भारत निर्वाचन आयोग ने पिछले एक महीने में निर्वाचन प्रक्रियाओं को मजबूत करने की दिशा में साहसिक कदम उठाए

*लगभग 1 करोड़ निर्वाचन अधिकारियों की निरंतर क्षमता वृद्धि के लिए डिजिटल प्रशिक्षण की योजना*

*निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी स्तर पर लगभग 5000 सर्वदलीय बैठकों के माध्यम से राजनीतिक दलों की भागीदारी*

रायपुर / भारत के 26वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में, निर्वाचन आयुक्तों डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के साथ, भारत निर्वाचन आयोग ने पदभार ग्रहण करने के एक महीने से भी कम समय में पूरी निर्वाचन मशीनरी को बीएलओ स्तर तक सभी मतदाताओं की भागीदारी को बढ़ावा देने और मतदान केंद्रों पर उनके लिए सुखद अनुभव सुनिश्चित करने के मार्ग पर दृढ़ता से आगे बढ़ाया है। राजनीतिक दलों को, जो प्रमुख हितधारक हैं, को भी जमीनी स्तर पर शामिल किया जा रहा है।

आयोग ने पुनः पुष्टि की है कि लगभग 100 करोड़ मतदाता हमेशा लोकतंत्र के आधार स्तंभ हैं। यूआईडीएआई और भारत निर्वाचन आयोग के विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द शुरू होंगे। हालांकि एक मतदाता केवल अपने निर्धारित मतदान केंद्र पर ही मतदान कर सकता है, आयोग ने देश भर में मतदाता पहचान पत्र के नंबरों में दोहराव को समाप्त करने और दशकों पुरानी समस्या को 3 महीने के भीतर खत्म करने का संकल्प लिया है। जन्म और मृत्यु पंजीकरण प्राधिकरणों के साथ समन्वय से मतदाता सूची का नियमित अद्यतन मजबूत किया जाएगा।

सभी पात्र नागरिकों का शत-प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित करना, मतदान की सुगमता और सुखद मतदान अनुभव कराना भारत निर्वाचन आयोग का प्रमुख उद्देश्य है। यह सुनिश्चित करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा कदम उठाए जाएंगे कि कोई भी मतदान केंद्र 1,200 से अधिक मतदाताओं वाला न हो और यह मतदाताओं से 2 किमी के दायरे में हो। सबसे दूरस्थ ग्रामीण मतदान केंद्रों में भी मूलभूत सुविधाएं (एएमएफ) सुनिश्चित की जाएंगी। शहरी उदासीनता से निपटने और अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए, ऊंची इमारतों और कॉलोनियों के समूहों में भी उनके परिसर के भीतर मतदान केंद्र होंगे।

लगभग 1 करोड़ निर्वाचन कर्मियों की व्यापक और निरंतर क्षमता निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, 4 और 5 मार्च को नई दिल्ली में आईआईआईडीईएम में सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों की दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें पहली बार प्रत्येक राज्य / केंद्रशासित प्रदेश के जिला निर्वाचन अधिकारी और निर्वाचक रजिस्ट्रकरण अधिकारियों ने भाग लिया। सम्मेलन ने संविधान, निर्वाचन कानूनों और भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के ढांचे के अनुसार 28 हितधारकों और उनकी जिम्मेदारियों के स्पष्ट मानचित्रण के साथ पूरी निर्वाचन मशीनरी को ऊर्जा प्रदान करने पर जोर दिया।

आयोग द्वारा राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और उनके नियुक्त बीएलए को निर्वाचन कानूनों के अनुसार दावों और आपत्तियों सहित उचित प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षण देने के प्रस्ताव का राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है। भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से चुनाव संचालन से संबंधित किसी भी और सभी मामलों पर सुझाव आमंत्रित किए हैं और वे इन्हें 30 अप्रैल, 2025 तक भेज सकते हैं। दलों को दिल्ली में आयोग से आपसी सुविधाजनक समय पर मिलने का निमंत्रण भी दिया गया है। ये साहसिक और दूरगामी पहल चुनावों के पूरे दायरे को कवर करती हैं और सभी प्रमुख हितधारकों को भागीदारी पूर्ण तरीके से शामिल करती हैं।

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