आदि कर्मयोगी अभियान: जनजातीय बहुल गांवों में बुनियादी सुविधाएं होंगी संतृप्त

*सरल-सहज एवं मित्रवत जुड़ाव से लक्ष्य होगा पूरा : मुख्य सचिव अमिताभ जैन*

*आदि कर्मयोगी मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण का मुख्य सचिव ने किया शुभारंभ*

*राज्य के 28 जिलों के 138 विकासखंडो में संचालित होगा आदि कर्मयोगी अभियान*

*1.33 लाख आदि कर्मयोगी जनजातियों के विकास में देंगे सहभागिता*

रायपुर, /प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए कर्मयोगी अभियान के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में आदि कर्मयोगी जनजातीय बाहुल्य गांवों में बुनियादी अधोसंरचना और सुविधाओं में जो भी ‘क्रिटिकल गैप’ शेष हैं, उनकी पहचान करेंगे। स्थानीय प्रशासन के माध्यम से इन कमियों को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। इससे हर ग्राम बुनियादी सुविधाओं से संतृप्त होगा। मुख्य सचिव अभिताभ जैन ने आज राजधानी रायपुर में आयोजित आदि कर्मयोगियों के लिए राज्य स्तरीय उन्नमुखीकरण एवं जिला मास्टर टेªनर्स के चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। 

मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन ने कहा कि आदि कर्मयोगी जनजातियों से सहज-सरल एवं उनकी ही भाषा व बोलचाल में मित्रवत जुड़ाव से आदि कर्मयोगी अभियान का उद्देश्य पूरा होगा। ऐसे आदि कर्मयोगी साथी को भी इस अभियान में जोड़ने की भी जरूरत है, जो गोड़ी, हल्बी, भतरी, सदरी आदि बोली-भाषा का ज्ञान रखते हैं।

  श्री सोनमणी बोरा ने कहा कि आदि कर्मयोगी अभियान के तहत पूरे देश में आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में 20 लाख स्वयंसेवकों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस राष्ट्रीय लक्ष्य में छत्तीसगढ़ राज्य की भागीदारी सक्रिय है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 28 जिलों के 138 विकासखंडो में लगभग 1 लाख 33 हजार वॉलंटियर्स को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे जनभागीदारी और जनजागरूकता के माध्यम से समयबद्ध रूप से पूर्ण किया जाना है।

प्रमुख सचिव श्री बोरा ने बताया कि जनजातीय समुदायों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में धरती आबा और पीएम-जनमन जैसे संतृप्तिमूलक अभियानों की भी शुरुआत की गई है, जिनके अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य ग्रामों एवं पीवीटीजी बस्तियों में आवास, पक्की सड़कें, जलापूर्ति, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि जनजातीय बाहुल्य गांवों में बुनियादी अधोसंरचना और सुविधाओं में जो भी ‘क्रिटिकल गैप’ शेष हैं, उनकी पहचान कर और आगामी 2 अक्टूबर 2025 को ग्राम सभाओं में इस पर विशेष चर्चा की जाएगी। प्रशिक्षण कार्यशाला में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती ऋचा शर्मा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती निहारिका बारिक सिंह, आदिम जाति विभाग के आयुक्त डॉ. सारांश मित्तर, टीआरआई की संचालक श्रीमती हिना अनिमेष नेताम, वन विभाग के पीसीसीएफ अनिल साहू, राज्य मास्टर टेªनर्स अभिषेक सिंह सहित स्कूल शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं जिलों से 105 प्रशिक्षाणर्थी शामिल थे।

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