30,000 जनजातीय छात्रों को डिजिटल शिक्षा, मार्गदर्शन और ईएमआरएस में बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ सशक्त बनाने का उद्देश्य
नई दिल्ली | एक ऐतिहासिक पहल के तहत, जनजातीय कार्य मंत्रालय और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और ओडिशा के 76 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) में बुनियादी ढांचे के उन्नयन और क्षमता निर्माण के लिए हाथ मिलाया है।
आज (09.09.2025) नई दिल्ली में कोल इंडिया लिमिटेड और जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली धारा 8 कंपनी, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसटीएफडीसी) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समारोह माननीय केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम और केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
वर्तमान में, देश भर में 479 ईएमआरएस कार्यरत हैं, जो अनुसूचित जनजाति (एसटी) के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य सेवा और समग्र विकास के अवसर प्रदान करते हैं। ये स्कूल, आदिवासी छात्रों को उच्च शिक्षा और लाभकारी रोज़गार तक पहुँच प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने के लिए मंत्रालय का एक प्रमुख प्रयास हैं।
- सरकारी प्रयासों में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के महत्व को समझते हुए, सीआईएल ने मंत्रालय की सीएसआर पहलों के अंतर्गत सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई है। इस सहयोग के माध्यम से, 76 ईएमआरएस में निम्नलिखित प्रावधान किए जाएँगे:
- • 1200 कंप्यूटर और 1200 यूपीएस इकाइयाँ
- • 110 टैबलेट
- • 420 सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें
- • 420 सैनिटरी पैड भस्मक
- • कक्षा 10 और 12 के 6,200 से अधिक छात्रों के लिए करियर परामर्श और मार्गदर्शन
सीआईएल ने इस परियोजना के लिए 10 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जिसका क्रियान्वयन एनएसटीएफडीसी द्वारा समयबद्ध तरीके से किया जाएगा।
इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने सीआईएल की पहल और समर्थन का स्वागत किया और विश्वास व्यक्त किया कि जनजातीय शिक्षा और विकास के लिए और अधिक कंपनियां समर्पित सीएसआर समर्थन के साथ आगे आएंगी।
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जनजातीय कार्य मंत्रालय के साथ इस साझेदारी के माध्यम से सीआईएल के सीएसआर फोकस क्षेत्र, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, महिला सशक्तिकरण, आजीविका संवर्धन और ग्रामीण विकास, व्यापक प्रभाव प्राप्त करेंगे।
परियोजना के उद्देश्य
डिजिटल विभाजन को पाटना: डिजिटल शिक्षा को मज़बूत करने और STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में नए अवसर खोलने के लिए कंप्यूटर लैब की स्थापना।
मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा देना: छात्राओं की पढ़ाई में बेहतर ठहराव और प्रदर्शन।
करियर परामर्श और मार्गदर्शन: आदिवासी छात्रों को उनके शहरी समकक्षों के समान मार्गदर्शन और अवसर प्रदान करना।
कुल मिलाकर, इस पहल से 30,000 से अधिक आदिवासी छात्रों के लाभान्वित होने की उम्मीद है, जो आदिवासी युवाओं के लिए समावेशी, प्रौद्योगिकी-संचालित और समग्र शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है

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