भोपाल गैस त्रासदी के सबक:वैज्ञानिक चेतना, औद्योगिक जवाबदेही और सुरक्षित भविष्य की आवश्यकता पर विशेषज्ञों ने रखे विचार

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रायपुरा में भोपाल गैस त्रासदी को समर्पित जागरूकता कार्यक्रम हुआ आयोजित’

      ’रायपुर,’छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा द्वारा पं. गिरिजा शंकर मिश्र शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रायपुरा में भोपाल गैस त्रासदी को समर्पित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें वैज्ञानिक दृष्टि, औद्योगिक सुरक्षा और नागरिक सतर्कता पर विशेष जोर दिया गया।
      कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध एस्ट्रोफिजिसिस्ट एवं पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एस. के. पांडेय ने स्पष्ट कहा कि भोपाल गैस त्रासदी विज्ञान की विफलता नहीं बल्कि उद्योगपतियों की लापरवाही का परिणाम थी। उन्होंने बताया कि यूनियन कार्बाइड कंपनी ने अमेरिका में सुरक्षा मानकों का कठोरता से पालन किया, जबकि भारत में न कर्मचारियों को गैस रिसाव से निपटने का प्रशिक्षण दिया गया और न ही स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की गई।
उन्होंने कहा कि उद्योगों की जवाबदेही तय करना अत्यंत आवश्यक है ताकि किसी भी दुर्घटना से बचाव के लिए मजबूत सुरक्षा तंत्र सुनिश्चित हो सके। साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि हर नागरिक अपने आसपास के उद्योगों और पर्यावरणीय प्रभावों के प्रति जागरूक बने यही वैज्ञानिक सोच का आधार है।
      श्भोपाल गैस त्रासदी के सबकश् विषय पर बोलते हुए सौर ऊर्जा विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता उमाप्रकाश ओझा ने 2दृ3 दिसंबर 1984 की दुःखद रात का वर्णन किया और विद्यार्थियों से पूछा कि क्या वे अपने आसपास के उद्योगों के प्रभावों पर ध्यान देते हैं। छात्रों द्वारा अनभिज्ञता जताए जाने पर उन्होंने छतों पर जमा काली धूल का उदाहरण देते हुए कहा कि यह रायपुर के आसपास के स्पंज आयरन उद्योगों से उपजे प्रदूषण का परिणाम है। उन्होंने चेताया कि यदि हम अभी जागरूक नहीं हुए, तो रायपुर की हवा भी दिल्ली जैसी जहरीली हो सकती है। उद्योगपति अक्सर मुनाफे के लिए पर्यावरण व सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हैं, और इसके खिलाफ आवाज उठाना हम सबकी जिम्मेदारी है।


       कार्यक्रम की शुरुआत में छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के अध्यक्ष एवं पूर्व अपर कलेक्टर विश्वास मेश्राम ने भोपाल गैस त्रासदी के कारणों, मिथाइल आइसोसायनेट गैस रिसाव की तकनीकी विफलताओं, तथा विकसित देशों और विकासशील देशों में सुरक्षा मानकों की विसंगतियों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि विज्ञान का उद्देश्य जीवन बचाना है, न कि उसे नष्ट करना, और इसी कारण विज्ञान सभा विश्व शांति और युद्ध-विरोध की पक्षधर है।
       विद्यालय की प्राचार्या बीना शर्मा ने कार्यक्रम को अत्यंत ज्ञानवर्धक बताते हुए गैस त्रासदी में असमय मृत्यु का शिकार हुए हजारों लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने बताया कि मिथाइल आइसोसायनेट के पानी से रासायनिक अभिक्रिया के बाद निर्मित फॉस्जीन गैस ने वही विनाशकारी प्रभाव डाला था, जिसका प्रयोग द्वितीय विश्व युद्ध में भी किया गया था।
      कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा, रायपुर इकाई की सचिव एवं शिक्षाविद अंजू मेश्राम ने विद्यार्थियों को सक्रिय बनाए रखने हेतु रोचक प्रश्नोत्तरी भी आयोजित की। उल्लेखनीय है कि भोपाल गैस त्रासदी दिवस पर छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की सभी इकाइयों द्वारा प्रदेशभर में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

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