मांगों को लेकर लामबंद हुए ग्राम विकास अधिकारी, साइकिल से कर रहे कार्य

15 दिसंबर को डोंगल जमा करने की चेतावनी

रेणुकूट। ग्राम विकास अधिकारी एवं ग्राम पंचायत विकास अधिकारी अपनी विभिन्न लंबित मांगों को लेकर लगातार आंदोलनरत हैं। शासन द्वारा मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई न किए जाने से नाराज़ अधिकारियों ने 10 दिसंबर से अपने निजी वाहनों का उपयोग बंद कर दिया है और अब वे साइकिल से ही पंचायतों में कार्य हेतु पहुंच रहे हैं। यह आंदोलन पूरी तरह गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्ण विरोध के रूप में जारी है। अधिकारियों द्वारा साइकिल से कार्यस्थल तक पहुंचने की इस पहल ने स्थानीय स्तर पर चर्चा भी तेज कर दी है। ग्राम पंचायत सचिवों ने इसे विरोध का अनुचित तरीका बताते हुए आपत्ति जताई है, क्योंकि सचिवों को पहले से ही साइकिल भत्ता मिलता है। बावजूद इसके ग्राम विकास अधिकारी अपनी एकजुटता और मांगों के प्रति प्रतिबद्धता पर अडिग हैं।

बताया गया कि आंदोलन की शुरुआत 5 दिसंबर को हुई, जब सभी अधिकारियों ने एक साथ आधिकारिक व्हाट्सऐप समूहों से स्वयं को बाहर कर लिया। इसके बाद 10 दिसंबर से वे निजी वाहनों की जगह साइकिल का उपयोग कर रहे हैं, ताकि शासन तक उनकी नाराज़गी का स्पष्ट संदेश पहुंच सके। गुरुवार को ग्राम विकास अधिकारी सुरेंद्र कुमार, अखिलेश दुबे, अरुण यादव सहित कई अधिकारी टेंपो से ब्लॉक मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने कहा कि शासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा है, जबकि वे वर्षों से अपनी वैध मांगों के समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि वर्तमान आंदोलन किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न करने के लिए नहीं, बल्कि अपनी पीड़ा शासन तक शांतिपूर्वक पहुँचाने के लिए है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि आंदोलन का अगला चरण 15 दिसंबर को शुरू होगा, जब सभी ग्राम विकास अधिकारी अपनी-अपनी डोंगल जमा कर देंगे। इससे ऑनलाइन कार्य प्रभावित होगा और कई सरकारी प्रक्रियाओं में बाधा आ सकती है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यदि शासन उनकी मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं करता, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य टकराव नहीं, बल्कि समस्याओं के समाधान हेतु शासन का ध्यान आकर्षित करना है। ग्रामीण विकास से जुड़े इन अधिकारियों का कहना है कि जब तक उनकी जायज़ मांगों पर विचार नहीं किया जाता, तब तक शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा।

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