एनटीपीसी कोलडैम में बालिका सशक्तिकरण अभियान 2025 का सफल समापन

विलासपुर। भारत सरकार के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को सशक्त समर्थन देने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई NTPC की फ्लैगशिप योजना – बालिका सशक्तिकरण अभियान 2025 का एनटीपीसी कोलडैम में समापन दिनांक 8 अगस्त 2025 को हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ।

इस विशेष अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में परियोजना प्रमुख सुभाष ठाकुर एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में महाप्रबंधक (प्रचालन एवं अनुरक्षण)  एसएस राव एवं रेखा ठाकुर, अध्यक्षा संगिनी संघ ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। साथ ही मानव संसाधन प्रमुख उमेश कुमार, अपर महाप्रबंधक (तकनीकी सेवाएं) कुमार स्वाधीन, अपर महाप्रबंधक (मा॰ सं.) सुगाता दासगुप्ता, सभी विभागाध्यक्ष, डीसी सीआईएसएफ अजय कुमार बाली, CSR टीम, यूनियन एवं एसोसिएशन के पदाधिकारी, संगिनी संघ के पदाधिकारी, माएजेन  संस्थान के कोरडीनटोर व शिक्षक, प्रतिभागी बालिकाएं, उनके अभिभावक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे|

अपने सम्बोधन में परियोजना प्रमुख  सुभाष ठाकुर ने कहा कि “यह गर्व की बात है कि NTPC कोलडैम निरंतर बालिकाओं के सशक्तिकरण में सक्रिय योगदान दे रहा है। यह केवल एक शिविर नहीं, बल्कि एक सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन की पहल है, जो आज देश में बालिका सशक्तिकरण का सशक्त माध्यम बन चुका है।

इस अवसर पर बालिकाओं ने भारत की विविध संस्कृति को दर्शाने वाला सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया| नृत्य, नाट्य, योग आदि की मनोहारी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बालिकाओं ने आत्मविश्वास, उत्साह और ऊर्जा के साथ मंच पर अपनी प्रतिभा का ऐसा प्रदर्शन किया कि पूरा वातावरण उल्लास और प्रेरणा से भर उठा। 

कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागी बालिकाओं को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए। डि-रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के उपरांत बालिकाओं को उनके अभिभावकों के साथ विदा किया गया। यह विदाई पल सभी के लिए भावुक कर देने वाला था| एनटीपीसी कोलडैम में बालिका सशक्तिकरण अभियान 12 जुलाई से 8 अगस्त 2025 तक आयोजित किया  गया। इस वर्ष परियोजना प्रभावित क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों से चयनित 47 बालिकाओं ने बालिका सशक्तिकरण अभियान में भाग लिया वा कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पूर्ण किया|

NTPC कोलडैम द्वारा आयोजित GEM 2025 कार्यक्रम की यह सफलता, न केवल संस्थान के सामाजिक उत्तरदायित्व का परिचायक है, बल्कि यह भी सिद्ध करती है कि सही अवसर, मार्गदर्शन और मंच मिलने पर ग्रामीण व अल्पविकसित क्षेत्रों की बेटियाँ भी समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।

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