अपनी पहचान बताएंगे, सबको गले लगाएंगे” विषयक जागरूकता संवाद का आयोजन 

  वाराणसी ।  यौनिक एवं लैंगिक मुद्दों पर जागरूकता एवं संवेदनशीलता के संवाद कार्यक्रम ट्रांसजेंडर सेल, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी एवं प्रिज्मैटिक फाउंडेशन, वाराणसी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया।

विश्वविद्यालय परिसर एवं समस्त विभागों में ट्रांसजेंडर एवं विविध यौनिक पहचानों के समुदाय के सदस्यों के प्रति विश्वविद्यालय में हिंसा एवं भेदभाव मुक्त वातावरण बनाया जा सके, कार्यक्रम का उद्देश्य था। सभी जेंडर के विद्यार्थी विश्वविद्यालय परिसर में अपनी जेंडर पहचान के साथ गरिमामई एवं सुरक्षित तरीके से शिक्षा प्राप्त कर सकें ये जरूरी है।

मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. संजय, समन्वयक, ट्रांस जेंडर सेल ने बताया कि राष्ट्रीय विकास हेतु एक राष्ट्र के सभी नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य शर्त है। साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि सभी नागरिकों के विकास तथा गरिमायुक्त एवं सम्मानजनक जीवन जीने हेतु आवश्यक संसाधनों यथा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पूंजी भी समता एवं समानता के साथ प्रदान किया जाना चाहिए।

चूंकि, ट्रांसजेंडर एवं अन्य विविध यौनिक पहचान के लोग भी राष्ट्र के नागरिक हैं तो उन्हें भी विकास हेतु शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सुविधाएं एवं पूंजी मिलनी चाहिए। उनकी जेंडर पहचान के आधार पर भेदभाव एवं उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का यह दायित्व है कि ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के साथ बराबरी का व्यवहार एवं सहयोग करें। उनके साथ एक अलाई अर्थात सहयोगी के रूप में खड़े हों ताकि ये किसी भी प्रकार की कुंठा से ग्रस्त न हों।

ट्रांसजेंडर सेल के सह समन्वयक एवं मानविकी संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. अनुराग कुमार  ने कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय या फिर अन्य यौनिक पहचानो के लोग तो लाखों में एक होते हैं अतएव इनके साथ तो अच्छा व्यवहार किया ही जाना चाहिए। समाज में सभी एक बराबर हैं, सभी मनुष्यों को गरिमा एवं सम्मान के साथ जीने का अधिकार है । 

ट्रांसजेंडर भी मनुष्य है अतएव उनके साथ मनुष्यता का व्यवहार किया ही जाना चाहिए। काशी विद्यापीठ का यह गौरव है कि यह भारत का  एकमात्र विश्वविदयालय है जहां कि एक एक्टिव ट्रांसजेंडर सेल है जो कि निरंतर ट्रांसजेंडर समुदाय के साथ कार्य कर रहा है। जिसकी स्थापना  माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल एवं माननीय कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी जी की प्रेरणा से की गई। 

प्रिज्मैटिक फाउंडेशन, वाराणसी की नीति ने बताया कि अवेयरनेस टॉक का आयोजन एल. जी. बी. टी. क्यू + समुदाय के साथ हो रहे हिंसा को दूर करने के लिए, समाज मे भाईचारा एवं समानता का सुखद वातावरण बनाने के लिए किया जा रहा है। 

ललित कला विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा जी ने बताया कि भारत में प्राचीन काल से विभिन्न यौनिक पहचान के लोग एवं ट्रांसजेंडर लोग रहते थे जिनको समाज में बराबर का दर्जा प्राप्त था।

महाभारत की ब्रिहन्डला का प्रमुखता के साथ नाम लिया जाता है। विविध यौन आकर्षण के विषय में उन्होंने बताया कि भारत तो एक ऐसा राष्ट्र है जहां कि अर्धनारीश्वर के रूप में शिव की पूजा की जाती है। सभी मनुष्यों में स्त्री एवं पुरुष दोनों के गुण होते हैं जो कि समयानुसार प्रकट होते रहते हैं जो कि पूर्णतया प्राकृतिक प्रक्रिया है। मनुष्यों के साथ ही प्रत्येक जीव, जंतु एवं वनस्पतियों में भी स्त्रीलिंग एवं पुलिंग के साथ उभयलिंगी भी जन्म लेते हैं और प्रकृति किसी के साथ भेदभाव नहीं करती। तब मनुष्य क्यों दूसरे यौन आकर्षण रखने वाले लोगों से भेदभाव करे। यदि वह करता है तो यह पूर्णतया गलत एवं अमानवीय है। उन्होंने कहा कि यह बड़े ही सौभाग्य की बात है कि काशी विद्यापीठ का ट्रांजेंडर सेल एवं काशी विद्यापीठ के ही एक एलुमनाई द्वारा संचालित प्रिज्मैटिक फाउंडेशन इस गैर बराबरी को दूर करने एवं लोगों को संवेदनशील बनाने हेतु कार्य कर रहे हैं।

एशियन ब्रिज इंडिया, वाराणसी की अफसाना ने इस संस्था द्वारा जेंडर समानता हेतु चलाए जाने वाले कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला।

इस जागरूकता कार्यक्रम में मुख्य रूप से रूमान, अनामिका, चंदन, पंकज, शिवांगी, सैम, अनुराग दिव्यांशु, ललित कला विभाग, मानविकी संकाय एवं समाज कार्य के लगभग 75 विद्यार्थियों ने सहभागिता की। जिसमें किसलय सिंह, ऋतिक सिंह, सृष्टि सिंह, सोनाली, एकता, निहारिका, प्रीति, श्रुति, नैंसी कार्यक्रम का संचालन अनन्या मीठी और धन्यवाद ज्ञापन आर्या ने किया।

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