सीधे धान की बुवाई पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न: उत्तर प्रदेश के चैम्पियन किसान बनेंगे बदलाव के ध्वजवाहक

वाराणसी। अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान – दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) ने वॉटर रिसोर्स ग्रुप 2030, विश्व बैंक और कोका-कोला फाउंडेशन के साथ मिलकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों से आए प्रगतिशील किसानों के लिए सीधे धान की बुवाई (डीएसआर) पर 3 से 4 अप्रैल, 2025 तक दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया।

इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को धान की एक सुदृढ़ एवं टिकाऊ विधि – सीधे धान की बुवाई (डीएसआर) – के तकनीकी पहलुओं से परिचित कराना था, जो कम पानी, कम श्रम और अधिक उत्पादन का वादा करती है। प्रशिक्षण में किसानों को खेत में ले जाकर डीएसआर के विभिन्न तकनीक (तर-बतर एवं सूखे खेत) का वास्तविक अनुभव दिया गया और विशेषज्ञों द्वारा गहन जानकारी भी साझा की गई।

प्रशिक्षण के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव, श्री रविंदर, (आईएस) ने कहा, “उत्तर प्रदेश में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। ऐसे में डीएसआर तकनीक प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करते हुए खेती को टिकाऊ बना सकती है। इस बदलाव के लिए किसानों को तकनीकी रूप से तैयार करना जरूरी है।”

आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने किसानों को ‘बदलाव के ध्वजवाहक’ बताते हुए कहा, “डीएसआर सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि आने वाले समय की जरूरत है। आप सभी किसान इस परिवर्तन की दिशा में प्रेरणा बन सकते हैं।”

विश्व बैंक के वरिष्ठ विशेषज्ञ श्री अजीत राधाकृष्णन ने कहा कि डीएसआर के ज़रिए जल संरक्षण, किसानों की आय में बढ़ोतरी और टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने एफपीओ के साथ मिलकर साझा कार्य योजना बनाने की बात कही।

कोका-कोला कंपनी के सार्वजनिक मामलों के निदेशक, डॉ. आदित्य पांडा ने किसानों से आग्रह किया कि वे अपने इलाकों में डीएसआर के नेतृत्वकर्ता बनें और इसकी उपयोगिता को अन्य किसानों तक पहुंचाएं।

कार्यक्रम में बीज चयन, पानी व पोषण प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण, बीमा योजनाएं और मशीनों के उपयोग पर व्यावहारिक सत्र हुए। किसानों ने आइसार्क स्थित फार्म एरिया में जाकर डीएसआर की स्थिति को देखा और अनुभव साझा किए।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पंजाब सिंह ने कहा, “डीएसआर तकनीक से खेती अधिक टिकाऊ, लागत-कम और जल-संरक्षण आधारित होगी। यह आने वाले कल की खेती को मजबूत बना सकती है।”

प्रशिक्षण के समापन के बाद, जौनपुर जनपद की प्रगतिशील महिला किसान दुर्गा मौर्य बताती हैं कि “हमारे एफपीओ से अब 370 से ज़्यादा किसान जुड़े हैं, जो मिलकर खेती करते हैं और अपने-अपने अनुभव भी साझा करते हैं। पिछले साल हमने सीधे धान की बुवाई से 25% की बढ़त हासिल की और इस बार 65 से 70% की वृद्धि का लक्ष्य है। डीएसआर तकनीक की ट्रेनिंग से पानी और लागत दोनों की बचत होती है। मैं इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मिली जानकारी अपने एफपीओ के सभी किसानों से साझा करूंगी ताकि सब सुदृढ़ और लाभदायक खेती अपना सकें। यह कार्यक्रम किसानों को सशक्त बनाकर उत्तर प्रदेश को कृषि नवाचार की दिशा में अग्रसर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

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