स्कूल बदलकर लिया एनटीपीसी कोलडैम के बालिका सशक्तिकरण अभियान शिविर में भाग

शिमला, हिमाचल। एनटीपीसी लिमिटेड की नैगम सामाजिक दायित्व गतिविधियों के अंतर्गत पूरे देश में फैले एनटीपीसी स्टेशनों में हर साल बालिका सशक्तिकरण अभियान चलाया जाता है| इस अभियान के तहत परियोजना प्रभावित क्षेत्र के सरकारी स्कूल की लड़कियां एक महीने तक एनटीपीसी परिसर में रहकर पढ़ाई, खेलकूद, व अन्य रचनात्मक गतिविधियाँ में भाग लेती है| 

एनटीपीसी कोलडैम में 12 जुलाई से 8 अगस्त 2025 तक चल रहे बालिका सशक्तिकरण अभियान के इस सत्र में सैकड़ों बेटियां अपने भविष्य को आकार दे रही हैं। इसी समूह में एक लड़की ऐसी भी हैं, जिसने इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अपने गांव से स्कूल स्थानांतरित किया।

परिधि शर्मा ने सारी घाट गाँव से चाम्यों गाँव के स्कूल में दाखिला लिया है, परिधि बताती है की उनकी बुआ निशा ठाकुर एनटीपीसी के धनवन्तरी अस्पताल  में नर्स का काम करती है व हर साल बालिका सशक्तिकरण अभियान से बालिकाओं के जीवन में अमूल्य बदलाव होते देखती है, उन्ही के कहने पर मैंने कक्षा 5 में यहा के स्कूल में दाखिला लिया व अब में कक्षा 6 में आने के बाद एनटीपीसी कोलडैम के बालिका सशक्तिकरण अभियान में आई हूँ|  इनके इस निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एनटीपीसी कोलडैम में यह अभियान अब महज़ एक प्रशिक्षण शिविर नहीं, बल्कि लड़कियों के लिए आत्मविकास और जीवन निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण मंच बन चुका है। इस वर्ष इस कार्यक्रम  में कुल 47  बच्चियाँ हिस्सा ले रही हैं| हर वर्ष की भाति इस वर्ष भी बच्चियाँ, शिक्षा, योग, फिटनेस, जीवन कौशल सत्र, रचनात्मक गतिविधियाँ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में शामिल हो रही हैं| एनटीपीसी कोलडैम में  बालिका सशक्तिकरण अभियान की शुरुआत 2019 में की गई थी और तब से यह कार्यक्रम लगभग 200 से अधिक ग्रामीण बच्चियों के जीवन में बदलाव ला चुका है।

परिधि कहती हैं, “जब मैं पहली बार यहां आई थी, तो किसी से बात करने में भी डर लगता था। लेकिन अब, मैं न सिर्फ पढ़ाई करती हूं, बल्कि पेंटिंग, डांस, और मंच पर बोलना भी मुझे अच्छा लगने लगा है।” वह बताती है, “यहां आकर मैं और भी ज़्यादा आत्मविश्वासी हो गई हूं। अब लगता है कि मैं कुछ भी कर सकती हूं।” एनटीपीसी कोलडैम का बालिका सशक्तिकरण अभियान न केवल लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रहा है, बल्कि गांवों में एक सकारात्मक बदलाव की लहर भी ला रहा है। यह अभियान सिर्फ बच्चियों की पढ़ाई तक सीमित नहीं, बल्कि उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास को केंद्र में रखता है। शिविर का समापन आगामी 8 अगस्त को होगा, लेकिन प्रतिभागी बच्चियों के लिए इससे मिली सीखें और अनुभव जीवन भर साथ रहेंगे। 

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