के छात्रों ने शिक्षकों के साथ भव्य स्वागत किया था । मालती ( पाठक ) पुत्री कैलाश नाथ मिश्र और कमली पुत्री घूरन चौकीदार ने इंदिरा जा को माला पहनायी थी । मालती के छोटे भाई भोलानाथ को इंदिरा जी ने पुचकारा था और मालती तथा कमली देवी को स्वयं भी माला पहनाया था । प्रत्येक गांव में टेस्ट वर्क चल रहे थे जिसमें अनेको ताल तलैया तालाब व सम्पर्क मार्ग बने व भुखमरी से पीड़ित आम जनता को टेस्ट वर्क के बदले मुफ्त राशन मुहैया कराकर अकाल की त्रासदी से निजात मिली। अमेरिका का लाल जिन्होरा , दरुआ, दूध , दवा , बच्चों और बड़े लोगों में वितरित होता था ।

व्यक्तिगत जीवन
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पंडित रामनाथ पाठक पर दो बेटियां शांति और सम्मल तथा एकमात्र पुत्र मार्कण्डेय और छोटे भाई रघुनाथ (बल्ले ) के जीवन निर्वाह का दायित्व था । बाभनौली कला के अलीराजा ख़ां ( सुग्गन बुआ खसरल्ली कहती थी ) सारथी थे । नेता जी दो सायकिल रखते थे । एक सायकिल रामदुलारे की दुकान पर रहती थी । यही से वे किशोरी साहु के बस से सुबह10 बजे प्रतिदिन राबर्ट्सगंज जाते थे । चण्डी होटल पर दूसरी सायकिल रहती थी जिसे लेकर वे नगर में भ्रमण करते थे ।
तहसील , वरिष्ठ पत्रकार महावीर प्रसाद जालान , श्याम सुंदर जालान के गोला के कार्यालय में प्रतिदिन बैठकी करते थे । खादी की झकास सफेद धोती , लंबा कुर्ता , सदरी , सर पर गांधी टोपी ,कंधे पर सफेद गमछा, पांव में नागरा काला जूता , हाथ में छड़ी उनके रोबीले व्यक्तित्व को भव्य बनाते थे । माथे पर मलयागीर चंदन के बीच में रोली का टीका व्यक्तित्व को और महिमा मंडित करता था । बड़ी घनी काली मूंछें,रोबदार चेहरा दिव्यता प्रदान करता था । इनके एक मात्र सुपुत्र काशी के मार्कण्डेय महादेव की मनौती से जब 68 साल पूर्व रामनवमी की पुण्य तिथि पर जन्मे तो गांव की अंजानी फूआ ने उनका नाम मार्कण्डेय रख दिया । यही मार्कण्डेय आगे चलकर डॉक्टर मार्कण्डेय राम पाठक के रूप में भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी द्वारा स्थापित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में लगभग 42 साल तक विभिन्न प्रशानिक पदों में सेवा देते हुए अब कृषि को ऋषि कर्म मानकर रामनाथ रघुनाथ फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी बनाकर मोदी के किसानों की आय दो गुनी करने के अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं । धर्म अध्यात्म के प्रति गहरी रुचि रखने और धर्म शास्त्रों पर व्याख्यान देने वाले डॉ एम आर पाठक के बड़े पुत्र कौशलेश पाठक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ,जन सेवक और प्रगतिशील किसान हैं तो छोटे पुत्र शैलैश कृषि विज्ञान स्नातक एम बी ए (गोल्ड मेडलिस्ट) की उपायि अर्जित कर देश की प्रतिष्ठित आनन्दा ङेयरी मे महाप्रबंधक के बड़े प्रशासनिक पद पर सेवा दे रहे हैं । भारद्वाज वंश कीगौरवशाली परंपरा को डॉ एम आर पाठक और इनके दोनों पुत्र आगे बढ़ाने में लगे हैं।

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