मछली पालन की तकनीक सीखने छत्तीसगढ़ आए ओडिशा और उत्तरप्रदेश से मत्स्य पालक दल

मत्स्य पालन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ का राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ता प्रभाव* 

रायपुर,/ छत्तीसगढ़ में मत्स्य पालन के क्षेत्र में हो रहे नवाचार और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के चलते छत्तीसगढ़ का राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव बढ़ा है। राज्य को एक नई पहचान मिली है। यही वजह है कि मछली पालन की अत्याधुनिक तकनीक और गतिविधियों को देखने और सीखने के लिए अन्य राज्यों के मत्स्य पालक छत्तीसगढ़ के अध्ययन भ्रमण पर आने लगे है। अभी 18 मार्च से ओडिशा और उत्तर प्रदेश के मत्स्य पालकों के दल छत्तीसगढ़ के दौरे पर आया हुआ है। मत्स्य पालकों का दल मछली विभाग के अधिकारियों के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों का दौरा कर मत्स्य पालन की आधुनिक तकनीक सीख रहा है। 

छत्तीसगढ़ राज्य के चार दिवसीय अध्ययन भ्रमण के दौरान ओडिशा के कालाहांडी जिले के 18 एवं नुआपाड़ा जिले के 12 कृषकों का दल तथा प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के 20 मत्स्य पालक आए हुए हैं। मत्स्य पालक दल ने छत्तीसगढ़ में मत्स्य पालन आधुनिक तकनीक एवं गतिविधियों, हैचरी प्रबंधन, कोल्ड स्टोरेज, आईस प्लांट, मध्यम स्केल सजावटी मछली पालन इकाइयों, बीज उत्पादन और विपणन प्रक्रियाओं का गहन अध्ययन अवलोकन किया। 

ओडिशा के मत्स्य पालकों के दल ने 20 मार्च को बलौदाबाजार जिले के भाटापारा विकासखंड के ग्राम रामपुर में स्थित एम.एम. फिश हैचरी और फीड मील का अवलोकन किया। यह छत्तीसगढ़ की पहली मोनो सेक्स तिलापिया हैचरी एवं फिश जेनेटिक सेंटर है, जिसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत अनुदान सहायता से विकसित किया गया है। इस वर्ष यहां 4 करोड़ मोनो सेक्स तिलापिया, 2 करोड़ पंगेसियस और 5 करोड़ रोहू-कतला-मृगल मछली बीज का उत्पादन किया गया। उत्पादित बीज को छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र के लगभग 5000 किसानों को वितरित कर उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचाया गया।

उत्तर प्रदेश के मत्स्य पालकों को 20 मार्च को और ओडिशा के मत्स्य पालकों को 21 मार्च को रायपुर स्थित उप संचालक प्रशिक्षण संस्थान, तेलीबांधा में उन्नत मत्स्य पालन तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण के दौरान आधुनिक मत्स्य पालन पद्धतियों, जल गुणवत्ता प्रबंधन, रोग नियंत्रण और विपणन रणनीतियों की जानकारी दी गई।

यहां यह उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि मत्स्य पालक की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाया जा सके। छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य बीज उत्पादन के मामले पूर्णतः आत्मनिर्भर और देश में छठवें स्थान पर है। छत्तीसगढ़ राज्य अपने पड़ोसी राज्यों को बड़ी मात्रा में मत्स्य बीज का निर्यात करता है। बीते 14 महीनों में राज्य में मत्स्य बीज उत्पादन में 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मत्स्य बीज उत्पादन 418.07 करोड़ से बढ़कर वर्तमान में 572.63 करोड़ हो गया है। 

राज्य में परपरांगत मछली पालन के अलावा केज कल्चर, आर.ए.एस, बॉयोफ्लॉक, एनीकट्स में तीव्र वृद्धि वाली मछली (पंगेशियस, मोनोसेक्स तिलापिया) के पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके चलते मत्स्य उत्पादन में 19.85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्तमान में राज्य में 7.813 लाख मैट्रिक टन मत्स्य का उत्पादन हो रहा है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के क्रियान्वयन से 272.90 हेक्टेयर नवीन जलक्षेत्र का निर्माण, 122 बॉयो फ्लॉक (पी.लाईनर) पॉण्ड का निर्माण, 947 इकाई जलाशयों में केज की स्थापना, 50 टन, 20 टन एवं 10 टन क्षमता की 03 कोल्ड स्टोरेज की स्थापना, मछली चारा के रूप में आहार उपलब्ध कराने हेतु 20 टन एवं 08 टन प्रति दिवस की उत्पादन क्षमता की 02 इकाई फिश फीड़ मिल स्थापित की गई है।

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