भगवान परशुराम जयंती पर अचलेश्वर मंदिर में गूंजे वैदिक मंत्र, श्रद्धा और आस्था से सराबोर हुआ वातावरण

डाला। सनातन संस्कृति के गौरव, धर्म के अमिट प्रकाश स्तंभ और ज्ञान-शौर्य के प्रतीक भगवान परशुराम की जयंती अक्षय तृतीया के दिन बुधवार को नगर के श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर परिसर में पूरी आस्था, श्रद्धा और वैदिक परंपरा के साथ मनाई गई। आयोजन की भव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा से मंदिर परिसर दिव्यता से सराबोर हो उठा।यजमान कृपा शंकर चौबे द्वारा विधिवत पूजन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके उपरांत पंडित ओमप्रकाश त्रिपाठी व शुभम त्रिपाठी द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन, पूजन और आरती सम्पन्न कराई गई। समूचे आयोजन के दौरान भक्ति, अनुशासन और सनातन मर्यादा का अद्भुत समन्वय देखने को मिला।परशुराम जयंती के अवसर पर वैदिक विद्वान पंडित ओमप्रकाश त्रिपाठी ने कहा, भगवान परशुराम का जीवन किसी के विनाश का प्रतीक नहीं, बल्कि वह सनातन धर्म की रक्षा, समाज में संतुलन और न्याय की पुनर्स्थापना के लिए समर्पित एक दीर्घकालिक तपस्वी का जीवन है। वे कर्म, शौर्य और ज्ञान के अद्वितीय समन्वय हैं। आज के युग में जब समाज दिशाहीन होता जा रहा है, ऐसे में परशुराम का आदर्श युवा पीढ़ी के लिए एक जीवंत मार्गदर्शक है। उनके चरित्र से हमें यह सीख मिलती है कि अन्याय का प्रतिकार केवल शस्त्र से नहीं, बल्कि संयम, सेवा और संकल्प से भी किया जा सकता है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद का भी भव्य आयोजन किया गया, जिसमें सभी वर्गों के लोग सम्मिलित हुए।परिसर में भजन-कीर्तन और परशुराम जन्मोत्सव से जुड़ी कथाओं का पाठ करते हुए वातावरण को पूरी तरह आध्यात्मिक बना दिया गया।कार्यक्रम में राकेश शर्मा, दक्ष, विशाल, आशीष तिवारी, शिवा त्रिपाठी, विवेक दुबे, आदित्य पांडे, शरद मिश्र, ऋषभ चौबे सहित अन्य श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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