वाराणसी। ‘उद्गार’ संस्था के सहयोग एवं स्याही प्रशासन के तत्वावधान में बहु प्रतीक्षित पुस्तक ‘स्याही स्वर’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में बतौर अध्यक्ष डा. महेन्द्र प्रताप सिंह, बतौर मुख्य अतिथि प्रकाशक व प्रधान सम्पादक पं0 छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ रहे। सभा में अतिथि के तौर पर पूर्व विकास अधिकारी डॉ डी. आर. विश्वकर्मा, श्रीमती मंजरी पाण्डेय, कार्यकारी संपादक नवल किशोर गुप्त सहित आचार्य आलोक द्विवेदी उपस्थित रहे।
प्रकाशक व प्रधान सम्पादक पं0 छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ ने लोकार्पण के पश्चात् पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पुस्तक अतीत, वर्तमान व भविष्य के समय की एक सुलझी हुई संवेदनशील तस्वीर प्रस्तुत करती है। इसमें देशभर के समर्थ व मशहूर कथाकार सम्मिलित किये गये हैं। यह आगामी समय में हिंदी कथालोक का प्रतिनिधित्व करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह पुस्तक ईबुक प्रारुप में सिर्फ 23 रुपये के मूल्य पर उपलब्ध करायी गई है। लोगों के समय की कमी को देखते हुए समय लघुकथाओं को चुनाव प्रकाशन के लिये किया गया है। ताकि लोग चलते फिरते सफर में भी साहित्य से कुछ सीख सकें। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र प्रताप सिंह ने भाषा ज्ञान के वर्द्धन के लिये इस पुस्तक को बेहद उपयोगी बताया। अन्य अतिथियों ने भी अपने अपने विचार रखे। कार्यकारी संपादक नवल किशोर गुप्त का श्रेष्ठ सम्पादन के लिये प्रकाशन की ओर से विशेष सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में पुस्तक लोकार्पण के उपरांत कविता पाठ का भी आयोजन किया गया। जिसमें कवि सुनील कुमार सेठ, चंद्र भूषण सिंह, डॉ शरद श्रीवास्तव, खलील अहमद राही, आशिक बनारसी, डॉ. लियाकत अली, डॉक्टर कृष्ण प्रकाश श्रीवास्तव ‘प्रकाशानन्द’, समीम गाजीपुरी, अजफर बनारसी, नंदलाल राजभर, राम नरेश पाल, आशिक कुमार आशिक एवं चंदौली के कवि अलियार प्रधान, व कवि, अनपढ़, के साथ कवयित्रियों में श्रीमती शिब्बी ममगाई, कंचन लता चतुर्वेदी, श्रुति गुप्ता, डा0 नसीमा निशा, माधुरी मिश्रा के साथ अनेक साहित्यकार उपस्थित थे।