दुद्धी, सोनभद्र। ऐतिहासिक श्री रामलीला खेल मैदान में चल रहे विगत नौ दिवसीय श्री सुदर्शन 21 कुंडीय महायज्ञ का समापन पूर्ण आहुति के साथ आज शुक्रवार को समाप्त हुआ। समापन उपरांत श्री श्री 1008 श्री रामानुजाचार्य वैष्णो मणि नारायण स्वामी महाराज एवं आए हुए उनके सहयोगी साधु यज्ञ हवन मंत्रउच्चारण कर्ताओ ने बड़े ही शांतिपूर्ण तरीके से सुदर्शन यज्ञ का समापन कराया, जिसमें 9 दिनों तक सुबह से लेकर शाम तक श्री रामलीला मैदान भक्तिमय एवं मंत्र उच्चरणों से अभिभूत रहा संध्याकालीन संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा भक्ति रसगान का सुंदर दृश्य नित्य दिन महाराज जी के द्वारा श्रद्धालुओं भक्तों को श्रवण करने वह देखना को मिलता रहा, इन पवन दोनों के बीच में देश के कई राज्यों से महान संत, साधु, शास्त्रियों का दुद्धी की धरती पर आगमन हुआ,जिन्होंने आध्यात्म के माध्यम से आत्म शुद्धि का ज्ञान दिया, उज्जैन से श्री रूप कृष्ण शास्त्री ज्योतिषाचार्य महाराज जी का भी तीन दिन का सानिध्य, इस यज्ञ पूजा एवं कथा में लोगों को ज्ञान प्राप्त हुआ।
उन्होंने रुद्राक्ष देकर अध्यात्म के द्वारा कई भक्तों श्रद्धालुओं की बीमारियों को दूर किया साथ ही साथ घरों में चल रहे दुवेश क्लेश ऊपरी आपटा को दूर करने की विधि बताते हुए उनके मन की समस्याओं को भी दूर करते हुए ईश्वर की आराधना पूजा करने को बताया, वही संध्याकालीन चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के अध्यायों में महाराज जी के द्वारा लोगों को यज्ञ पूजा एवं सत्कर्म के बारे में बताया जिसमें उन्होंने बताया कि किसी भी व्यक्ति को जानबूझकर कष्ट देना या किसी प्रकार का धोखा देकर उसे नुकसान पहुंचाना यह पाप है,किसी व्यक्ति को सदैव अच्छे कर्म करने व अच्छे विचार को अपने अंदर समाहित कर सदाचार समर्पण एवं सहयोग की भावना से किसी भी मानव की सेवा करते हुए ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए, जिससे उसके शरीर में रहने वाली आत्मा परमात्मा से जुड़कर आप के बारे में अच्छाइयों का वर्णन करते हुए आपको ईश्वर के शिस चरणों में स्थान दिलाने में सहयोग पकर सके, यज्ञ हवन के अंतिम दिन सुबह से दोपहर तक विधिवत चारों दिशा में विद्यमान देवी देवताओं एवं चारों वेदों को स्मरण करते हुए महाराज जी के द्वारा सभी यजमानों के सहयोग से सुदर्शन महायज्ञ की पूर्णाहुति देकर श्री नारायण को भक्तों ने पूरी अंतरात्मा से याद किया और अपने इस यज्ञ के द्वारा घर परिवार क्षेत्र नगर सहित पूरे विश्व के लिए लोकमंगल ही कामना करते हुए प्रभु नारायण से क्षमा याचना की गई इसके बाद सभी भक्तों ने नारायण नारायण आचार्य महाराज से ज्ञान प्राप्त किया। दोपहर 12 बजे भंडारे का भोग लगाने के उपरांत सुदर्शन यज्ञ के भंडारे का आयोजन मां भारती जन सेवा ट्रस्ट एवं उनके सहयोगियों के द्वारा बृहद रूप से किया गया,जिसमें आयोजनकर्ता के सहयोगियों के द्वारा भंडारे का प्रसाद वितरण किया गया।

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