वाराणसी। महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए बीस राज्यों से होकर दिल्ली पंहुचने वाली “जागते रहो भारत यात्रा” का बनारस में भव्य स्वागत हुआ। 8 मार्च को माउंट आबू (राजस्थान) से महिला मुद्दों पर जागरूकता और संवाद करने के उद्देश्य से निकली यात्रा का शास्त्री घाट पर पर दख़ल संगठन की ओर से स्वागत किया गया , साथ ही बनारस के नागरिक समाज की उपस्थिति में महिला हिंसा उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओ पर प्रतिवाद दर्ज कराते हुए कैंडिल मार्च निकाला गया। शास्त्री घाट पर आयोजित सभा में नारीवादी विषयों पर वक्ताओं ने बात रखी।
सायं 5 बजे शास्त्री घाट पर सैकड़ों महिलाओं और बनारस के नागरिक समाज की उपस्थिति में आयोजित जनसभा में जागते रहो भारत यात्रा के यात्रियों ने यात्रा के उद्देश्य को बताया। यात्रा के बारे में विस्तार से बताते हुए एक राजेन्द्र कुमार ने बताया कि हम इक्कीसवीं सदी की सभ्य दुनिया के सभ्य लोग है, लेकिन समाज की आधी आबादी (महिला वर्ग) आज भी भेदभाव और असुरक्षा का सामना करने के लिए अभिशप्त है। महिला अपराध और दुष्कर्म की आए दिन होने वाली घटनाओं ने भारतीय जनमानस को गहरी चिंता में डाल दिया है। महामहिम राष्ट्रपति ने भी इस पर चिंता व्यक्त करते हुए लिखा है कि “महिला दुष्कर्म की जघन्य घटनाओं को जल्दी भूल जाना सामूहिक घिनौनी बीमारी है। “इस पीड़ा का कारण यह है कि जब तक एक महिला अथवा चार साल की अबोध बालिका के साथ हुए अमानवीय क्रूरतम अपराध की चर्चा अखबार या टेलीविजन के पर्दे पर रहती है, हमें याद रहता है और जैसे ही मीडिया से गायब, हमारी स्मृति से भी गायब हो जाती है।
दख़ल संगठन कि ओर से बात रखते हुए सोनी ने कहा कि महिला दुष्कर्म की 2002 में दर्ज 16075 घटनाएं, 2022 में बढ़कर 31586 हो जाना होना समाज के लिए कड़ी चेतावनी है। वर्ष 2023 में प्रति घण्टा दुष्कर्म की 86 घटनाएं दर्ज की गई। वर्ष 2023 में 6337 दुष्कर्म अपराध की घटनाओं के साथ राजस्थान प्रथम, 2947 के आंकड़े के साथ मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर और 2496 के आंकड़े के साथ महाराष्ट्र तीसरे नम्बर पर रहा।
क्वियर समुदाय के लिए काम कर रहे दीक्षा ने बताया कि 2012 की दिल्ली में हुई घटना ने समस्त समाज और शासन को गंभीरतापूर्वक सोचने के लिए मजबूर कर दिया था, लेकिन ये भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि असंख्य विमत्स और अमानवीय घटनाओं पर हमारा ध्यान नहीं जाता। हालांकि निर्भया कांड के बाद कानूनों में सजा के कड़े प्रावधान किए गए, लेकिन हाईकोर्ट इलाहबाद के मान न्यायाधीश का कहना की “स्तन पकड़ना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना बलात्कार या बलात्कार की कोशिश नहीं” है व्यवस्था में जड़ तक बैठे पितृसत्ता की मानसिकता को दर्शाता है। हांलाकि सुप्रीम कोर्ट ने उक्त बयान पर रोक लगाई लेकिन ये स्थिति बताती है की समाधान का रास्ता बहुत लम्बा है।

यात्रा 11000 कि.मी. की यात्रा करके 7 जून, 2025 को नयी दिल्ली में पूर्ण होगी। 20 राज्यों से होती हुई इस यात्रा के दौरान सम्मेलन संगोष्ठी/कार्यशाला आयोजित किये जा रहे है। जागरूकता सामग्री पर्चा इत्यादि बांटा जा रहा है। शहर के प्रमुख महिलाओं के जन्म स्थल / समाधि स्थल पर नुक्क्ड़ नाटक इत्यादि के माध्यम से जागरूकता संवाद आयोजित किए जा रहे हैं।
जम्मुबेंन ने डिजिटल दुनिया का स्याह पक्ष रखते हुए बताया कि 2013 में मोबाईल से पोर्नोग्राफी देखने वालों की संख्या 39 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 86 प्रतिशत हो गई, इसमें 41 प्रतिशत आबादी 25 से 34 आयु वर्ग की है। सेक्स कंटेंट दिखाने वाले वेबसाइट ‘ पोर्न हब ‘ के अनुसार भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
राजस्थान से जुड़े एक यात्री ने बताया की महिला हिंसा की घटनाओ में बढ़ते रेट के पीछे हमारी जांच प्रणाली पुलिसिंग और न्याय प्रक्रिया भी जिम्मेदार है। केवल राजस्थान में 2020 से 15584 डी.एन.ए. जांच के प्रकरण लंबित होना, इस लचर व्यवस्था की एक बानगी है। हम यात्रा के माध्यम से कुछ निवारण उपाय सुझा रहे हैं : –
स्कूली पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा की अनिवार्यता। महिलाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण । नशे की लत पर अंकुश लगाने की आवश्यकता। दुष्कर्म के आरोप को गैर-जमानती अपराध घोषित किया जाए। दुष्कर्म जांच की पुलिस जांच अवधि 30 दिन की जाए। न्याय प्रक्रिया 180 दिन में पूर्ण करना सुनिश्चित हो। प्रवासी मजदूर बाहुल्य क्षेत्रों में अधिक से अधिक आध्यात्मिक, योग केन्द्र और पुस्तकालय स्थापित किए जाए। महिलाओं को घर के बाहर काम करने के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण अनिवार्य हो।गाँव / वार्ड स्तर पर सम्मान रक्षक स्वयं सेवक तैयार किए जाए। 10 जिला स्तर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं, मनोवैज्ञानिक, पुलिस अधिकारी और न्याय अधिकारियों की समन्वय समिति गठित कर तिमाही बैठक सुनिश्चित हो।
11 जिला स्तरीय समन्वय समिति को डी.एन.ए. टेस्ट के लिए लैब की व्यवस्था दुरूस्त करने का दायित्व दिया जाए। इन समितियों को लैब निरीक्षण एवं नियंत्रण का अधिकार दिया जाना चाहिए। सभा के बाद शास्त्री घाट से अम्बेडकर मूर्ति तक कैंडल मार्च निकाला गया। प्रेरणा कला मंच के रंगकर्मियों ने नुक्क्ड़ नाटक प्रस्तुत किया। सभा का संचालन नीति ने किया और धन्यवाद ज्ञापन अनन्या मीठी ने किया। सभा और मार्च में प्रमुख रूप से सुजाता, राधा, श्रुति, सोनी, मैना,हेतवी,आर्या, सिस्टर फ्रांसिस्का, जावेद , इन्दु, मनीष, वल्लभाचार्य, रामजन्म, मनीष, सतीश सिंह, नंदलाल मास्टर, महेंद्र, रुमान, सैम, धन्नजय, फादर, प्रवीण, फादर दयाकर, इत्यादि सैकड़ो लोग शामिल रहे।

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