शब्दों के तीर और मर्यादा का सम्मान: जीवंत हुआ परशुराम-लक्ष्मण संवाद

 रेणुकूट। हिंडाल्को रामलीला परिषद के तत्वावधान में रामलीला के तीसरे दिन की लीला का शुभारंभ हिण्डाल्को के मुखिया समीर नायक, मानव संसाधन प्रमुख जसबीर सिंह, एल्युमिना प्लांट हेड रोहित चौरसिया, पब्लिसिटी हेड- यशवंत कुमार व अन्य द्वारा श्री गणेश जी की आरती, श्री रामचरित् मानस का पूजन एवं दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। 

सीताजी द्वारा गौरी पूजन, धनुष यज्ञ, लक्ष्मण-परशुराम संवाद व राम-सीता विवाह आदि का मंचन सजीवता से किया गया जिसने सभी दर्शकों को भावविभोर कर दिया । धनुष यज्ञ के प्रसंग में मिथिला नरेश राजा जनक की घोषणा पर शिव धनुष को भंग करने के लिए कई देश के राजकुमार मिथिला पहुंचते हैं। रावण भी स्वयंवर में पहुंचता है, परन्तु अपने आराध्य शिवजी की धनुष तोड़ने की बात पर वह स्वयंवर से हट जाता है। श्रीराम शिव धनुष को उठा प्रत्यंचा चढ़ाकर भंग कर देते हैं। 

इस पर शिव भक्त परशुराम अपने आराध्य के धनुष को भंग होता देखकर अत्यन्त क्रोधित हो जाते हैं । जिसके बाद परशुराम और लक्ष्मण में तीखे संवाद होते हैं । अंत में श्रीराम अपनी मधुर वाणी से परशुरामजी के क्रोध को शांत करने में सफल होते हैं। इसके बाद गाजे-बाजे के साथ श्रीरामजी अपनी बारात लेकर मिथिला पहुंचते हैं और मंगल गीतों के बीच सीताजी से उनका विवाह संपन्न होता है।  इसके साथ ही लक्ष्मण का उर्मिला से, भरत का माण्डवी से व शत्रुघ्न का श्रुर्तिकीर्ति के साथ विवाह का दृश्य भी बड़ी भव्यता से मंचित होता है। इस मंचन को देख श्रीराम के जयघोष से पूरा मैदान गूंज उठता है।  इस दौरान रामलीला परिषद के अध्यक्ष पी. के. उपाध्याय, सचिव आदित्य प्रकाश पांडे एवं कोषाध्यक्ष पद्माकर मिश्रा मौजूद रहे।

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