कागजों में नशा,खातों में करोड़ों

सोनभद्र से झारखंड तक फैला कफ सीरप तस्करी का जाल

सोनभद्र। नशीले कफ सीरप का अवैध कारोबार अब केवल तस्करी तक सीमित नहीं रह गया है। यह कारोबार अब फर्जी मेडिकल स्टोर, फर्जी ड्रग लाइसेंस, कागजी खरीद-बिक्री और बैंक खातों के जरिए करोड़ों के लेन-देन का संगठित नेटवर्क बन चुका है। सोनभद्र पुलिस की ताजा कार्रवाई ने इसी खतरनाक सच्चाई को उजागर कर दिया है। पुलिस अधीक्षक आशीष वर्मा ने प्रेस वार्ता कर बताया कि करीब छह करोड़ रुपये के नशीले फेन्साडिल कफ सीरप प्रकरण में सोनभद्र पुलिस ने एक और अहम आरोपी को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी उस समय हुई, जब पहले से पकड़े गए ₹10 हजार के इनामिया अभियुक्त से जुड़े तार खुलते चले गए। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, वैसे-वैसे यह साफ होता गया कि यह मामला केवल एक जिले या राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें उत्तर प्रदेश, झारखंड और पूर्वांचल तक फैली हुई हैं।

जाने कैसे खुली परतें

सोनभद्र। पुलिस अधीक्षक सोनभद्र अभिषेक वर्मा के निर्देश पर ड्रग माफियाओं और कफ सीरप तस्करी के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत कफ सीरप तस्करी के मास्टर माइंड भोला प्रसाद जायसवाल को कोलकाता से गिरफ्तार कर चार दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिया गया। रिमांड के दौरान जब उसे रांची ले जाकर पूछताछ की गई, तो कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए। इसी पूछताछ में एक नया नाम उभरा सत्यम कुमार, उम्र करीब 28 वर्ष, निवासी कबीरचौरा, वाराणसी।

फर्जी मेडिकल, असली लाइसेंस

सोनभद्र। सूत्रों की माने तो जांच में सामने आया कि सत्यम कुमार ने रॉबर्ट्सगंज, सोनभद्र के ग्राम बरकरा कमरही रोड पर किराए का मकान लेकर ‘माँ कृपा मेडिकल’ के नाम से ड्रग लाइसेंस हासिल किया।

 हैरानी की बात यह है कि जिस पते पर मेडिकल स्टोर दिखाया गया, वहां कोई दुकान मौजूद ही नहीं थी। यानी, कागजों में मेडिकल स्टोर था, ड्रग लाइसेंस भी था, लेकिन जमीन पर उसका कोई अस्तित्व नहीं था। यही नहीं, इसी पते का इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये के नशीले कफ सीरप की खरीद-बिक्री दर्शाई जाती रही।

कागजों में करोड़ों की खरीद

सोनभद्र। पुलिस जांच के मुताबिक, फर्जी मेडिकल ‘माँ कृपा मेडिकल’ के नाम पर रांची (झारखंड) की शैली ट्रेडर्स से वर्ष 2024–25 के दौरान करीब 6 करोड़ रुपये के नशीले फेन्साडिल कफ सीरप की खरीद कागजों में दिखाई गई। इतना ही नहीं, सत्यम कुमार के भाई विजय गुप्ता के नाम से बनाई गई दूसरी फर्म ‘शिविक्षा फार्मा’ के नाम पर भी लगभग 6 करोड़ रुपये की इसी तरह की खरीद दर्शाई गई। यानी, कुल मिलाकर कागजों में करीब 12 करोड़ रुपये का नशीला कफ सीरप कारोबार दिखाया गया, जबकि जांच में एक भी शीशी का वास्तविक परिवहन नहीं पाया गया।

फर्जी बिक्री और पैसों की रोटेशन

सोनभद्र। कागजों में खरीदे गए इस नशीले कफ सीरप को भदोही जनपद की तीन फर्जी फर्मों आयुष इंटरप्राइजेज, सनाया मेडिकल और दिलीप मेडिकल के नाम पर सप्लाई दिखा दी गई। ये फर्में भी मौके पर अस्तित्व में नहीं पाई गईं। ना गोदाम, ना दुकान, ना कोई स्टाफ। लेकिन बैंक खातों में लेन-देन पूरी तेजी से चलता रहा। पुलिस के मुताबिक, करीब 6 करोड़ रुपये की रकम अलग-अलग खातों से घुमाकर शैली ट्रेडर्स के खाते में ट्रांसफर की गई। यह पैसा कई फर्मों और व्यक्तियों के खातों से होते हुए भेजा गया, ताकि असली स्रोत छिपा रहे।

ई-वे बिल से गढ़ी गई कहानी

सोनभद्र। पूछताछ में आरोपी ने यह भी स्वीकार किया कि पूरा खेल ई-वे बिल और फर्जी दस्तावेजों के सहारे चलाया जाता था। वाराणसी के नीचीबाग स्थित माँ कामाख्या एयर कार्गो ट्रांसपोर्ट से ई-वे बिल हासिल कर लिए जाते थे। इन दस्तावेजों की प्रतियां औषधि निरीक्षक कार्यालय, सोनभद्र को भेज दी जाती थीं, ताकि कागजों में सब कुछ वैध दिखाई दे। यानी, सिस्टम को दस्तावेज दिखे, जांच फाइलों में सब ठीक लगे, और नशे का कारोबार बिना शोर चलता रहे।

रिश्तों के सहारे नेटवर्क

सोनभद्र। पूछताछ में सत्यम कुमार ने बताया कि इस पूरे नेटवर्क की कमान उसके रिश्तेदार रवि गुप्ता(भदोही)और शैली ट्रेडर्स के संचालक शुभम जायसवाल के हाथ में थी। रवि गुप्ता अलग-अलग लोगों के नाम पर फर्जी फर्में खुलवाता था, जिनमें नकद पैसा जमा कराया जाता और फिर बैंकिंग चैनल के जरिए उसे आगे ट्रांसफर कराया जाता। हर शीशी पर तय मुनाफा मिलता था, जो इस खतरनाक कारोबार को और आकर्षक बनाता था।

सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बड़ा सवाल

सोनभद्र। पुलिस की यह कार्रवाई निश्चित तौर पर बड़ी सफलता है। लेकिन यह मामला सिर्फ तस्करों और फर्जी मेडिकल संचालकों तक सीमित नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यह है  जब दुकान थी ही नहीं, तो ड्रग लाइसेंस कैसे मिला? जब माल आया ही नहीं,

तो कागजों पर उसकी आवाजाही कैसे मान ली गई?यह सवाल प्रशासनिक व्यवस्था और निगरानी तंत्र की भूमिका पर भी खड़े होते हैं।

आगे क्या?

सोनभद्र। फिलहाल आरोपी पुलिस हिरासत में है और पूरे नेटवर्क की जांच की जा रही है। पुलिस का दावा है कि आने वाले दिनों में और भी नाम सामने आ सकते हैं और इस कफ सीरप तस्करी रैकेट पर और बड़ी कार्रवाई संभव है। यह कार्रवाई नशे के खिलाफ एक मजबूत कदम है, लेकिन साथ ही यह चेतावनी भी है कि अगर सिस्टम की निगरानी कमजोर रही, तो नशे का कारोबार कागजों के सहारे भी फलता-फूलता नजर आ रहा है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *