तकनीक सहयोग और मेहनत से बदली खेती की तस्वीर : सब्जी उत्पादन में आत्मनिर्भरता की मिसाल…

रायपुर / आधुनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मशीनीकरण, आधुनिक तकनीक, सटीक खेती, ड्रिप सिंचाई और जैविक खेती जैसी विधियों को अपनाया जा रहा है, जिससे उत्पादकता बढ़ती है l केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने, आधुनिक खेती को बढ़ावा देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। 

 *आधुनिक उद्यानिकी खेती अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं*

शासन की मंशा है कि किसान परंपरागत खेती से आगे बढ़कर तकनीक आधारित, लाभकारी और टिकाऊ खेती को अपनाएं, जिससे उनकी आमदनी बढ़े और वे आत्मनिर्भर बन सकें। इसी सोच और नीतियों से कोण्डागांव जिले के केशकाल विकासखंड के ग्राम बहीगांव निवासी श्री सतीश पाठक ने आधुनिक उद्यानिकी खेती अपनाकर न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन गए। 50 वर्षीय श्री सतीश पाठक ने हाई स्कूल तक शिक्षा प्राप्त की है। सीमित शैक्षणिक संसाधनों के बावजूद उन्होंने यह साबित कर दिया कि यदि सीखने की इच्छा और मेहनत का जज़्बा हो, तो खेती भी समृद्धि का सशक्त माध्यम बन सकती है। 

*पाठक को खेती से प्रतिवर्ष लगभग 4 लाख 35 हजार तक का शुद्ध लाभ*

श्री पाठक वर्तमान में राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत लाभ लेकर आधुनिक तकनीकों के साथ खेती कर रहे हैं। उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में श्री पाठक ने 2.275 हेक्टेयर रकबे में ड्रिप सिंचाई एवं मल्चिंग तकनीक को अपनाकर टमाटर की खेती प्रारंभ की। इससे पहले वे पारंपरिक तरीके से खेती करते थे, जिसमें उन्हें लगभग 100 क्विंटल उत्पादन ही हो पाता था। लेकिन जब उन्होंने वैज्ञानिक पद्धति, उन्नत बीज, नियंत्रित सिंचाई और मल्चिंग का उपयोग शुरू किया, तो उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। आज उनके खेत से टमाटर का उत्पादन बढ़कर 180 क्विंटल तक पहुँच गया है। उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ लागत में कमी और गुणवत्ता में सुधार के कारण श्री पाठक को खेती से प्रतिवर्ष लगभग 4 लाख 35 हजार तक का शुद्ध लाभ प्राप्त हो रहा है। यह शासन की उस नीति की सफलता को दर्शाती है, जिसके तहत किसानों को योजनाओं के माध्यम से तकनीकी सहायता, गुणवत्तापूर्ण बीज, जैविक खाद और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है।

*किसान आत्मनिर्भर बने और खेती का लाभ का व्यवसाय बने*

सतीश पाठक बताते हैं कि करीब पाँच वर्ष पहले उन्होंने गांव में सब्जी की खेती होते देखी और यह समझा कि यदि इसे वैज्ञानिक तरीके से किया जाए, तो यह लाभ का अच्छा साधन बन सकती है। इसके बाद उन्होंने उद्यानिकी विभाग से संपर्क किया, जहां से उन्हें सब्जी उत्पादन की आधुनिक तकनीकों की जानकारी मिली। राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत उन्हें उन्नत किस्म के बीज, जैविक खाद और तकनीकी मार्गदर्शन मिला, जिसने उनकी खेती की दिशा ही बदल दी। आज श्री पाठक अपनी कुल 5 एकड़ भूमि में तकनीकी पद्धति से टमाटर, बरबट्टी, खीरा और करेला जैसी सब्जियों का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रहे हैं। फसल चक्र, समय पर सिंचाई, रोग-कीट प्रबंधन और बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए वे खेती की योजना बनाते हैं। सरकार की मंशा है कि हर किसान आत्मनिर्भर बने और खेती को घाटे का नहीं, बल्कि लाभ का व्यवसाय बने। 

*किसान पारंपरिक खेती छोड़कर उद्यानिकी और सब्जी उत्पादन की ओर आकर्षित*

सतीश पाठक की सफलता इसी सोच को मजबूत करती है। उनकी इस सफलता को देखकर आसपास के कई किसान भी पारंपरिक खेती छोड़कर उद्यानिकी और सब्जी उत्पादन की ओर आकर्षित हुए हैं। श्री पाठक बताते हैं कि जब से उन्होंने उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में उन्नत खेती शुरू की है, तब से उनकी खेती देखकर अन्य किसान उनसे सलाह लेने आने लगे हैं। अब वे दूसरे किसानों के खेतों में जाकर उन्हें फसल प्रबंधन, उन्नत बीज चयन और तकनीकी खेती के बारे में मार्गदर्शन भी देने लगे हैं।

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