हिंडाल्को सीएसआर रेणुकूट की पहल- जल संचय से खुशहाली की ओर

रेणुकूट। हिण्डाल्को रेणुकूट क्लस्टर हेड  समीर नायक एवं क्लस्टर एचआर हेड  जसबीर सिंह के नेतृत्व में तथा सीएसआर हेड  अनिल झा के मार्गदर्शन में हिण्डाल्को का ग्रामीण विकास विभाग क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए पाँच प्रमुख विषयगत क्षेत्रों- स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका, सामाजिक सुधार एवं अवसंरचना विकास पर निरंतर कार्य कर रहा है। सीएसआर की गतिविधियाँ दुद्धी, म्योरपुर और बभनी तीनों ब्लॉकों तक विस्तारित हैं, जिसके अंतर्गत 180 गाँव और रेणुकूट के 10 मलिन बस्तियों को कवर करता है। इन पहलों के माध्यम से कंपनी समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रही है।

पानी जीवन का आधार है और इसके संरक्षण के बिना सतत विकास की कल्पना अधूरी है। इसी सोच को केंद्र में रखकर हिण्डाल्को सीएसआर, रेणुकूट ने “प्रोजेक्ट जल संचय” की शुरुआत की। इस परियोजना का उद्देश्य सिर्फ़ जल संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि भूमि और जल संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन, कृषि उत्पादकता में वृद्धि और ग्रामीण आजीविका को सशक्त करना भी है।

इस पहल के तहत वर्षा जल बहाव और मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए व्यापक कार्य किए गए। वित्तीय वर्ष -2024 तक कुल 45 चेकडैम और 17 बावलियों के निर्माण कराए गए। इन संरचनाओं ने क्षेत्र में 5,62,314 घन मीटर अतिरिक्त जल भंडारण क्षमता का निर्माण किया है, जिससे स्थानीय भूजल स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। पहले जहाँ खेती बारिश पर निर्भर थी, वहीं अब 426 एकड़ भूमि को 27 लिफ्ट इरिगेशन सिस्टम के माध्यम से सिंचाई के दायरे में लाया गया है। इससे किसानों को सालभर खेती करने का अवसर मिला। परिणामस्वरूप गर्मियों के मौसम में भी कुओं और हैंडपंपों में पर्याप्त पानी उपलब्ध रहने लगा है।

जल संरक्षण की इस पहल का सबसे बड़ा लाभ किसानों को मिला है। पहले जहाँ खेती बारिश पर निर्भर थी और गर्मियों में सिंचाई के साधन सीमित थे, वहीं अब 115 एकड़ से अधिक भूमि सिंचाई के दायरे में आ गई है। इससे फसल की उत्पादकता बढ़ी है और किसानों को अपनी आय बढ़ाने का अवसर मिला है। साथ ही, ग्रामीणों को कृषि के साथ-साथ अन्य सहायक व्यवसायों में भी विविधीकरण करने का अवसर मिला है, जिससे उनकी आजीविका और अधिक सुरक्षित व टिकाऊ बन पाई है।

“प्रोजेक्ट जल संचय” का एक और अहम पहलू यह है कि इसमें स्थानीय संस्थाओं को भी जोड़ा गया है। गांवों में समितियों और समूहों का गठन कर उन्हें परियोजना का स्वामित्व सौंपा गया है। इससे न केवल लोगों में जल संरक्षण को लेकर जागरूकता आई है, बल्कि सामुदायिक भागीदारी और ज़िम्मेदारी भी बढ़ी है। यह मॉडल भविष्य में भी लंबे समय तक टिकाऊ परिणाम सुनिश्चित करेगा।

हिंडाल्को रेनुकूट प्रबंधन का कहना है कि “जल संचय केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण की गारंटी है। हमारा उद्देश्य समुदायों को सशक्त करना और पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित विकास सुनिश्चित करना है।” इस पहल ने साबित कर दिया है कि जब उद्योग और समुदाय साथ आते हैं तो जल संरक्षण जैसी चुनौती भी अवसर में बदली जा सकती है। “जल है तो कल है” की सोच के साथ हिंडाल्को सीएसआर का यह प्रयास क्षेत्र में न केवल पर्यावरण को सुरक्षित कर रहा है, बल्कि ग्रामीण जीवन में खुशहाली और सतत विकास का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा  हैं।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *