हर-हर महादेव से गूंजे शिवालय, शिव मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब

प्रयागराज।{ मनोज पांडेय }महाशिवरात्रि पर्व पर सभी शिवालयों पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा दिखाई पड़ा। बुधवार भोर से ही भक्तों की कतार लग गई थी। शिवालयों में हर-हर महादेव के जयकारों की गूंज रही। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। यह शिव शंकर की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। प्रयागराज, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है,यहां नदी किनारे और अलग-अलग स्थानों पर कई ऐतिहासिक और पवित्र शिव मंदिर स्थित हैं। श्रद्धालु प्रात:काल से ही स्नान कर अपने हाथ में पान, फूल, विल्वपत्र, धतूरा, मदार, दूर्वा आदि लेकर कतार में अपना नम्बर आने के इंतजार में ऊं नम शिवाय का निरंतर जप किए जा रहे हैं। मंदिरों में लंम्बी कतार लगी है। मंदिरों में घंट, घडियाल और शंख की ध्वनि वातावरण को आध्यात्मिकता से लबरेज कर रही है। तमाम शिव मंदिरों में महादेव का अभिषेक कराया जा रहा है।

प्रयागराज में यमुना तट पर स्थित मनकामेश्वर मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह करीब 200 वर्ष प्राचीन और महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक है, जो शहर के मध्य स्थित है। मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां की पूजा से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी है। यह मंदिर कामेश्वर और कामेश्वरी का तीर्थ है। इस मंदिर में ऋण मुक्तेश्वर और सिद्धेश्वर महादेव का शिवलिंग भी है। इस मंदिर का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है। यहां दूर दराज से शिवभक्त जलाधिभेक करने आते हैं। यह मंदिर नैनी ब्रिज के पास स्थित है। 

प्रयागराज के घूरपुर थाना क्षेत्र के देवरिया गांव में यमुना नदी के किनारे सुजावन देव मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव और माता यमुना को समर्पित है। यह मंदिर विशेष रूप से उस स्थान पर स्थित है जहां स्थानीय लोग पूजा करते हैं। मंदिर में नियमित रूप से विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं। यह मंदिर भक्तों के लिए शांति और आशीर्वाद का स्थान है, जहां वे भगवान शिव की उपासना करके अपने जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पाते हैं। प्रशासन ने सुरक्षा का विशेष प्रबंध किया है। यहां महिलाओं के लिए मंदिर में दर्शन पूजन के लिए अलग और अलग लाइन की व्यवस्था किया है। महाकुंभ का अंतिम स्नान पर्व होने के कारण भी दूर दराज से आने वाले श्रद्धालु संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के बाद मंदिरों में मत्था टेक रहे हैं। शहर के सभी मंदिरों में लंबी लंबी कतारे लगी हैं। श्रद्धालु कतार में निरंतर ऊं नम: शिवाय मंत्र का जप कर रहे हैं।

सोमेश्वर महादेव का मंदिर संगम नगरी प्रयागराज में भगवान शिव का एक ऐसा अनूठा मंदिर है, जहां लोग गंभीर बीमारियों से निजात पाने के लिए आते हैं। मान्यता है कि इस अनूठे मंदिर की स्थापना खुद चंद्रदेव ने तब की थी, जब उन्हें श्राप की वजह से कुष्ठरोग हो गया था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक़ कुष्ठ रोग होने के बाद चन्द्रमा ने इसी जगह शिवलिंग स्थापित कर अपनी बीमारी से मुक्ति पाई थी। चंद्रदेव द्वारा स्थापित किये जाने और यहीं उनका कुष्ठरोग ठीक होने की वजह से बड़ी संख्या में श्रद्धालु निरोगी होने की कामना के साथ यहां दर्शन पूजन के लिए आते हैं। यहां शिव भक्त बड़ी श्रद्धा से पूजा करते हैं और इस मंदिर का विशेष महत्व महाशिवरात्रि के दिन होता है। इस मंदिर में भक्तों की आस्था के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा भी पूरे धूमधाम से होती है।

बारा शिव मंदिर प्रयागराज के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है, जो त्रिवेणी संगम के पास स्थित है। इस मंदिर में महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा होती है और यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है। इस मंदिर का इतिहास भी बहुत पुराना है और यहां भगवान शिव का अद्भुत रूप पूजा जाता है। पूरी दुनिया में तमाम शिव मंदिरों की अपनी अलग अलग मान्यताएं हैं। इसी प्रकार जिले में एक ऐसा भी शिवमंदिर है जहां लोग बंद किस्मत का ताला खोलने के लिए मंदिर में ताला बंद करते हैं। मन्नत पूरी होने के बाद तालों को खोल देते हैं। यह शिवमंदिर करीब 500 वर्ष पुराना है। जमीन से करीब 5 फिट गहरे में बना मंदिर बिल्कुल अलौकिक और रहस्य से भरा हुआ है। इस मंदिर के चारों तरफ लोग ताले बंद करते हैं। इस मंदिर में बंद किये गये तालों का रहस्य काफी पुराना है। मंदिर के चारों ओर बनी खिड़कियों और दरवाजों पर लोग बड़ी संख्या में ताले बंद करते हैं। लोगों की आस्था और विश्वास को लेकर इस मंदिर में भारी भीड़ जुटती है। इस मंदिर के अंदर विराजमान शिवलिंग को नाथ सम्प्रदाय ने स्थापित किया था। इस मंदिर में स्थापित शिव को ताला वाले महादेव भी कहते है। नाथ सम्प्रदाय भारत का एक हिंदू धार्मिक पन्थ है। मध्ययुग में उत्पन्न इस सम्प्रदाय में बौद्ध, शैव तथा योग की परम्पराओं का समन्वय दिखायी देता है। यह मंदिर भक्तों के बीच विशेष रूप से प्रसिद्ध है। नाथेश्वर मंदिर में शिव की उपासना से भक्तों को आशीर्वाद और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

नागवासुकी मंदिर प्रयागराज के दारागंज में गंगा नदी के तट पर स्थित है। एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव के रूप नागवासुकी को समर्पित है। इस मंदिर में नागों के राजा वासुकी नाग विराजमान रहते हैं। मान्यता है कि प्रयागराज आने वाले हर श्रद्धालु और तीर्थयात्री की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक की वह नागवासुकी का दर्शन न कर लें। इस मंदिर में विशेष रूप से नाग देवता की पूजा की जाती है, जिनकी पूजा से भक्तों को उनके पापों से मुक्ति और जीवन में समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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