ओबरा/सोनभद्र– औद्योगिक नगरी ओबरा का मुख्य चौराहा इन दिनों प्रशासनिक उदासीनता का आईना बन गया है, जहाँ हनुमान मंदिर के सामने प्रतिदिन बड़ी संख्या में मासूम बच्चे भीख मांगकर अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। लगभग 3 से 13 वर्ष की आयु के 20 से 25 बच्चों का यह समूह, जो शिक्षा और पोषण से वंचित है, यहां आने वाले भक्तों और आम नागरिकों के सामने हाथ फैलाता नजर आता है।
जाँच-पड़ताल से पता चला है कि ये बच्चे स्थानीय भलुआ टोला के निवासी हैं और अत्यधिक गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं। कई बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है, जबकि कईयों के अभिभावक कबाड़ बीनकर मुश्किल से घर चला पाते हैं। गरीबी और मजबूरी के चलते ये नौनिहाल बचपन से ही स्कूल की दहलीज तक नहीं पहुंच पाए। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को, जब मंदिर में भीड़ चरम पर होती है, तो इन बच्चों की संख्या बढ़ जाती है। बाकी दिनों में भी ये बच्चे पूरे नगर में भिक्षावृत्ति करते हैं।सबसे गंभीर बात यह है कि यह दृश्य नगर के सबसे व्यस्त और प्रमुख चौराहे का है, जहाँ से जिले के उच्चाधिकारियों का नियमित आवागमन होता है। सोनभद्र जैसे आदिवासी बहुल और पिछड़े जिले में, जहाँ सरकारों द्वारा बाल कल्याण और गरीबी उन्मूलन के विशेष दावे किए जाते हैं, वहाँ मुख्य बाजार में बच्चों का इस तरह सड़कों पर होना बाल अधिकारों के उल्लंघन का स्पष्ट प्रमाण है। यह स्थिति प्रशासनिक जिम्मेदारी पर सीधे सवाल खड़े करती है। प्रबुद्ध नागरिकों का मानना है कि यह दृश्य नगर की शोभा नहीं बढ़ाता और प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप कर इन बच्चों के पुनर्वास और शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए।

गांव गिराँव हिंदी न्यूज़ पोर्टल पर आप – Latest Breaking News, देश, विदेश, खेल, मनोरंजन, राजनीति, क्राइम, ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, शिक्षा, लाइफस्टाइल, क्रिकेट से सम्बंधित सभी समाचार प्राप्त करते है।
