काव्य संग्रह “जीत के लिए हार की चित्कार चाहिए” का भव्य लोकार्पण
वाराणसी। कवि बृज बिहारी गुप्ता ‘बृज उत्साह’ द्वारा रचित काव्य संग्रह “जीत के लिए हार की चित्कार चाहिए” का भव्य लोकार्पण समारोह रविवार, 2 नवम्बर 2025 को वाराणसी के केंद्रीय अनुसंधान केंद्र (सीडीसी बिल्डिंग), अटल इनक्यूबेशन सेंटर, बी.एच.यू. में सम्पन्न हुआ। यह आयोजन स्याही प्रकाशन के तत्वावधान में तथा ‘उद्गार’ साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संगठन के सहयोग से एक भावपूर्ण साहित्यिक वातावरण में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं पूर्व लेखाधिकारी श्री देवेंद्र पाण्डेय ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार, संपादक एवं प्रकाशक पं. छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ उपस्थित रहे। भूतपूर्व मुख्य विकास अधिकारी दयाराम विश्वकर्मा मुख्य वक्ता के रूप में मंचासीन थे। विशिष्ट अतिथियों में ज्ञानपुर के चेयरमैन घनश्याम दास गुप्ता और समाजसेवी डॉ. यू.एस. भगत शामिल रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन ख्यात साहित्यकार सुनील कुमार सेठ ने किया।
मुख्य अतिथि पं. छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ ने अपने संबोधन में कहा कि कवि बृज उत्साह की कविताएँ जीवन के संघर्ष और मानवीय संवेदनाओं को बड़े आत्मीय भाव से प्रकट करती हैं। यह पुस्तक केवल एक काव्य संग्रह नहीं बल्कि हार के गर्भ से जन्मी जीत की उद्घोषणा है, जो पाठकों को आत्मबल और प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि ऐसे लेखन से समाज में विचारों की नई ऊर्जा आती है और कविता अपनी सामाजिक भूमिका निभाती है।

अध्यक्ष देवेंद्र पाण्डेय ने कहा कि ‘जीत के लिए हार की चित्कार चाहिए’ शीर्षक स्वयं में गहरा जीवन-दर्शन समेटे हुए है। कवि ने अपनी रचनाओं में न केवल सौंदर्य का सृजन किया है बल्कि जीवन के संघर्षों में सकारात्मकता का संदेश भी दिया है। उन्होंने कहा कि कवि समाज का दर्पण होता है और बृज उत्साह ने अपनी कविताओं से उस दर्पण को सार्थक रूप दिया है।
मुख्य वक्ता श्री दयाराम विश्वकर्मा ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि यह पुस्तक जीवन के विविध अनुभवों की अभिव्यक्ति है। कवि ने मानवीय संवेदना और आशा को बड़ी सरलता और गहराई से प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि आज के समय में जब निराशा और असंतोष का वातावरण व्याप्त है, ऐसे में यह पुस्तक प्रेरणा का स्रोत बनकर सामने आती है।
लोकार्पण के पश्चात काव्यपाठ का सत्र आरंभ हुआ, जिसमें प्रसिद्ध कवियों ने अपनी भावपूर्ण रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। काव्यपाठ करने वाले कवियों में डॉ. अनिल सिंहा ‘बहुमुखी’, चन्द्रभूषण सिंह, आशिक बनारसी, खलील अहमद राही, माधुरी मिश्रा, सूर्य प्रकाश मिश्र, जी.एल. पटेल, विजय चन्द्र त्रिपाठी, बुद्धदेव तिवारी, सिद्धनाथ शर्मा और अचला पाण्डेय प्रमुख रहे। सभी कवियों ने अपनी कविताओं से साहित्यिक वातावरण को ऊर्जावान बना दिया।
समारोह के अंत में कवि बृज बिहारी गुप्ता ‘बृज उत्साह’ ने सभी अतिथियों, कवियों, पत्रकारों और साहित्यप्रेमियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पुस्तक उनके जीवन के अनुभवों की एक भावात्मक यात्रा है, जो हार को भी जीत में बदलने का संकल्प सिखाती है। यह संग्रह हर उस व्यक्ति को समर्पित है जिसने संघर्ष में भी मुस्कुराना सीखा।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गीत के साथ हुआ। इस अवसर पर वाराणसी और मिर्जापुर के अनेक साहित्यकारों, पत्रकारों एवं समाजसेवियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। यह आयोजन अपनी साहित्यिक गरिमा, प्रेरक संदेश और ‘उद्गार’ संगठन के सहयोग के कारण देर तक स्मरणीय बना रहा।
सादर,

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