समयबद्ध तरीके से मोरवा पुनर्स्थापन को पूर्ण करने हेतु  सभी पक्षकारों से निरंतर संवाद कर रही एनसीएल

मोरवा पुनर्स्थापन से संबंधित जानकारियों को मंचों से लगातार कर रहे हैं साझा

सहभागी  और पारदर्शी पुनर्स्थापन के लिए हर ज़रूरी कदम उठाने को तैयार एनसीएल

सोनभद्र , सिंगरौली । नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) की जयंत परियोजना के विस्तार के लिए ज़रूरी ‘मोरवा पुनर्स्थापन’ प्रक्रिया को मूर्त रूप देने के लिए  कंपनी तेज़ी से कार्य कर रही है l समयबद्ध तरीके से पुनर्स्थापन प्रक्रिया को पूरा करने हेतु कंपनी, सभी पक्षकारों से निरंतर बातचीत कर मोरवा पुनर्स्थापन से जुड़ी छोटी-बड़ी जानकारी नियमित रूप से संबंधित मंचों से साझा कर रही है l

एनसीएल का यह मानना है कि जागरूकता, सहभागिता, पारदर्शिता और डिजिटलीकरण के साथ मानवीय दृष्टिकोण, मोरवा पुनर्स्थापन के प्रमुख स्तंभ हैं l कंपनी स्वीकार्य पुनर्स्थापन के आलोक में सभी पक्षकारों के  सुझावों और अभिमत का आदर करती है l साथ ही कंपनी, सिंगरौली पुनर्स्थापन से जुड़े मंचों के नियम सम्मत मंतव्यों का ‘आर एंड आर स्कीम’ (ड्राफ्ट) प्रारूप में समावेशन हेतु प्रतिबद्ध है l

उपरोक्त वर्णित मंशा के अनुरूप ‘आर एंड आर स्कीम’ को समावेशी बनाने के उद्देश्य से  एनसीएल ने ‘ड्राफ्ट आर एंड आर स्कीम (प्रारूप)’ को संबंधित मंचों से साझा किया है जिससे कि प्रारूप को अंतिम रूप देने से पूर्व उनके (विभिन्न मंचों के) विधिसम्मत सुझावों को प्रारूप में जोड़ा जा सके।  

इस संबंध में कतिपय बिंदुओं पर मंचों ने अपना मंतव्य दिया है l एनसीएल ने विस्थापन मंचों से  प्राप्त सुझावों को सकारात्मकपूर्वक लिया है , जिनमें से  कुछ  सुझावों को त्वरित रूप से मान लिया गया है और कुछ बिंदुओं पर प्रदेश स्तर के वरिष्ठतम सक्षम अधिकारीगण से विचारविमर्श किया जा रहा है l

ऐसे परिवार जिनके स्वामित्व में कोई भूमि नहीं है किन्तु शासकीय भूमि पर निवासरत हैं तथा प्राथमिक आजीविका प्रभावित हो रही है, उन्हें भू-अर्जन क्षेत्र में आवासरत मानते हुए प्रभावित परिवार की संबन्धित श्रेणी में शामिल किया जाकर तदानुसार पात्रता दी जाएगी। 

यह उल्लेखनीय है कि पारदर्शिता और परियोजना प्रभावित परिवारों की  सुगमता के आलोक में  मोरवा पुनर्स्थापन की पूरी प्रक्रिया का डिजिटलीकरण करते हुए  एनसीएल द्वारा ‘सर्वेक्षण से मुआवजा गणना तक’ की प्रक्रिया हेतु उन्नत डिजिटल ‘भूमि अधिग्रहण और डेटा प्रबंधन पोर्टल’ (एलएडीएम) भी लांच किया गया है l  

ग़ौरतलब है कि इस परियोजना से आगामी वर्षों में 800 मिलियन टन कोयला निकालने का मार्ग प्रशस्त होगा जो देश की ऊर्जा-आत्मनिर्भरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

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