अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस पर पूरे प्रदेश में चला बाल श्रम विरोधी अभियान, कलेक्टरों ने दिए सख्त निर्देश

*14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का नियोजन पूर्णतः प्रतिबंधित, टोल फ्री नंबर 1098 पर कर सकते हैं शिकायत*

रायपुर,/ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बाल श्रम की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे प्रयासों को प्रदेश स्तर पर सख्ती के साथ क्रियान्वयन किया जा रहा है। प्रशासनिक प्रतिबद्धता, जन-जागरूकता और कड़ी निगरानी के माध्यम से बच्चों को शिक्षा, सुरक्षा और गरिमामय जीवन की ओर अग्रसर करने का संकल्प लिया गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ में बाल श्रम उन्मूलन के लिए जिलेवार अभियान चलाया गया। महासमुंद और कोण्डागांव सहित विभिन्न जिलों में प्रशासन, श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग, पुलिस तथा बाल संरक्षण इकाई के संयुक्त प्रयासों से बाल श्रमिकों की पहचान, पुनर्वास और जन-जागरूकता की दिशा में व्यापक गतिविधियाँ आयोजित की गईं।

महासमुंद में कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक लेते हुए निर्देश दिए कि जिले में बाल श्रम की किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने संयुक्त जांच दल को होटल, ढाबा, निर्माण स्थल, दुकानों एवं अन्य संभावित स्थलों पर निरीक्षण करने कहा। साथ ही विकासखंड स्तर पर बाल श्रम विरोधी रैली, पोस्टर प्रदर्शनी और स्कूलों में विशेष सत्र आयोजित करने के निर्देश दिए। बाल श्रमिकों के पहचान हेतु 15 जून से 30 जून तक जिले में विशेष अभियान चलाया जाएगा।

श्रम पदाधिकारी डी.एन. पात्र ने बताया कि वर्ष 2024 में 92 संस्थानों का निरीक्षण किया गया, जिनमें से 14 के विरुद्ध श्रम न्यायालय में अभियोजन दायर किया गया। न्यायालय ने 9 संस्थानों को 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। वहीं 2025 में अब तक 52 संस्थानों का निरीक्षण हुआ, जिसमें 12 संस्थानों पर सूचना बोर्ड न लगाने पर अभियोजन दायर किया गया है।

14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का नियोजन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। वहीं 14 से 18 वर्ष के किशोरों को खतरनाक और अधिसूचित व्यवसायों में कार्य कराना दंडनीय अपराध है। इनमें होटल, ढाबा, ईंट-भट्ठा, पत्थर खदान, बीड़ी उद्योग, ऑटो गैरेज, घरेलू काम, आदि शामिल हैं। दोषी पाए जाने पर 6 माह से 2 वर्ष तक की सजा या 20 हजार से 50 हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।

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