प्रधानमंत्री ने महि बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना की आधारशिला रखी

नई दिल्ली :  प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने आज राजस्थान के बांसवाड़ा ज़िले में अणुशक्ति विद्युत निगम लिमिटेड (ASHVINI) की महि बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना (MBRAPP) – 4 x 700 मेगावाट की आधारशिला रखी। लगभग ₹42,000 करोड़ के निवेश से बनने वाली यह परियोजना पूर्ण होने पर देश की सबसे बड़ी परमाणु परियोजनाओं में से एक होगी। यह संयंत्र विश्वसनीय बेस लोड ऊर्जा प्रदान करेगा और पर्यावरण संरक्षण व विकसित हो रहे परमाणु ऊर्जा परिदृश्य में भारत की स्थिति को और मजबूती देगा।

इस अवसर पर  राज्यपाल  हरिभाऊ किसनराव बागडे, माननीय मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा, माननीय केंद्रीय मंत्री  प्रह्लाद जोशी (नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण), राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

MBRAPP में चार स्वदेशी 700 मेगावाट प्रेसराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर (PHWRs) होंगे, जिन्हें IPHWR-700 भी कहा जाता है। इन्हें NPCIL द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। यह परियोजना भारत की “फ़्लीट मोड” पहल का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत एक समान डिज़ाइन और खरीद प्रणाली पर आधारित दस 700 मेगावाट रिएक्टर देशभर में बनाए जा रहे हैं। इनमें से तीन पहले ही चालू हो चुके हैं और महि बाँसवाड़ा भी इसी श्रृंखला का हिस्सा है। यह पहल आत्मनिर्भर भारत की भावना को प्रोत्साहित करती है और लागत दक्षता, तेज़ निर्माण तथा एकीकृत संचालन विशेषज्ञता उपलब्ध कराती है।

यह परियोजना अणुशक्ति विद्युत निगम लिमिटेड (ASHVINI) द्वारा विकसित की जा रही है, जिसमें NPCIL (51%) और NTPC (49%) की संयुक्त भागीदारी है। दोनों कंपनियों की वित्तीय, तकनीकी और परियोजना विशेषज्ञता इस उद्यम को मजबूती प्रदान कर रही है।

पूर्ण होने पर, MBRAPP राजस्थान और अन्य लाभार्थी राज्यों को स्वच्छ, किफायती और विश्वसनीय ऊर्जा उपलब्ध कराएगा। इसके साथ ही, यह परियोजना प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन करेगी और स्थानीय समुदायों, व्यापार एवं उद्योगों को सहयोग देकर राज्य और देश की आर्थिक प्रगति को गति देगी।

इसी अवसर पर, माननीय प्रधानमंत्री ने राजस्थान सोलर पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (RSDCL) के नौख सोलर पार्क (925 मेगावाट) का उद्घाटन भी किया, जिसमें NTPC द्वारा 735 मेगावाट क्षमता विकसित की जा रही है। यह अक्षय ऊर्जा परियोजना भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगी, बड़ी मात्रा में हरित ऊर्जा उत्पन्न करेगी और हर वर्ष लाखों टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से बचाएगी। यह परियोजनाएँ न केवल ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेंगी, बल्कि प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन कर आर्थिक वृद्धि को भी गति प्रदान करेंगी।

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