आपातकाल भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक – शिवराज सिंह चौहान

आपातकाल के काले अध्याय की 50वीं बरसी पर भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय” विषयक प्रदर्शनी का केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया अवलोकन*

*स्कूली छात्रों पर भी कार्यवाही उड़ीसा में 9वीं-10वीं के बच्चे 5 महीने जेल में रहे” विषयक लगे चित्र किट्स को देख केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान वहीं रुके और अपनी स्मृतियों में खो गए तथा कहा कि आपातकाल के दौरान वे भी इससे प्रभावित रहे*          वाराणसी। आपातकाल के काले अध्याय की 50वीं बरसी पर भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय” तथा “अनैतिक संशोधन से संविधान पर हमला” पर आधारित सूचना विभाग द्वारा नगर निगम के सामने शहीद पार्क में तीन दिवसीय आयोजित चित्र प्रदर्शनी का शुक्रवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी में कुल 57 चित्र किट्स का प्रदर्शन किया गया है। प्रदर्शनी अवलोकन के दौरान “स्कूली छात्रों पर भी कार्यवाही उड़ीसा में 9वीं-10वीं के बच्चे 5 महीने जेल में रहे” विषयक लगे चित्र किट्स को देख केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान वहीं रुके और अपनी स्मृतियों में खो गए तथा कहा कि आपातकाल के दौरान वे भी इससे प्रभावित रहे।      

       प्रदर्शनी में चित्र किट्स के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है कि कैसे ‘आपातकाल में संविधान की आत्मा को कुचला गया, संसद की आवाज को दबाया गया और न्यायपालिका पर नियंत्रण की कोशिश की गई। 42वां संशोधन कांग्रेस की इसी सोच का प्रतीक है। गरीबों, वंचितों और दलितों को खास तौर पर निशाना बनाया गया।’ गौरतलब हो कि 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी। तद्विषयक प्रदर्शनी में “गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार” मई 1976 में करीब 7000 पत्रकारों और मीडिया कर्मियों को गिरफ्तार किया गया, कांग्रेस द्वारा लगाया गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय, “सत्ता पर संकट आपातकाल की आहट” 1971: इंदिरा गांधी पर अदालत में चला चुनावी धांधली का मुकदमा, देश में आर्थिक संकट महंगाई और असंतोष का माहौल, एबीवीपी के नेतृत्व में देशव्यापी छात्र आंदोलन, 12 जून 1975 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी को दोषी ठहराया, 6 साल के लिए चुनाव लड़ने और सार्वजनिक पद के लिए अयोग्य ठहराया गया, शिक्षा नियंत्रण और चाटुकारिता का दौर,  “मीडिया पर सत्ता का शिकंजा” सच लिखने को जुर्म और सवाल पूछने को बगावत माना गया, प्रेस ऑफिसों की बिजली काटी गई, आपातकाल की खबरें छापने से रोका गया।  जिससे संघीय ढांचा कमजोर हुआ, कैद में कक्षा “जब शिक्षा बनी विचार बंदी का औजार” कांग्रेस विरोधी संवेदनशील विषयों पर चर्चा, लेखन पर रोक, शिक्षकों को चेतावनी, कांग्रेस ने राजनीतिक स्वार्थ के लिए शिक्षा को राज्य सूची से हटाकर समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया, स्कूली छात्रों पर भी कार्यवाही उड़ीसा में 9वीं-10वीं के बच्चे 5 महीने जेल में रहे, पाठ्यक्रम बना कांग्रेस का प्रचार माध्यम, प्रख्यात कलाकार किशोर कुमार ने कांग्रेस सरकार के प्रचार में गाने से मना किया तो उनके गानों पर बैन लगा दिया गया, आदि विषयक चित्र किट्स प्रदर्शित किया गया हैं। इस अवसर पर महापौर अशोक तिवारी, एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, महानगर अध्यक्ष प्रदीप अग्रहरि, प्रेम प्रकाश कपूर के अलावा सभासदगण आदि लोग मौजूद रहे।

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