रायपुर,/ शहीद वीर नारायण सिंह जी का 168 वां बलिदान दिवस के अवसर पर अध्यक्ष छत्तीसगढ़ इतिहास परिषद एवं पूर्व विभाग अध्यक्ष इतिहास अध्ययन शाला प्रोफेसर (डॉ.) आभा रूपेंद्रपाल ने कहा कि वीर नारायण सिंह अंग्रेजी शासन के अत्याचार के विरुद्ध गरीबों, किसानों और वंचित समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े हुए एक ऐसे वीर सपूत थे, जिन्होंने 1956 के भीषण अकाल के समय गरीबों में अनाज बांटकर मानवता की ऐतिहासिक मिसाल पेश की। इतिहास अध्ययन शाला पंडित रविंशकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर (छत्तीसगढ़) में कल शहीद वीर नारायण सिंह जी का 168 वां बलिदान दिवस मनाया गया, इस अवसर पर विभाग में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया।
(डॉ.) आभा पाल ने कहा कि अंग्रेजों की गलत नीतियों के कारण जब किसान और उनके बच्चे भूखों मरने लगे तो यह बात वीरनारायण सिंह से सहन नहीं हुई। उन्होंने किसानों को संगठित करके अंग्रेजों का जमकर मुकाबला किया। शहीद वीर नारायण सिंह पर अंग्रेजों ने आरोप लगाया था कि उन्होंने गोदामो में भरे अनाज को लूटकर अपनी प्रजा में बंटवा दिया था। लेकिन यदि न्याय की बात की जाए तो उन्होंने अकाल के कारण दाने-दाने के लिए मोहताज हो रहे अपनी प्रजा तक उनके अधिकारों को पहुंचाया था। अंग्रेजी हुकूमत ने वीर सपूत नारायण सिंह के इस प्रजाहितैषी कार्य करते हुए किसानों को संगठित करके अंग्रेजों का जमकर मुकाबला किया। अंततः वे अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए और 10 दिसंबर 1857 को उन्हें रायपुर में फांसी दे दी गई।

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