डायमंड वार्षिक राशिफल 2026 : ज्योतिष, काल-विज्ञान और समकालीन विश्व का दर्पण

पुस्तक समीक्षा : समय, समाज और संसार का ज्योतिषीय दर्पण

उमेश कुमार सिंह

भारतीय ज्योतिष साहित्य की समृद्ध परंपरा में “डायमंड वार्षिक राशिफल 2026” एक ऐसी कृति के रूप में सामने आती है, जो केवल भविष्यकथन तक सीमित न रहकर समय, समाज, राष्ट्र और विश्व की समग्र चेतना को स्पर्श करती है। पं. रमेश भोजराज द्विवेदी द्वारा रचित यह ग्रंथ ज्योतिष को एक जीवंत, गतिशील और कर्मप्रधान विज्ञान के रूप में प्रस्तुत करता है। यह पुस्तक उन पाठकों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो ज्योतिष को अंधविश्वास नहीं, बल्कि काल-विज्ञान और जीवन-दर्शन के रूप में समझना चाहते हैं। डायमंड पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित डायमंड वार्षिक राशिफल 2026 जिसके लेखक पं. रमेश भोजराज द्विवेदी है इसमें 2025 के अन्तिम चार माह का राशिफल सहित 12 राशियों का साप्ताहिक भविष्यफल है।

पुस्तक की भूमिका से ही लेखक यह स्पष्ट कर देते हैं कि ज्योतिषशास्त्र का उद्गम ब्रह्मांड की उत्पत्ति के साथ जुड़ा हुआ है। अनंत आकाश, अनंत ग्रह-पिंड और सीमित मानव-बुद्धि के संदर्भ में लेखक का विवेचन दार्शनिक गहराई लिए हुए है। वे यह स्थापित करते हैं कि ज्योतिष केवल भविष्य बताने का माध्यम नहीं, बल्कि समय को समझने, उसके प्रभावों को पहचानने और कर्म के लिए प्रेरित करने वाला शास्त्र है। “तमसो मा ज्योतिर्गमय” की उपनिषदिक भावना को केंद्र में रखकर ज्योतिष को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक बताया गया है।

ग्रंथ का एक सशक्त पक्ष इसका ऐतिहासिक विवेचन है। ऋग्वैदिक काल से लेकर आधुनिक समय तक ज्योतिषशास्त्र की यात्रा को लेखक ने प्रमाणों, मतांतरों और विद्वानों के संदर्भों के साथ प्रस्तुत किया है।

लेखक पं. रमेश भोजराज द्विवेदी

लोकमान्य तिलक, पं. रघुनंदन शर्मा जैसे विद्वानों के मतों का उल्लेख यह दर्शाता है कि लेखक का दृष्टिकोण केवल पारंपरिक नहीं, बल्कि शोधपरक भी है। इससे पाठक को यह समझने में सहायता मिलती है कि ज्योतिष भारतीय ज्ञान-परंपरा का एक केंद्रीय स्तंभ रहा है, जिसने गणित, कृषि, खगोल, मौसम विज्ञान और धार्मिक अनुष्ठानों को दिशा दी।

डायमंड राशिफल 2026 का मुख्य आकर्षण वर्ष 2026 के वैश्विक और राष्ट्रीय भविष्यफल का विस्तृत विश्लेषण है। लेखक वर्ष 2026 को विश्व के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण बताते हैं। शनि का मीन राशि में गोचर, बृहस्पति की अतिचारी गति, राहु-केतु की स्थितियां—इन सभी ग्रहयोगों के आधार पर विश्व राजनीति, युद्ध की संभावनाओं, प्राकृतिक आपदाओं और आर्थिक अस्थिरता का जो चित्र उभरता है, वह पाठक को सोचने पर विवश करता है। लेखक ने 2025 से 2030 तक के कालखंड को मानव सभ्यता के लिए संकटपूर्ण बताया है और इसे केवल कल्पना नहीं, बल्कि ग्रह-स्थितियों का तार्किक परिणाम सिद्ध करने का प्रयास किया है।

पुस्तक में वैश्विक राजनीति का ज्योतिषीय विश्लेषण विशेष ध्यान आकर्षित करता है। अमेरिका, चीन, रूस, इज़राइल, पाकिस्तान, भारत जैसे देशों की भूमिका को ग्रहयोगों के संदर्भ में समझाया गया है। लेखक का यह कहना कि अतिचारी बृहस्पति और वक्री शनि विश्व तनाव को और बढ़ाएंगे, पुस्तक को समसामयिक और प्रासंगिक बनाता है। हालांकि विषय गंभीर है, फिर भी भाषा सहज और प्रवाहपूर्ण है, जिससे सामान्य पाठक भी इसे समझ सकता है।

भारत के संदर्भ में प्रस्तुत भविष्यफल पुस्तक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेखक स्पष्ट करते हैं कि वर्ष 2026 भारत के लिए भी पूरी तरह अनुकूल नहीं रहेगा। आर्थिक चुनौतियां, महंगाई, बेरोजगारी, राजनीतिक दबाव और विदेश नीति से जुड़े तनाव—इन सभी बिंदुओं पर ज्योतिषीय दृष्टि से विश्लेषण किया गया है। साथ ही, यह भी रेखांकित किया गया है कि केंद्र सरकार की स्थिरता बनी रहेगी, हालांकि कुछ राज्यों में चुनावी परिणाम अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं होंगे। यह संतुलित दृष्टिकोण पुस्तक को अतिरंजना से बचाता है।

आर्थिक भविष्यफल के संदर्भ में लेखक ने वैश्विक दी, महंगाई, पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि और शेयर बाजार की अस्थिरता पर जो संकेत दिए हैं, वे पाठक को सावधान रहने का संदेश देते हैं। यह ज्योतिष को केवल भविष्यवाणी नहीं, बल्कि चेतावनी और मार्गदर्शन का माध्यम बनाता है। लेखक का यह कथन कि ज्योतिष कर्म का विज्ञान है, यहां पूर्णतः सार्थक प्रतीत होता है।

पुस्तक का एक सकारात्मक पक्ष यह है कि इसमें ज्योतिष और विज्ञान के बीच के कथित संघर्ष पर भी विमर्श किया गया है। लेखक स्पष्ट करते हैं कि एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोलॉजी दोनों के क्षेत्र अलग हैं, किंतु एक-दूसरे के पूरक भी हो सकते हैं। यह दृष्टिकोण आधुनिक पाठक को ज्योतिष के प्रति अधिक तार्किक और संतुलित दृष्टि प्रदान करता है।

लेखक पं. रमेश भोजराज द्विवेदी का व्यक्तित्व और ज्योतिषीय यात्रा भी पुस्तक को विशेष बनाती है। अपने पिता, ज्योतिष शिखर पुरुष पं. भोजराज द्विवेदी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने ज्योतिष को सेवा, साधना और समाजोपयोगी विद्या के रूप में स्थापित किया है। उनके अनुभव, प्रशिक्षण शिविर, शिष्य-परंपरा और सामाजिक सेवा के उल्लेख पुस्तक की विश्वसनीयता को और सुदृढ़ करते हैं।

भाषा की दृष्टि से पुस्तक गंभीर विषयों के बावजूद बोझिल नहीं लगती। संस्कृतनिष्ठ हिंदी, शास्त्रीय उद्धरण और आधुनिक संदर्भ—इनका संतुलित प्रयोग इसे विद्वानों और सामान्य पाठकों दोनों के लिए पठनीय बनाता है। डायमंड राशिफल की लोकप्रियता, विभिन्न भाषाओं में उपलब्धता और निरंतर 33 वर्षों से प्रकाशन इस बात का प्रमाण है कि यह केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक विश्वसनीय परंपरा बन चुकी है।

समग्र रूप से डायमंड वार्षिक राशिफल 2026 एक ऐसी कृति है, जो ज्योतिष में आस्था रखने वालों के लिए मार्गदर्शक है और संदेह रखने वालों के लिए विचारोत्तेजक। यह पुस्तक भविष्य के प्रति भय नहीं, बल्कि सजगता और कर्मशीलता का संदेश देती है। क्योंकि यह समय की नब्ज को समझने का एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है—जहां ग्रह, काल और कर्म मिलकर मानव जीवन की दिशा निर्धारित करते हैं।

यह पुस्तक न केवल एक ज्योतिषीय ग्रंथ है, बल्कि समय, समाज और संस्कृति पर चिंतन का दस्तावेज़ भी है। इसकी विषयवस्तु सहमति या असहमति से परे जाकर पाठक को सोचने, प्रश्न करने और भारतीय ज्ञान परंपरा को नए दृष्टिकोण से देखने के लिए प्रेरित करती है।

पुस्तक का नाम: डायमंड वार्षिक राशिफल 2026

लेखक: पं. रमेश भोजराज द्विवेदी

प्रकाशक: डायमंड पॉकेट बुक्स

समीक्षक : उमेश कुमार सिंह

एवी के न्यूज सर्विस

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