नई दिल्ली। फरवरी 2025 में व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में साल-दर-साल की अवधि के लिए 11% की गिरावट आई है, जो पिछले साल की समान अवधि के लिए कुल 41.41 बिलियन डॉलर की तुलना में घटकर 36.91 बिलियन डॉलर रह गयी है। इस गिरावट का उल्लेख करते हुए, भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन, फियो) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि इस गिरावट का कारण मुख्य रूप से वैश्विक मांग में कमी, प्रमुख निर्यात क्षेत्रों के सामने आने वाली चुनौतियां तथा वैश्विक आयात शुल्क विवाद (टैरिफ वार) का प्रभाव है।

हालांकि, इसी दौरान, आयात में और भी अधिक गिरावट देखी गई, जो फरवरी 2024 के 60.92 बिलियन डॉलर से घटकर 50.96 बिलियन डॉलर हो गई, इस प्रकार 16% की तीव्र गिरावट दर्ज की गयी। श्री कुमार ने बताया कि आयात में यह कमी विनिर्माण की ओर सकारात्मक रुझान और घरेलू मांग में बदलाव को दर्शाती है, जो यह दिखाता है कि भारतीय उपभोक्ता और उद्योग आयातित वस्तुओं के प्रति अधिक सतर्क हो रहे हैं। परिणामस्वरूप, वस्तु क्षेत्र में व्यापार घाटा फरवरी 2024 के 19.51 बिलियन डॉलर की तुलना में कम होकर 14.05 बिलियन डॉलर रह गया। श्री कुमार ने कहा कि व्यापार घाटे में कमी भारत के व्यापार क्षेत्र के पुनर्संतुलन की शुरुआत का एक आशाजनक संकेत है। विशेष रूप से वैश्विक आयात शुल्क विवाद (टैरिफ वार) के कारण निर्यात को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि आयात में तेज गिरावट विदेशी वस्तुओं की मांग में कमी का संकेत देती है, जिससे घरेलू उद्योगों को विकास के अवसर मिले हैं।
भविष्य को देखते हुए, श्री कुमार ने आशा व्यक्त की कि आयात में गिरावट से प्रेरित व्यापार घाटे में कमी भारत के आर्थिक विकास के लिए एक रणनीतिक अवसर के रूप में काम कर सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हालांकि, निर्यात वृद्धि को पुनर्जीवित करने के लिए एक ठोस प्रयास की आवश्यकता है, विशेष रूप से लक्षित पहलों के माध्यम से जो वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाते हैं।
उल्लेखनीय रूप से, इस वित्त वर्ष की अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान संचयी व्यापार और सेवा निर्यात में 6.24% की उत्साहजनक वृद्धि देखी गई, जो पिछले वर्ष के 706.43 बिलियन डॉलर से बढ़कर 750.53 बिलियन डॉलर तक पहुँच गई।
इसका लाभ उठाने के लिए, फियो ने सरकार से निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लक्षित समर्थन शुरू करने का आग्रह किया है। इसमें उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के दायरे का विस्तार करना और निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धी वित्तपोषण तक पहुँच में सुधार करना शामिल है। श्री कुमार ने गैर-टैरिफ बाधाओं को हल करने और बाजार पहुंच बढ़ाने के साथ-साथ निरंतर निर्यात वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत के एकीकरण को मजबूत करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
फियो अध्यक्ष ने निर्यात विविधीकरण के लिए एक केंद्रित दृष्टिकोण का भी आह्वान किया, नए बाजारों और उत्पादों की खोज के साथ-साथ व्यापार सुविधा उपायों को जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने ब्याज समतुल्यीकरण योजना को जारी रखने, अनुसंधान एवं विकास के लिए समर्थन बढ़ाने, वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त भारतीय नौवहन (शिपिंग) लाइन बनाने और अग्रिम प्राधिकरण/ईओयू/एसईजेड इकाइयों के लिए आरओडीटीईपी योजना को जारी रखने की वकालत की – ये सभी निर्यात क्षेत्र में दीर्घकालिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
श्री कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि सही रणनीतिक उपायों के साथ, भारत का निर्यात क्षेत्र अपनी गति को पुनः प्राप्त कर सकता है और आने वाले महीनों में देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

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