(युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेयी जी की 101वीं जयंती 25 दिसम्बर 2025 पर विशेष आलेख)

भारत माँ के सच्चे सपूत, राष्ट्रपुरुष, राष्ट्रमार्गदर्शक और निष्ठावान देशभक्त-भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी को न जाने कितनी उपाधियों से अलंकृत किया गया, और वे इन सभी उपाधियों के वास्तविक अर्थ भी थे। किंतु इन सबसे बढ़कर वे एक अत्यंत संवेदनशील, सरल और श्रेष्ठ इंसान थे। उन्होंने जमीन से जुड़े रहकर राजनीति की और ‘जनता के प्रधानमंत्री’ के रूप में जन-जन के हृदय में अपनी विशेष जगह बनाई। अटल बिहारी वाजपेयी जी का व्यक्तित्व ऐसा था जो बच्चों, युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों-सभी के बीच समान रूप से लोकप्रिय था। देश का हर युवा और बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता था। उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया और जीवन के अंतिम क्षण तक उसका निष्ठापूर्वक पालन किया। भले ही वे व्यक्तिगत रूप से अविवाहित रहे, लेकिन देश के करोड़ों बच्चे और युवा उनकी संतान के समान थे। बच्चों और युवाओं के प्रति उनका विशेष स्नेह ही उन्हें उनके हृदयों के अत्यंत निकट ले आया। भारतीय राजनीति में मूल्यों और आदर्शों की प्रतिष्ठा करने वाले एक अद्वितीय राजनेता और प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी जी का योगदान अतुलनीय रहा। उनके दूरदर्शी कार्यों के कारण ही उन्हें भारत के ढांचागत विकास का शिल्पकार कहा जाता है। वे ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे जिन्होंने न केवल अपने समर्थकों, बल्कि विरोधियों का भी दिल जीत लिया। उनका सार्वजनिक जीवन पूर्णतः बेदाग, स्वच्छ और पारदर्शी रहा, जिसके कारण हर वर्ग उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखता था- यहाँ तक कि उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक थे। अटल बिहारी वाजपेयी जी के लिए राष्ट्रहित सदैव सर्वोपरि रहा, इसी कारण वे ‘राष्ट्रपुरुष’ कहलाए। उनके विचार और वक्तव्य सदैव तर्कपूर्ण, संतुलित और दूरदर्शी होते थे, जिनमें युवा सोच की स्पष्ट झलक दिखाई देती थी। यही विशेषता उन्हें युवाओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय बनाती थी। जब भी वे संसद में बोलते थे, उनकी तर्कशक्ति और ओजस्वी वाणी के सामने विपक्ष भी निरुत्तर हो जाता था। एक संवेदनशील कवि के रूप में अटल जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक बुराइयों पर प्रहार किया। उनकी कविताएँ न केवल विचारों को झकझोरती थीं, बल्कि उनके प्रशंसकों को सदैव सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रहेंगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय करने वाले युग पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म ग्वालियर में बड़े दिन के अवसर पर 25 दिसम्बर 1924 को हुआ। अटल जी के पिता का नाम पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था। पिता पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापक थे। कृष्ण बिहारी वाजपेयी साथ ही साथ हिन्दी व ब्रजभाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। अटल बिहारी वाजपेयी मूल रूप से उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले के प्राचीन स्थान बटेश्वर के रहने वाले थे। इसलिए अटल बिहारी वाजपेयी का पूरे ब्रज सहित आगरा से खास लगाव था। अटल बिहारी वाजपेयी जी की बी०ए० की शिक्षा ग्वालियर के वर्तमान में लक्ष्मीबाई कॉलेज के नाम से जाने वाले विक्टोरिया कॉलेज में हुई। ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक करने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डी. ए. वी. महाविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर उपाधि भी प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रखर वक्ता और कवि थे। ये गुण उन्हें उनके पिता से वंशानुगत मिले। अटल बिहारी वाजपेयी जी को स्कूली समय से ही भाषण देने का शौक था और स्कूल में होने वाली वाद-विवाद, काव्य पाठ और भाषण जैसी प्रतियोगिताएं में हमेशा हिस्सा लेते थे। अटल बिहारी वाजपेयी छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बनें और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में हिस्सा लेते रहे। अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने जीवन में पत्रकार के रूप में भी काम किया और लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। अटल बिहारी वाजपेयी जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने लंबे समय तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे प्रखर राष्ट्रवादी नेताओं के साथ काम किया।
पंडित अटल बिहारी वाजपेयी सन् 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सन् 1957 के लोकसभा चुनावों में पहली बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। अटल जी 1957 से 1977 तक लगातार जनसंघ की और से संसदीय दल के नेता रहे। अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने ओजस्वी भाषणों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू तक को प्रभावित किया। एक बार अटल बिहारी वाजपेयी के संसद में दिए ओजस्वी भाषण को सुनकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनको भविष्य का प्रधानमंत्री तक बता दिया था। और आगे चलकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की भविष्यवाणी सच भी साबित हुई। अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार था। उनके विपक्ष के साथ भी हमेशा सम्बन्ध मधुर रहे। 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में विजय श्री के साथ बांग्लादेश को आजाद कराकर पाक के 93 हजार सैनिकों को घुटनों के बल भारत की सेना के सामने आत्मसमर्पण करवाने वाली देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी को अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में दुर्गा की उपमा से सम्मानित किया था। और 1975 में इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था। आपातकाल की वजह से इंदिरा गाँधी को 1977 के लोकसभा चुनावों में करारी हार झेलनी पड़ी। और देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी जिसके मुखिया स्वर्गीय मोरारजी देसाई थे। और अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया। अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश मंत्री रहते हुये पूरे विश्व में भारत की छवि बनायीं। और विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले देश के पहले वक्ता बने। अटल जी 1977 से 1979 तक देश के विदेश मंत्री रहे। 1980 में जनता पार्टी के टूट जाने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने सहयोगी नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1996 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। भाजपा द्वारा सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने। लेकिन अटल जी 13 दिन तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने अपनी अल्पमत सरकार का त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप दिया। 1998 में भाजपा फिर दूसरी बार सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। लेकिन 13 महीने बाद तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय जयललिता के समर्थन वापस लेने से उनकी सरकार गिर गयी। लेकिन इस बीच अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर सम्पूर्ण विश्व को भारत की शक्ति का एहसास कराया। अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए लेकिन उसके बाद भी भारत अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हर तरह की चुनौतियों से सफलतापूर्वक निबटने में सफल रहा। अटल बिहारी वाजपेयी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल की और पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने 19 फरवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू कराई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की। लेकिन कुछ ही समय पश्चात् पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना व पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान द्वारा कब्जा की गयी जगहों पर हमला किया और पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। एक बार फिर पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी और भारत को विजयश्री मिली। कारगिल युध्द की विजयश्री का पूरा श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को दिया गया। कारगिल युध्द में विजयश्री के बाद हुए 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 13 दलों से गठबंधन करके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के रूप में सरकार बनायी। और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अपना पूरा पांच साल का कार्यकाल पूर्ण किया। इन पाँच वर्षों में अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए। और राजग सरकार ने गरीबों, किसानों और युवाओं के लिए अनेक योजनाएं लागू की। अटल सरकार ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की और दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया। 2004 में कार्यकाल पूरा होने के बाद देश में लोकसभा चुनाव हुआ और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शाइनिंग इंडिया का नारा देकर चुनाव लड़ा। लेकिन इन चुनावों में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। लेकिन वामपंथी दलों के समर्थन से काँग्रेस ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र की सरकार बनायी और भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा। इसके बाद लगातार अस्वस्थ्य रहने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति से सन्यास ले लिया। अटल जी को देश-विदेश में अब तक अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2015 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके घर जाकर सम्मानित किया।
भारतीय राजनीति के युगपुरुष, श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ, कोमलहृदय एवं संवेदनशील मनुष्य, वज्रबाहु राष्ट्रप्रहरी, भारतमाता के सच्चे सपूत और अजातशत्रु पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का 16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका व्यक्तित्व हिमालय के समान विराट, अडिग और प्रेरणास्पद था। अटल जी अपने महान कार्यों और विचारों के माध्यम से भारतवासियों के जीवन में ऐसा उजास छोड़ गए हैं, जो देश के नौजवानों को सदैव सही मार्ग दिखाता रहेगा। वे सदा चेहरे पर मुस्कान का परिधान धारण किए रहते थे; उनकी यह मुस्कान उनके निर्मल, पवित्र और उच्च कोटि के आत्मिक गुणों की साक्षी थी। उनकी आत्मा में मानवीय करुणा के साथ दैवीय शक्ति का भी वास था। अटल जी की ईमानदारी, शालीनता, सादगी और सौम्यता हर किसी का हृदय जीत लेती थी। उनके जीवन-दर्शन और कविताओं ने भारत के युवाओं को नई सोच, नई दिशा और नई प्रेरणा प्रदान की। वे करोड़ों लोगों के आदर्श और रोल मॉडल थे। भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में देश के आर्थिक विकास तथा गरीब एवं वंचित वर्ग के सामाजिक कल्याण के लिए उनके अमूल्य योगदान को राष्ट्र सदैव स्मरण रखेगा। भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी जी को देश हमेशा श्रद्धा और सम्मान के साथ याद करेगा। उनकी अटल आवाज और उनके द्वारा किए गए महान कार्य युगों-युगों तक राष्ट्र के हृदय में अमर रहेंगे।
लेखक – ब्रह्मानंद राजपूत
E-Mail – brhama_rajput@rediffmail.com

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