हस्तशिल्प आधारित सतत आजीविका के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को सशक्त बनाने हेतु महत्वपूर्ण पहल। बेलगड़िया पुनर्वास टाउनशिप में लागू होगी परियोजना।
धनबाद।कोयला भवन मुख्यालय में आज बीसीसीएल और एसीआईसी आईआईटी (आईएसएम) फाउंडेशन के बीच ‘हस्तशिल्पों को पुनर्जीवित कर सतत आजीविका हेतु स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का सशक्तिकरण: एक समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण’ शीर्षक परियोजना के कार्यान्वयन हेतु एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर संपन्न हुआ। बेलगड़िया पुनर्वास टाउनशिप में लागू किये जाने वाले इस परियोजना की कुल लागत लगभग 85 लाख रुपये है।
परियोजना का उद्देश्य स्थानीय स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की कम से कम 100 महिलाओं को सशक्त बनाना है, जिसके माध्यम से उन्हें बांस और जूट आधारित हस्तशिल्प उत्पादों के निर्माण एवं विपणन से सतत आजीविका के अवसर प्रदान किए जाएंगे। यह परियोजना दो वर्षों की अवधि में एसीआईसी आईआईटी (आईएसएम) फाउंडेशन के माध्यम से संचालित की जाएगी, जिसमें कौशल विकास, आय सृजन, आर्थिक आत्मनिर्भरता और दीर्घकालिक सामाजिक सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
परियोजना के अंतर्गत एसीआईसी द्वारा तैयार उत्पादों का न्यूनतम 40 प्रतिशत क्रय (बायबैक) करने का प्रावधान भी शामिल है, जिससे महिलाओं को स्थिर बाजार एवं आय का आश्वासन प्राप्त होगा। परियोजना का संचालन झरिया पुनर्वास व विकास प्राधिकार (जेआरडीए) द्वारा बेलगड़िया में निर्मित की जा रही नई इमारत में किया जाएगा, जिसका निर्माण कार्य वर्तमान में प्रगति पर है। परियोजना पूर्ण होने पर इन महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
एमओयू हस्ताक्षर समारोह में सुरेन्द्र भूषण, विभागाध्यक्ष (सीएसआर) के साथ बीसीसीएल सीएसआर टीम तथा एसीआईसी आईआईटी (आईएसएम) फाउंडेशन की ओर से डॉ. आकांक्षा तथा उनकी टीम उपस्थित रही।
यह सहयोग बीसीसीएल की समावेशी सामुदायिक विकास और सतत आजीविका सृजन के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जो नवाचारपूर्ण साझेदारियों के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।

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