अमरा भगवती के दरबार में रामकथा का पाॅचवा दिन
नौगढ़। माता अमरा भगवती धाम परिसर में आयोजित नव दिवसीय श्री राम कथा के पांचवें दिन सोमवार को कथावाचक कौशलेंद्र दास शांडिल्य ने अहिल्या उद्धार प्रभु श्री राम चन्द्र का स्वयंवर राजतिलक से वनवास की कथा का सविस्तार वर्णन किया। मुनि विश्वामित्र के बतलाए गए मार्गों पर चलकर के शिला रूप में मौजूद गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का उद्धार अपने चरण रज से भगवान ने किया।
मुनि विश्वामित्र ने प्रभु श्री राम चंद्र व लक्ष्मण को साथ लेकर के मिथिला नगरी घुमाने के लिए ले गए।
हरसत सूर बरसत सुमन | सगुन सुमंगल बास||
रामचंद्र ने मुनि विश्वामित्र से फूलवारी में जाने की अपनी जिज्ञासा प्रकट करके फूल तोड़ने में लग गए।
सकल सोच करि जाई नहाए | नित्य निबाही मुनिहि सिर नाए||
समय जानि गुर आयसू पाई | लेन प्रसून चले दोऊ भाई ||

वहीं पर जनक कुमारी सीता ने प्रभु श्री राम चन्द्र के अनुपम मनमोहक ललाट का दीदार पहली बार किया। अपने भाई लक्ष्मण के साथ प्रभु श्री राम चन्द्र मिथिला नगरी को देखने के लिए निकल पड़े। महाराजा जनक ने सीता स्वयंवर का आयोजन राजभवन में रखा। जिसमें दूर दराज से आए महारथी राजाओं ने धनुष को टस से मस नहीं कर सके। देखते देखते ही रामचंद्र ने तमंचा चढ़ाकर धनुष को तोड़ दिया। अयोध्या से सज धज कर बारात मिथिला नगरी में पहुंची।
जहां पर अयोध्या के राजा दशरथ के चारों पुत्रों का काफी धूमधाम से विवाह हुआ। राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र श्री राम चन्द्र को राजपाट के बारे में भी बहुत काफी ज्ञान था। जो कि अपने पिता की बातों का काफी अनुसरण किया करते थे। श्री राम को अयोध्या का राजा बना कर अपने जीते जी राजतिलक किए जाने की सोच को पूरा करने के लिए महाराज ने अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। अयोध्या नगरी भी प्रभु श्री राम चन्द्र के राजतिलक के लिए बहुत काफी उतावली थी।
इसी बीच माता कैकेई ने अपने पुत्र भरत को राजगद्दी व प्रभु श्री राम चन्द्र को वनवास भेजने की जिद कर बैठी। जिसे सूनकर राजा दशरथ ने बदहवास हाल में होकर के महारानी कैकेई को दिए गए वचन को पूरा किया। प्रभु ने बिना कोई सवाल किए ही पिता की आज्ञा का पालन कर मुनि भेष में वन को चल पड़े। जिनके साथ माता सीता व लक्ष्मण भी वन जाने से अपने आप को रोक नहीं पाए। बताया कि आज के युवाओं को प्रभु श्री राम की कथा से प्रेरणा लेकर माता पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए। कलयुग में अनेकों बच्चे अपने माता पिता की बातों को अनसुना कर उनको वृद्धाश्रम भेज दे रहे हैं। इस अवसर पर काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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