बालको की सर्कुलर इकोनॉमी से निर्माण को नई राह, फ्लाई ऐश से फ्लैट तक

बालकोनगर। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए फ्लाई ऐश (राख) के पुनः उपयोग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। थर्मल पावर प्लांट्स से उत्पन्न फ्लाई ऐश का पुनः उपयोग करते हुए उसे टिकाऊ ईंटों में बदला जा रहा है, जो प्रधानमंत्री आवास योजना सहित विभिन्न सरकारी परियोजनाओं में उपयोग की जा रही हैं। यह पहल ग्रामीण और शहरी आवास विकास में सतत आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए नए रास्ते खोल रही है।

राष्ट्रीय सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप बालको 70 से अधिक स्थानीय ईंट निर्माण यूनिट को फ्लाई ऐश की आपूर्ति कर रहा है, जिससे पर्यावरण-अनुकूल ईंटों का उत्पादन संभव हो पा रहा है और सार्वजनिक अधोसंरचना परियोजनाओं में इनका उपयोग किया जा रहा है। फ्लाई ऐश ईंटें पारंपरिक लाल ईंटों की तुलना में हल्की, अधिक टिकाऊ और थर्मल इंसुलेशन में बेहतर होती हैं, जिससे ये ऊर्जा की बचत वाले निर्माण कार्यों के लिए उपयुक्त साबित होती हैं। जबकि लाल ईंटों के निर्माण में उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिससे भूमि क्षरण होता है। वहीं फ्लाई ऐश ईंटें औद्योगिक अपशिष्ट का पुनः उपयोग करके प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में योगदान देती हैं और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती हैं। यह परिवर्तन भारत की सर्कुलर इकोनॉमी के लक्ष्यों को सीधे तौर पर लाभप्रद साबित हो रहा है और स्थानीय उद्यमों को सशक्त बना रहा है।

बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक श्री राजेश कुमार ने कहा कि बालको में हम सर्कुलर इकोनॉमी के सिद्धांतों को अपनाकर न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि स्थानीय समुदाय और सूक्ष्म उद्योगों को भी सशक्त बना रहे हैं। फ्लाई ऐश से बनी ईंटों का इस्तेमाल बढ़ाकर हम पर्यावरण के अनुकूल निर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं। यह हमारे संसाधनों के सस्टेनेबल इस्तेमाल की एक दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का हिस्सा है।

बालको की फ्लाई ऐश इस्तेमाल करने की योजना का मकसद संसाधनों का बेहतर और सही तरीके से उपयोग करना है। कंपनी 100 प्रतिशत ऐश उपयोग प्राप्त कर चुकी है और सीमेंट, निर्माण तथा सड़क विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में फ्लाई ऐश की आपूर्ति कर रही है। इस पहल के माध्यम से बालको औद्योगिक अपशिष्ट के उत्पादक उपयोग को बढ़ावा देते हुए एक हरित भविष्य की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है, जो उद्योग और पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहा है।

कंपनी ऐश कंट्रोल टॉवर (एसीटी) तकनीक से राख प्रबंधन दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने और राख के परिवहन को सुव्यवस्थित करने के लिए रियल टाईम की निगरानी भी करता है। कंपनी शत प्रतिशत ऐश उपयोग कर रही है जो उद्योग जगत के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह उपलब्धि ऐसे समय में सामने आई है जब भारत सरकार भी अपशिष्ट से संपत्ति (वेस्ट टू वेल्थ) जैसी योजनाओं के माध्यम से सर्कुलर इकोनॉमी को राष्ट्रीय प्राथमिकता बना रही है। ऐसे में बालको का यह मॉडल राष्ट्रनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका की तरह देखा जा रहा है।

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