सिंगरौली।पोखरा ग्राम की आदिवासी महिलाओं ने मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में नये प्रयास के साथ प्राकृतिक शहद उत्पादन की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाया है। प्रारंभिक चुनौतियों और असफलताओं के बावजूद, आजीविका मिशन के सहयोग, व्यापक प्रशिक्षण एवं अत्याधुनिक उपकरणों की उपलब्धता से यह स्टार्टअप नयी राह पर अग्रसर हुआ है। इस सफलता में हिंडालको महान के CSR विभाग व उनकी टीम के सदस्यों की अहम भूमिका रही । जहां चाह वहाँ राहमधुमक्खी पालन में हार मान चुकी महिलाओ को हिंडालको महान का csr विभाग पुनः जागृत कर ,मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में भी लोगो को स्वरोजगार देने का काम कर दिखाया है।
हिंडालको महान के सी.एस.आर. विभाग द्वारा आजीविका ग्राम संगठन पोखरा केंद्र में आधुनिक हनी प्रोसेसिंग यूनिट का उदघाटन किया गया, जिसमें मानव संसाधन प्रमुख डॉ. विवेकानंद मिश्रा इस यूनिट को पोखरा ग्राम के आजीविका के आदिवासी महिला सदस्यों को समर्पित करते हुए ,इस हनी प्रोजेक्ट को स्टार्टअप के रूप में खड़ा करने की बात कही।उद्घाटन समारोह में डॉ. मिश्रा ने कहा,
“इस नवप्रवर्तन से हम न केवल उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक शहद का उत्पादन सुनिश्चित करेंगे, बल्कि आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और व्यापार में नवाचार के नए आयाम स्थापित करने का मंच भी प्रदान कर रहे हैं।”
डॉ. मिश्रा ने आगे स्पष्ट किया कि प्रोसेसिंग यूनिट में लगी अत्याधुनिक तकनीक से शहद की शेल्फ लाइफ में वृद्धि के साथ बाजार में एक प्रतिष्ठित ब्रांड के निर्माण की दिशा तय होगी। तकनीकी सहयोग, विशेषज्ञों द्वारा संचालित प्रशिक्षण एवं आवश्यक इंस्टूमेंट्स की उपलब्धता से महिलाओं के उद्यम में नया जोश आया है। इस उद्घाटन समारोह में CSR विभाग प्रमुख संजय सिंह, बीरेंद्र पाण्डेय, धीरेन्द्र तिवारी तथा शीतल श्रीवास्तव मौजूद रहे।
इस पहल से न केवल महिलाओं में आत्मविश्वास का संचार हुआ है, बल्कि आदिवासी समुदाय के आर्थिक विकास में भी सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा। अत्याधुनिक हनी प्रोसेसिंग यूनिट के संचालन से उच्च गुणवत्ता और सुरक्षित शहद का प्रसंस्करण संभव होगा, जिससे उत्पाद की शेल्फ लाइफ बढ़ेगी। इसके साथ ही, स्थानीय स्तर पर इस उत्पाद को एक प्रतिष्ठित ब्रांड के रूप में स्थापित करने के प्रयास जारी रहेंगे, जो प्रदेश की सामाजिक एवं आर्थिक समृद्धि में योगदान देगा।
हिंडालको महान के csr प्रमुख संजय सिंह ने बताया कि पोखरा के हरे भरे जंगलो के फूलों से ये मधुमक्खी शहद बना रही हैं जो सौ प्रतिशत प्राकृतिक है,इस स्टार्टअप के जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंह नागेश ,जिला परियोजना अधिकारी मंगलेश्वर सिंह व देवसर ब्लॉक सह परियोजना अधिकारी बृज नारायण सिंह ने इस को सफल बनाने के लिए प्रेरित किया।
शहद प्रोजेक्ट कार्यक्रम को कॉर्डिनेट कर रहे CSR विभाग से बीरेंद्र पाण्डेय ने बताया कि मधुमक्खी पालन आसान काम है, लेकिन बेजुबान मधुमखियों के जीवनकाल व मधुमक्खी को समझना जरूरी है,जो समझ लिया वो निश्चित रूप से कमाई करेगा, जिला पंचायत ने आगे सहयोग किया तो ,यह जिले का अपना पहला शहद का खुद का स्थानीय ब्रांड होगा,इसके लिए जरूररी FSSI के लाइसेंस प्रकिया प्रारम्भ कर दी जाएगी व एक ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की जायेगी।
यह क्षेत्रीय स्तर पर प्रशंसनीय पहल आदिवासी महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने एवं स्थानीय आर्थिक विकास को नई दिशा प्रदान करने का महत्वपूर्ण उदाहरण बनकर उभरी है। जरूरत है बेहतर मार्केटिंग स्टार्टअप की ,मार्केटिंग के स्थानिय कोई संस्था य उद्यमी आगे आये और इनसे खरीदकर अपना स्टार्टअप करे उसकी भी सफलता की गारंटी है।

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