30
Jan
छंद-चौपाई ”स्नेहिल सृजन:जीवन के दो पहियों पर”~~~~~~~~अपनों का जब मिले सहारा।जीवन बनता सुखद दुबारा।।दो पहियों की सुलभ सवारी।लगती सबको अति ही प्यारी।। माँ की हँसी पिता का साया।बालक के भी मन को भाया।।चले साइकिल पथ मुस्काता।सपनों का रथ आगे जाता।। पथ की दूरी घटती जाए।हरीतिमा मन को है भाए।।साथ प्रेम मिलता जब प्यारा।चमके जीवन सुखद सहारा।। दो पहियों पर गढ़ें कहानी।कोमल यादों की ये बानी।।’सुषमा’ सुंदर प्रीत निभाती।जीवन को शुभ पथ दिखलाती।। धैर्य बने जीवन की पूँजी।सुख-दुख संगत बांधें कुंजी।।हर बाधा को सरल बनाएँ।खुशियों में ही समय बिताएँ।। चक्र समय का जब भी घूमे।स्नेहिल छाया पीछे चूमे।।रथ सपनों का बढ़ता…