गंगा-जमुनी तहज़ीब से गुलजार हुआ राबर्ट्सगंज , ग़ालिब जयंती के अवसर पर मित्रमंच फाउण्डेशन, सोनभद्र ने आयोजित किया 23वाँ सालाना मुशायरा एवं कवि सम्मेलन

सोनभद्र। मित्र मंच फाउण्डेशन ने हर साल की तरह इस साल भी मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की 228वीं जयंती के मौके पर 27 दिसंबर,2025 को 23वाँ मुशायरा एवं कवि सम्मेलन आयोजित किया। मुशायरे एवं कवि सम्मेलन का आयोजन होटल अरिहंत के हॉल में किया गया। जिसमें देश भर के नामचीन शायरों-कवियों एवं एक कवयित्री ने अपनी ग़ज़लें, गीत और नज़्में पढ़कर गंगा-जमुनी तहज़ीब से राबर्ट्सगंज की आब-ओ-हवा को गुलजार किया। श्रोताओं ने सभी शायरों-कवियों और कवयित्री के कलामों को जमकर दाद देते हुए वाहवाही की। मुशायरे एवं कवि सम्मेलन से पहले मित्रमंच फाउंडेशन की कार्यकारिणी के सदस्य साहित्यकार अशोक तिवारी ने ग़ालिब की ज़िन्दगी और उनकी शायरी को लेकर तकरीर की।

मुशायरे एवं कवि सम्मेलन की सदारत राबटर््सगंज के ही शायर अब्दुल हई ने की, जबकि संचालन दिल्ली में रहने वाले सोनभद्र के शायर हसन सोनभद्री ने की और गालिब जयंती के मौके पर हर साल एक पेड़ लगाने का आह्वान किया तथा मित्र मंच के संरक्षक राधेश्याम बंका को याद करते हुए खिराजे अकीदत पेश कर उन्हे श्रद्धासुमन अर्पित किया। मुशायरा शाम 9ः30 बजे से रात्रि 2ः30 बजे तक चला। मुशायरे एवं कवि सम्मेलन का आगाज मित्रमंच फाउंडेशन के निदेशक एवं पूर्व नगर पालिका परिषद अध्यक्ष विजय जैन, मित्रमंच फाउंडेशन के संरक्षक उमेश जालान, मुशायरे के सदर अब्दुल हई एवं अन्य सम्मानित लोगों ने ग़ालिब की तस्वीर पर माल्यार्पण कर शम्मा रोशन की रस्म अदा करके की। इसके बाद मित्र मंच के अध्यक्ष विकास वर्मा ‘बाबा’ एवं कार्यकारिणी के संरक्षक उमेश जालान, अर्पण बंका एवं सदस्यों विनोद कुमार चौबे, नंदलाल केसरी, इकराम खां, विजयकांत मिश्रा आदि ने शायरों एवं कवियों का माल्यार्पण कर स्मृति चिन्ह भेंट किये। विजय जैन ने कवियित्री डॉ. मंजरी पांडेय को पुष्प गुच्छ और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। मुशायरे एवं कवि सम्मेलन की शुरुआत डॉ. मंजरी पांडेय ने सरस्वती वंदना के पश्चात ग़ालिब की ग़ज़ल ‘हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है। तुम्हीं कहो कि अंदाज़-ए-ग़ुफ़्तगू क्या है।’ पढ़कर की। श्रोताओं ने सभी शायरों-कवियों एवं कवयित्री की ग़ज़लें-नज्में और गीतों पर भरपूूर दाद दी। शायर अब्दुल हई ने कहा-‘बस एक सच के सिवा कुछ नहीं कहा मैंने, तमाम चेहरों का पानी उतर गया लोगो।’ रुस्तम इलाहाबादी ने कहा-‘मोती बहा के वक़्त का सैलाब ले गया,दरिया खँगालने में बहुत देर हो गई।’ हसन सोनभद्री ने कहा-‘ज़बाँ से हाल-ए-दिल ज़ाहिर न होने देंगे हम लेकिन ये आँखें दिल की रिश्तेदार हैं कुछ कह नहीं सकते। ‘पंडित प्रेम बरेलवी ने कहा-‘मिट्टी तेरे जहान की हम हैं मेरे ख़ुदा, चुपचाप बन गये हमें जैसा बना दिया।’ विकास वर्मा ‘बाबा’ ने कहा-‘इश्क़ ‘बाबा’ निभाना है मुश्किल,इश्क़ यूँ कर तो सभी लेते हैं।’ क़ाशिफ़ अदीब ने कहा-‘ताक़तवर से ताक़तवर भी डरते हैं सबकी कुछ न कुछ कमज़ोरी होती है। ’रेहान हाशमी ने कहा-‘जो मेरे गीतों का इक-इक पेज है। दर्द का मेरे वो दस्तावेज़ है।।’ कमल नयन त्रिपाठी ने कहा-‘अपनी ये उम्र फ़क़त दौर-ए-सितमज़ाई हो हम वो ख़ुशबख़्त कहाँ जिनकी पज़ीराई हो।।’’ डॉ. मंजरी पांडेय ने कहा-‘बारहा मैं ज़मीन होती हूँ। अपने भीतर ख़याल बोती हूँ।।’’ यावर प्रेम पथिक ने कहा-‘हो न हो ये भी ज़माने को गुमाँ है शायद। चाँद में बिजली है सड़कें हैं मकाँ है शायद।’ धनंजय सिंह राकिम ने कहा-‘बनाई है कमाकर तुमने अपनी हैसियत जितनी, गवांकर उससे ज्यादा हम बराबर तेरे बैठे थे।’ सदर के रचनापाठ के बाद मित्रमंच फाउण्डेशन, सोनभद्र के अध्यक्ष विकास वर्मा ‘बाबा’ ने देश भर से आए हुए सभी शायरों-कवियों, कवयित्री एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मुशायरे एवं कवि सम्मेलन की महफ़िल को अगले साल तक के लिए स्थगित किया। कार्यक्रम में मित्रमंच फाउण्डेशन के निदेशक एवं पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष विजय जैन, मित्रमंच फाउण्डेशन के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों में उमेश जालान, विकाश वर्मा, अर्पण बंका, विनोद कुमार चौबे , नंदलाल केसरी, इकराम खां, विजयकांत मिश्रा, अमित वर्मा, श्याम राय, प्रेम प्रकाश राय, धर्मराज जैन, संदीप चैरसिया, विनोद कुमार झुनझुनवाला, प्रतीक केसरी, महफ़ूज़ ख़ान, अरविंद स्वामी, ज़ुल्फ़िकार हैदर, मुनि महेश शुक्ला, विनय सिंह, विकास द्विवेदी, अशोक प्रसाद श्रीवास्तव, नसीम बाबू, तौक़ीर ज़ाफ़री के अलावा सैकड़ों साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

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