छत्तीसगढ़ में लंबित मामलों के निराकरण के लिए चलेगा “मध्यस्थता राष्ट्र के लिए” अभियान 

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की अध्यक्षता में वर्चुअल बैठक सम्पन्न

रायपुर। छत्तीसगढ़ में न्यायिक प्रक्रियाओं को सरल, त्वरित और जन-हितैषी बनाने के लिए शुरू किए गए “मध्यस्थता राष्ट्र के लिए” अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु आज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण वर्चुअल बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में प्रदेश के सभी प्रधान जिला न्यायाधीश, परिवार न्यायालयों के प्रधान न्यायाधीश, वाणिज्यिक न्यायालय रायपुर के न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव, बिलासपुर, और सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सचिव शामिल हुए।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने अपने संबोधन में मध्यस्थता को न केवल एक वैकल्पिक विवाद निपटान प्रणाली, बल्कि न्याय को सुलभ और प्रभावी बनाने का सशक्त माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता से लंबित मामलों की संख्या में कमी लाई जा सकती है और पक्षकारों को संतोषजनक समाधान प्राप्त हो सकता है। उन्होंने सभी न्यायालयों को अधिक से अधिक मामलों को मध्यस्थता के लिए चिह्नित करने और रेफरल प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप से लागू करने का निर्देश दिया। साथ ही, मध्यस्थता निगरानी समिति को समयबद्ध तरीके से प्रतिवेदन प्रेषित करने पर जोर दिया।

बैठक की सह-अध्यक्षता न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू, अध्यक्ष-छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की मध्यस्थता एवं सुलह निगरानी समिति, तथा समिति के सदस्य न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी और न्यायमूर्ति राधाकिशन अग्रवाल ने की। बैठक में मध्यस्थता केंद्रों की भूमिका, प्रक्रिया और मामलों की पहचान से संबंधित महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश साझा किए गए।यह अभियान छत्तीसगढ़ में न्यायिक प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मध्यस्थता को एक सशक्त विकल्प के रूप में अपनाने पर बल देते हुए, बैठक में यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया कि राज्य के सभी स्तरों पर इस प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।

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