एचएनएलयू, सीएसजे आईजेआर सम्मेलन : “न्याय वितरण तंत्र और संस्थागत क्षमता” पर कांफ्रेंस

रायपुर / हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचएनएलयू), रायपुर ने अपने सेंटर फॉर क्रिमिनल लॉ एंड ज्यूरिसप्रूडेंस तथा सेंटर फॉर लॉ एंड ह्यूमन राइट्स के माध्यम से सेंटर फॉर सोशल जस्टिस (सी एस जे) और इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आई जे आर) के सहयोग से एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन का विषय था —“जस्टिस डिलीवरी मेकनिज़्म एंड इंस्टीट्यूशनल कैपेसिटी”

यह सम्मेलन छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न हितधारकों के बीच संवाद का एक साझा मंच था, जिसका उद्देश्य न्याय वितरण प्रणाली के चार स्तंभों पुलिस, न्यायपालिका, कारागार और विधिक सहायता की भूमिका, चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श करना था। देशभर के विभिन्न संस्थानों से आए 55 से अधिक प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया।

उद्घाटन सत्र

कार्यक्रम का शुभारंभ सुश्री नूपुर, मैनेजिंग ट्रस्टी, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस (सी एस जे) द्वारा सीएसजे रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष प्रस्तुत करने से हुआ। उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं और कमजोर वर्गों को प्रभावित करने वाली व्यवस्थागत चुनौतियों पर प्रकाश डाला। वलय सिंह, लीड, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आई जे आर) ने “इंडिया जस्टिस रिपोर्ट” के चौथे संस्करण का सारांश प्रस्तुत किया, जिसमें विभिन्न राज्यों की न्यायिक क्षमता का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया।

कुलपति प्रो. (डॉ.) वी.सी. विवेकानंदन ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि “विधि विश्वविद्यालय, विधिक सुधार और क्षमता निर्माण के उत्प्रेरक (catalyst) हैं।” उन्होंने संविधान की अपेक्षाओं और संस्थागत तत्परता के बीच की दूरी को रेखांकित करते हुए न्याय वितरण तंत्र को सशक्त बनाने हेतु प्रशिक्षण, विधिक सहायता और व्यवहारिक (clinical) शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।

“वॉइसेस फ्रॉम द फील्ड ” सत्र में अधिवक्ता दिव्या जायसवाल, गायत्री और शोभराम गिलहरे ने विधिक सहायता के क्षेत्रीय अनुभव साझा किए और वंचित समुदायों की वास्तविक स्थितियों पर चर्चा की।

इस अवसर पर सी एस जे रिपोर्ट ” असेसिंग द एफेक्टिवेनेस्स ऑफ़ जस्टिस डिलीवरी मेकनिज़्म इन इन्सुरिन्ग एक्सेस टु जस्टिस “का विमोचन प्रो. (डॉ.) वी.सी. विवेकानंदन, कुलपति, एचएनएलयू द्वारा किया गया। डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव, कुलसचिव, एचएनएलयू ने स्वागत उद्बोधन दिया और विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

डॉ. कौमुदी छल्ला, प्रमुख, सेंटर फॉर क्रिमिनल लॉ एंड ज्यूरिसप्रूडेंस ने सम्मेलन के उद्देश्य और अपेक्षित परिणामों को रेखांकित किया, वहीं डॉ. किरण कोरी, प्रमुख, सेंटर फॉर लॉ एंड ह्यूमन राइट्स ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

पैनल चर्चा सत्र

पैनल I: “छत्तीसगढ़ में न्यायिक क्षमता का निर्माण — न्यायपालिका और विधिक सहायता पर संवाद”

संयोजक: प्रो. विष्णु कोनूरायर, डीन (अनुसंधान), एचएनएलयू

पार्थ तिवारी, उप सचिव, छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, ने विधिक सहायता क्लीनिकों और पैरा-लीगल वालंटियर्स की भूमिका पर बल दिया। सुश्री नूपुर (सी एस जे) ने क्षेत्र-विशिष्ट योजनाओं और पूर्णकालिक विधिक सहायता अधिवक्ताओं की आवश्यकता पर जोर दिया। वलय सिंह (आई जे आर) ने न्यायपालिका, पुलिस, कारागार और विधिक सहायता प्रणाली की तुलनात्मक क्षमताओं पर अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए। सुश्री मेधा देव, निदेशक, फेयर ट्रायल प्रोग्राम, ने न्यायिक सहायता, सामाजिक सहयोग और विधि विद्यालयों की भूमिका पर चर्चा की। सुश्री श्रुति नाइक, विदि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी, ने न्याय प्रणाली की प्रभावशीलता हेतु पर्याप्त मानव संसाधन की आवश्यकता पर बल दिया।

पैनल II: “पोलिसिंग फॉर पीपल”

संयोजक: डॉ. अर्चना घरोटे, सहायक प्रोफेसर, एचएनएलयू

डॉ. विपुल मुद्गल, निदेशक, कॉमन कॉज़, ने “स्टेटस ऑफ़ पोलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट 2025 ” प्रस्तुत करते हुए हिरासत में यातना (custodial torture) और नए आपराधिक कानूनों के तहत क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर चर्चा की। डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव, कुलसचिव, एचएनएलयू, ने विश्वविद्यालय द्वारा पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया। डॉ. परवेश कुमार राजपूत, सहायक प्रोफेसर, एचएनएलयू, ने एचएनएलयू प्रो बोनो क्लब की पहल और पुलिसिंग तंत्र के सुधार के सुझाव साझा किए।

पैनल III: “छत्तीसगढ़ में न्यायिक क्षमता — कारागार व्यवस्था”

संयोजक: अभिनव शुक्ला, सहायक प्रोफेसर, एचएनएलयू

सुनील गुप्ता, लेखक, “ब्लैक वारंट” एवं पूर्व विधिक सलाहकार, तिहाड़ जेल, ने कारागार प्रशासन से संबंधित व्यवहारिक चुनौतियों और सुधारों पर प्रकाश डाला। सुश्री सरब लांबा, रिसर्च एसोसिएट, आई जे आर , ने जेल क्षमता, भीड़भाड़ और कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य पर अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए। डॉ. उपनीत लल्ली, उप निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ करेक्शनल एडमिनिस्ट्रेशन, चंडीगढ़, ने जेलों के भीतर विधिक सहायता वितरण और लिंग-संवेदनशील नीतियों की आवश्यकता पर बल दिया। दिनभर की कार्यवाही का विस्तृत सारांश डॉ. कौमुदी चल्ला ने प्रस्तुत किया। सम्मेलन का समापन डॉ. किरण कोरी के धन्यवाद ज्ञापन और समापन टिप्पणी के साथ हुआ। सत्रों का संचालन एवं समन्वय जीवन सागर, डॉ. इरिट्रिया रॉय, सुश्री अपूर्वा शर्मा एवं श्री पिंटू माझी ने किया।

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