हिंडालको महान में ऊर्जा संरक्षण माह का भव्य आगाज़, पर्यावरण संरक्षण का लिया गया संकल्प

सिंगरौली।हिंडालको महान में ऊर्जा संरक्षण माह का शुभारंभ उत्साह और जागरूकता के साथ ऊर्जा संरक्षण रैली के साथ आयोजन का आगाज किया गया। इस अवसर पर स्मेल्टर, कॉमन सर्विसेज एवं पावर प्लांट के ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों और अधिकारियों ने सहभागिता की। रैली के माध्यम से ऊर्जा बचत, पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कमी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर संदेश दिया गया।

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण केवल एक अभियान या एक माह का कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह एक सतत प्रक्रिया है, जिसे दैनिक कार्यशैली और जीवन व्यवहार का हिस्सा बनाना आवश्यक है। आज जब प्राकृतिक संसाधन सीमित होते जा रहे हैं और ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है, ऐसे में ऊर्जा का विवेकपूर्ण उपयोग ही आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकता है।

ऊर्जा प्रबंधक संजय चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में बताया कि औद्योगिक गतिविधियों के कारण कार्बन उत्सर्जन वैश्विक स्तर पर एक गंभीर चुनौती बन चुका है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा दक्षता बढ़ाकर न केवल उत्पादन लागत में कमी लाई जा सकती है, बल्कि पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए आधुनिक तकनीक, नियमित ऊर्जा ऑडिट और कर्मचारियों की सक्रिय भागीदारी बेहद जरूरी है।

इकाई प्रमुख एस. सेंथिल नाथ ने ऊर्जा संरक्षण दिवस एवं माह के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत में वर्ष 1991 से ऊर्जा संरक्षण माह का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य उद्योगों और आम नागरिकों में ऊर्जा बचत के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इस वर्ष की थीम “ऊर्जा बचाएं – जीवन बचाएं” इस बात को रेखांकित करती है कि ऊर्जा संरक्षण सीधे तौर पर मानव जीवन, पर्यावरण और आर्थिक स्थिरता से जुड़ा हुआ है।

उन्होंने जानकारी दी कि वर्तमान में हिंडालको महान में 1 टन एल्युमीनियम उत्पादन के लिए लगभग 14,000 यूनिट विद्युत ऊर्जा की खपत होती है, और कंपनी का निरंतर प्रयास है कि तकनीकी नवाचार, प्रक्रिया सुधार और बेहतर प्रबंधन के माध्यम से इस खपत को और कम किया जाए।

कार्यक्रम के दौरान कर्मचारियों ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि ऊर्जा संरक्षण की शुरुआत छोटे-छोटे कदमों से होती है—जैसे अनावश्यक लाइट और मशीनें बंद रखना, उपकरणों का सही रखरखाव, ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग और कार्य प्रक्रियाओं में सुधार। सभी ने यह भी माना कि सामूहिक प्रयासों से ही बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।

इस ऊर्जा संरक्षण कार्यक्रम को सफल बनाने में समीर सोनी,पी. दिनेश, तरुण कुशवाहा और कर्नल गौरव चतुर्वेदी का अहम योगदान रहा। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने ऊर्जा संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य करने का संकल्प लिया, ताकि सतत विकास के लक्ष्य को साकार किया जा सके।

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