वाराणसी | उत्तर प्रदेश सरकार के एक्सीलेरेटर कार्यक्रम के अंतर्गत, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), कल्लीपुर, वाराणसी में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला “समृद्ध धान 2.0” श्रृंखला की दूसरी कड़ी थी, जिसका मुख्य उद्देश्य डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) तकनीक और क्लस्टर आधारित कृषि मॉडल को बढ़ावा देना था। इस रणनीतिक पहल का लक्ष्य पूर्वी उत्तर प्रदेश के 15 प्रमुख जिलों में डीएसआर क्लस्टरों की पहचान और मैपिंग करना है, ताकि जलवायु-लचीली और टिकाऊ धान की खेती को बढ़ावा मिल सके।
कार्यशाला में 50 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें एफपीओ प्रतिनिधि, प्रगतिशील महिला किसान और विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल थे। 2030 वॉटर रिसोर्सेज ग्रुप (WRG) की डॉ. अंजलि ने एक्सीलेरेटर कार्यक्रम का परिचय देते हुए बताया कि यह सरकारी, निजी और किसानों के साझे प्रयास से कृषि तंत्र के रूपांतरण का माध्यम है।

उप निदेशक कृषि, अमित जायसवाल ने डीएसआर की उत्पादकता, तकनीकी चुनौतियों और विभागीय योजनाओं की जानकारी दी। किसानों द्वारा जिले के ब्लॉकों में संभावित डीएसआर क्लस्टरों की मैपिंग और SWOT विश्लेषण किया गया, जिससे आराजीलाइन, सेवापुरी और काशी विद्यापीठ जैसे क्षेत्र जल-संवेदनशील तकनीकों के लिए उपयुक्त पाए गए।
आईआरआरआई के डॉ. विपिन कुमार ने डीएसआर तकनीक के व्यावहारिक पहलुओं पर जानकारी दी। साथ ही, माइक्रो इरिगेशन तकनीकों के माध्यम से खरीफ के बाद सब्जी और मिर्च जैसी फसलों की खेती को अधिक लाभकारी बनाने की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई।
कोका-कोला फाउंडेशन और WRG की ओर से सुश्री पिया ने मिर्च की बाजार संभावनाओं और मूल्य श्रृंखला पर विचार साझा किए, जिससे निजी क्षेत्र की भागीदारी की भूमिका स्पष्ट हुई।
कार्यक्रम का सफल समन्वय उमेश द्विवेदी ने किया, जबकि डॉ. अमतेश सिंह, डॉ. शिवप्रकाश, और डॉ. शिवानी सिंह ने एफपीओ और किसानों को तकनीकी सहयोग प्रदान किया। मंच संचालन डॉ. प्रतीक्षा सिंह द्वारा किया गया।

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