मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सीबीएमआर की शासी निकाय की बैठक संपन्न

लखनऊः प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में सेण्टर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) की शासी निकाय की बैठक आयोजित की गई।
          अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने सीबीएमआर द्वारा किये जा रहे शोध कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सीबीएमआर में उन्नत तकनीकी पर आधारित शोध कार्यों का लाभ प्रदेश व देश में विभिन्न बीमारियों से ग्रसित रोगियों को मिले, इसके लिये कारगर कदम उठाये जायें। तकनीकी का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये और चिकित्सकों को संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों के बारे जागरूक किया जाये। इससे न केवल संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों को लोकप्रियता हासिल होगी, बल्कि इसका लाभ रोगियों के उपचार में भी मिलेगा।
         उन्होंने वृद्धावस्था में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अनुसंधान करने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश उत्तरोत्तर बढ़ोत्तरी कर वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु अग्रसर है। जनहित में किये जा रहे शोध कार्यों में शासन द्वारा संस्थान का हर संभव सहयोग किया जायेगा।
          इससे पूर्व, शासी निकाय की बैठक में सीबीएमआर के निदेशक आलोक धवन द्वारा संस्थान की उपलब्धियों से अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चिकित्सा शिक्षा विभाग के अन्तर्गत स्थापित एक स्वायत्तशासी सेन्टर है जो कि लगभग 19 वर्षों से जैव चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान करने वाला भारत का एक अग्रणी संस्थान है। हमारे वैज्ञानिक उच्च स्तरीय चिकित्सा/शोध संस्थानों यथा संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ, किंग जार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ एवं डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के चिकित्सकों हेतु मरीजों के जटिल रोगों की पहचान एवं निदान के लिये अनेक परीक्षण कर रोगियों को लाभ पहुंचा रहे हैं। सेन्टर में होने वाले इन शोध कार्यो को मौलिक विज्ञान (Fundamental science) से पूर्णतः सहयोग मिलता है।
         उन्होंने बताया कि संस्थान रोगियों की देखभाल हेतु उत्तरोत्तर नये-नये अनुसंधानों द्वारा प्रगति कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में न केवल उच्च अंतर्राष्ट्रीय जनरल में शोध पत्र (रिसर्च पेपर) प्रकाशित किये गये, बल्कि साथ ही साथ पिछले कुछ वर्षों में कई पेटेन्ट भी कराये गये। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024-25 में एमआरई द्वारा एसजीपीजीआई, राम मनोहर लोहिया संस्थान, केजीएमयू, एम्स गोरखपुर व पटना के चिकित्सकों को विभिन्न बीमारियों की पहचान कर उनके उपचार करने हेतु संस्थान द्वारा सहायता प्रदान की, इससे 400 से अधिक मस्तिष्क रोगियों को लाभ मिला।
           इसी प्रकार न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एन0एम0आर0) द्वारा विगत कुछ वर्षों में किये गये अनुसंधान से विभिन्न बीमारियों से ग्रसित 2000 से अधिक रोगियों को लाभ पहुंचाया गया। आईआईटी-बॉम्बे के साथ मिलकर एक पोर्टेबल प्लेटफॉर्म इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विकसित किया गया, जो विभिन्न बीमारियों की स्क्रीनिंग में कारगर सिद्ध हो सकता है तथा इसका  पेटेंट  फाइल किया जा चुका है। इस उपकरण के टेक्नोलॉजी ट्रांसफर प्रक्रियाधीन है। इसके अलावा दो मेडिसिनल केमिस्ट्री के क्षेत्र में सीबीएमआर द्वारा ऐसी प्रणाली विकसित की गई, जिसका  पेटेंट  हो चुका है। इस पेटेंट के माध्यम से मेक इन इंडिया कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। इन पेटेन्टों का हस्तांतरण प्रक्रियाधीन है।
संस्थान द्वारा गत वर्ष में सात एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये, जिनमें मुख्य रूप से अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय, कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट एण्ड हॉस्पिटल-लखनऊ, नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनआरडीसी), दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी-लखनऊ शामिल है।
         उत्कृष्ट अनुसंधान के कारण संस्थान को नेचर इंडेक्स (Nature Index-2024) द्वारा विश्व स्तर पर प्रकाशित जनवरी-दिसंबर 2024 तक की रैंकिंग में रसायन विज्ञान के क्षेत्र में भारत में 5वीं तथा विश्व में 53वीं रैंक प्राप्त हुई है। इसी प्रकार सभी विषयों की श्रेणी में भारत वर्ष में शीर्ष 20 तथा विश्व में शीर्ष 200 की श्रेणी में संस्थान शामिल रहा है।
          इसके अतिरिक्त संस्थान के शोध छात्र-छात्राओं तथा फैकल्टी द्वारा जिला बाराबंकी स्थित ग्राम धौरामऊ और टिंडौल के उच्च प्राथमिक विद्यालय तथा महिलाओं के बीच महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य हेतु जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये गये।
          बैठक में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा,सीबीएमआर के डीन प्रो0 नीरज सिन्हा सहित शासी निकाय के अन्य सदस्यगण आदि उपस्थित थे।

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