जीवन प्रबंधन में आध्यात्मिक दृष्टिकोण की उपयोगिता महत्वपूर्ण:राकेश चतुर्वेदी

रायपुर, मानव जीवन के समग्र विकास और तनाव प्रबंधन में आध्यात्मिक दृष्टिकोण की उपयोगिता आज भी सहायक सिद्ध होती है। कठिन परिस्थितियों में व्यक्ति अध्यात्म का सहारा लेते हुए मानसिक शांति प्राप्त करता है। यह विचार कल भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA) की छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय शाखा, रायपुर द्वारा प्रशासनिक अकादमी, निमोरा में आयोजित श्रीमद् भगवद् गीता के माध्यम से जीवन प्रबंधन विषय पर व्याख्यान में व्यक्त किया।

मुख्य वक्ता के रूप में छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) राकेश चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन प्रबंधन की एक वैज्ञानिक और व्यावहारिक ग्रंथ है, जिसमें हर परिस्थिति में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि गीता में नेतृत्व, निर्णय क्षमता, आत्मचिंतन, कर्मयोग और समत्व जैसे प्रबंधन के मूल सिद्धांत समाहित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासनिक सेवा जैसे उत्तरदायित्वपूर्ण क्षेत्र में कार्य करते समय व्यक्ति को कई बार मानसिक दबाव, नैतिक द्वंद्व और जटिल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, ऐसे समय में गीता के ज्ञान का अभ्यास मानसिक संतुलन और स्पष्ट दृष्टिकोण प्रदान करता है।

इस परिचर्चा में अखिल भारतीय सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी और क्षेत्रीय शाखा के सक्रिय सदस्य उपस्थित रहे। उपस्थित सदस्यों ने भी गीता के विभिन्न श्लोकों और उनके प्रशासनिक तथा व्यक्तिगत जीवन में उपयोग पर अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन छत्तीसगढ़ शाखा के सचिव अनूप श्रीवास्तव द्वारा किया गया।

यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक ज्ञान का आदान-प्रदान था, बल्कि यह भी संदेश लेकर आया कि आधुनिक प्रशासनिक जीवन में पारंपरिक मूल्यों और ग्रंथों से प्रेरणा लेकर कैसे संतुलित और प्रभावी कार्यशैली विकसित की जा सकती है। इस अवसर पर एस.के. मिश्रा,इंदिरा मिश्रा,सी.एच. वेहार, डॉ. संजय कुमार अलंग प्रमुख रूप से उपस्थित थे। 

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