गौजन्य उत्पादों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार को बढ़ाया जाए
लखनऊ: /उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि निराश्रित गोवंश के संरक्षण के माध्यम से न केवल गोवंश को सुरक्षित किया जाए बल्कि गौशालाओं में गौजन्य उत्पादों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार की संभावनाओं को बढ़ाया जाए। गौशालाओं के आसपास के क्षेत्रों के किसानों, पशुपालकांे एवं विशेष रूप से महिलाओं को जागरूक किया जाए ताकि गौजन्य निर्मित उत्पादों के सदुपयोग से उनकी आमदनी बढ़े। इससे महिला स्वयं सहायता समूह आत्मनिर्भर बन सकेंगे साथ ही प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा और ईको फ्रेन्डली उत्पाद बनाये जाने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा।

श्री सिंह ने आज यहां विधान भवन स्थित अपने कार्यालय में पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की और प्रदेश मेें दुग्ध उत्पादन बढ़ाये जाने और गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाये जाने के संबंध में विस्तार से चर्चा की।
श्री सिंह ने कहा कि किसानों एवं पशुपालकों के हित में चलायी जा रही योजनाओं को लाभ समय से लाभार्थियों को दिया जाए और योजनाओं का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए ताकि सभी को उसका लाभ मिल सके। गोआश्रय स्थल के प्रभारी, पशुचिकित्साधिकारी भूसा एवं अन्य चारा मात्रा तथा गुणवत्ता की निगरानी करते रहें। वृहद गोसंरक्षण केन्द्रों के निर्माण में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। श्री सिंह ने कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम और देशी नस्ल के गायों के संवर्द्धन में तेजी लाने के निर्देश दिये।
बैठक में पशुधन विभाग के विशेष सचिव देवेन्द्र पांडेय, दुग्ध विकास विभाग के विशेष सचिव राम सहाय यादव, दुग्ध आयुक्त राकेश कुमार मिश्रा, पशुपालन विभाग के निदेशक (प्रशासन एवं विकास) डा0 जयकेश पाण्डेय, निदेशक (रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र) डॉ. योगेन्द्र सिंह पवार, सी0ई0ओ0 एल0डी0बी0 डॉ0 नीरज गुप्ता, संयुक्त निदेशक डा0 पी0के0 सिंह तथा डा0 राम सागर सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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