प्रदूषण से पुनरुद्धार तक: एनटीपीसी कोलडैम ने की जलाशय से 400 टन कचरे की सफाई

विलासपुर।पानी प्रकृति का सबसे सरल लेकिन सबसे जरूरी उपहार है। यह न केवल हमारी प्यास बुझाता है, बल्कि खेतों को हरियाली देता है, नदियों को जीवन से भरता है, व पर्यावरणीय संतुलन का आधार भी है। लेकिन जब यही पानी धीरे-धीरे अशुद्ध होने लगे, तो चिंता केवल पर्यावरण की नहीं, हमारे सामूहिक भविष्य की भी हो जाती है।

आज, देशभर में जल स्रोतों पर बढ़ता दबाव और कचरे का बढ़ता बोझ एक वास्तविकता है। बारिश के साथ बहकर आने वाले अपशिष्ट—प्लास्टिक, जैविक सामग्री, लकड़ियाँ—अक्सर हमारे जलाशयों और नदियों में जमा हो जाते हैं। यह न केवल जल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि जलचर जीवन और आस-पास के समुदायों के लिए भी चुनौती खड़ी कर देता है।

हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित कोलडैम जलाशय भी जल प्रदूषण की बढ़ती समस्या से अछूता नहीं रहा।

लंबे समय से पहाड़ों से बहकर आने वाले नालों और नदियों के माध्यम से प्लास्टिक, लकड़ियाँ, घरेलू एवं अन्य प्रकार का अपशिष्ट जलाशय में जमा होता रहा। इस वजह से जलाशय की स्वच्छता और जल की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ने का खतरा मंडराने लगा। यह वही जल है जिसका उपयोग एनटीपीसी टाउनशिप, आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में पीने व कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। ऐसे में जलाशय की स्थिति में गिरावट एक गंभीर चिंता का विषय बन गई। 

एकत्रित कचरा पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यधिक प्रदूषणकारी था—यह न केवल पेयजल को अशुद्ध कर सकता था, बल्कि जलचर जीवन तथा आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा था। इसके अतिरिक्त, कुछ स्थानीय निवासी इस कचरे में फंसी लकड़ियों को निकालने का प्रयास भी करने लगे थे। ये प्रयास न केवल उनके स्वयं के लिए जोखिमपूर्ण थे, बल्कि इससे परियोजना की सुरक्षा व्यवस्था में भी व्यवधान की आशंका बनी रहती थी।

ऐसे में इसकी स्थिति को नजरअंदाज़ करना संभव नहीं था।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एनटीपीसी कोलडैम ने समय रहते जलाशय की सफाई का ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया, ताकि जल स्रोत की स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह फैसला साधारण नहीं था—यह 400 टन से अधिक कचरे को हटाने की एक बड़ी और तकनीकी चुनौती थी, जिसे एनटीपीसी ने एक सुनियोजित मिशन की तरह अपनाया।

अभियान की शुरुआत एक व्यवस्थित योजना के साथ हुई। एनटीपीसी द्वारा अपनी Track Rack Cleaning Machine (TRCM) का उपयोग किया गया, जो जल की सतह के साथ-साथ गहराई में जमे कचरे को हटाने में सक्षम है। जहाँ मशीनों की पहुँच सीमित थी, वहाँ प्रशिक्षित कर्मचारियों ने सुरक्षा उपकरणों के साथ मोर्चा संभाला। पूरी प्रक्रिया में हर स्तर पर सुरक्षा मानकों का पूर्ण पालन किया गया, ताकि जलाशय की स्थिरता और मानव सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

साफ किए गए कचरे में बड़ी मात्रा में लकड़ियाँ भी थीं, जिन्हें बाद में राज्य सरकार को सौंप दिया गया। यह न केवल जिम्मेदारीपूर्ण अपशिष्ट प्रबंधन का उदाहरण था, बल्कि संसाधनों के पुन: उपयोग की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम साबित हुआ।

इस महत्त्वपूर्ण उपलब्धि पर परियोजना प्रमुख ने कहा –

“एनटीपीसी न केवल ऊर्जा निर्माण में अग्रणी है, बल्कि हम पर्यावरणीय संतुलन, स्थानीय समुदायों की भलाई और जल स्रोतों की शुद्धता के प्रति भी पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। यह सफाई अभियान हमारी टीम की कड़ी मेहनत, तकनीकी दक्षता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी का परिचायक है।”

एनटीपीसी कोलडैम का यह अभियान स्वच्छ भारत मिशन की भावना के अनुरूप स्वच्छता और सतत विकास की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण है, और भविष्य में भी इसी प्रतिबद्धता के साथ ऐसे प्रयास निरंतर जारी रहेंगे।

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