
भोलानाथ मिश्र
25 जून, 2025 को भारत में आपातकाल लगने के 50 साल पूरे हो जाएंगे। 25 जून, 1975 को आपातकाल घोषित हो गया था। 21 महीने तक संविधान के अनुसार नहीं, बल्कि सरकार की इच्छा के अनुसार देश चला। नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित थे।
इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी की दादी तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी। राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इंदिरा जी की सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा की थी। पूरे देश में प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी गई थी। समाचार सेंसर किए जाने लगे। लोकसभा का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था। बड़े पैमाने पर विपक्ष के नेताओं को विभिन्न धाराओं में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था। देश में भय का वातावरण था। कांग्रेस के नेता देव कांत बरुआ ने कहा था, “इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा”।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी अपने हाथ में संविधान की प्रति लेकर संविधान बचाने की जो मुहिम 2024 से चला रहे हैं, उसमें साथ दे रहे इंडिया गठबंधन के अनेक दलों के प्रमुखों को मीसा, डीआईआर समेत अनेक धाराओं जेल में डाल दिया गया था। समग्र क्रांति का पटना के गांधी मैदान से बिगुल फूंकने वाले प्रख्यात समाजवादी विचारक जयप्रकाश नारायण को जेल में लंबी यातनाएं झेलनी पड़ी थीं। वे व्हीलचेयर पर हो गए थे। उनका गुर्दा खराब हो गया था। उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की कविता की दो पंक्तियों के माध्यम से जनता का आह्वान किया था – “समय के रथ का घर्र घर्र नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है”। उन्होंने चुनौती दी थी – “इंदु! लोक मेरे पास है, तंत्र आपके पास है, मैं लोक से तंत्र बदल दूंगा”। लालू प्रसाद यादव मीसा में निरुद्ध थे। जॉर्ज फर्नांडिस को कठोर यातनाएं दी गई थीं। जनसंघ के अटल बिहारी वाजपेयी जेल से नाम बदलकर कविताएं लिखते थे। मुलायम सिंह यादव समेत विपक्ष के सभी नेताओं को जेल की यातनाएं झेलनी पड़ी थीं।

संघ के लोग हुए गिरफ्तार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी, कार्यकर्ता बड़ी संख्या में जेल में डाल दिए गए थे। सर संघचालक बाला साहब देवरस, प्रो. राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया सहित अनेक प्रचारक जेल में बंद थे। तरह-तरह के आरोप लगाए गए थे। यातनाएं दी जा रही थीं। शाखा लगाने वाले मुख्य शिक्षक तक गिरफ्तार किए गए थे।
मामला यह था
रायबरेली के लोकसभा चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए वरिष्ठ नेता राज नारायण सिंह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी और इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द करने की मांग की थी। न्यायालय ने सुनवाई के बाद निर्णय इंदिरा गांधी के विरुद्ध सुनाया। उन्हें 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया। इन्हीं परिस्थितियों में अपने पुत्र संजय गांधी और अन्य नेताओं के परामर्श पर आपातकाल की कार्रवाई प्रारंभ कर दी और इसकी जानकारी राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को बाद में देकर उनसे इमरजेंसी की घोषणा करवा दी। ऑल इंडिया रेडियो से पूरे भारत में प्रसारण हो गया। इसके पूर्व ही समाचार पत्रों के बिजली के कनेक्शन काट दिए गए और समाचार प्रकाशन के लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई।
लोक पर तंत्र भारी पड़ गया
जनता का जनता के लिए जनता के द्वारा शासन हवा हवाई हो गया था। जो भी सरकार के खिलाफ बोलता, उसकी जगह जेल हो गई थी। लोक पर तंत्र राज कर रहा था। मिर्जापुर नगरपालिका के अध्यक्ष रह चुके कवि गोपाल चुनाहे को राबर्ट्सगंज के राजा तेजबली शाह क्लब मैदान पर चल रहे अखिल भारतीय कवि सम्मेलन से मंच से गिरफ्तार कर लिया गया था । उन्होंने रचना पढ़ी थी __”
लोक तंत्र में कौन बड़ा है ?
लोक बड़ा के तंत्र बड़ा है ?
प्रश्न खड़ा है , प्रश्न खड़ा है ,
जय प्रकाश आया है , नया प्रकाश लाया है ।

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